यश भारत : एजुकेशन अपडेट : अतिथि विद्वानों को छुट्टी के दिन भी अनिवार्य रूप से कॉलेज बुलाकर मानदेय नहीं दिया जाना अमानवीय
भोपाल यश भारत (एजुकेशन) / प्रदेश के सरकारी महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि विद्वानों को रविवार अवकाश के दिन भी कॉलेज में उपस्थित होने के आदेश किए जा रहे हैं। लेकिन दिहाड़ी पर कार्यरत इन अतिथि विद्वानों को इसके एवज में अमानवीय रूप से कोई मानदेय नहीं दिया जा रहा है। महाविद्यालयों द्वारा ऐसा उच्च स्तर पर लगातार मिल रहे आदेशों के पालन में किया जा रहा है जिससे अतिथि विद्वानों में भारी असंतोष है।
अतिथि विद्वानों द्वारा बताया गया कि पिछले महीने रविवार 14 जुलाई को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा इंदौर में प्रधानमंत्री उत्कृष्ट महाविद्यालय का उद्घाटन किया गया था। लेकिन इस कार्यक्रम के प्रसारण को देखने मात्र के लिए उच्च शिक्षा विभाग के आदेश पर प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में स्थाई शिक्षकों के साथ-साथ अतिथि विद्वानों को भी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए आदेशित किया गया था।
इसी तरह 21 जुलाई रविवार को गुरु पूर्णिमा पर उच्च शिक्षा विभाग के आदेश पर कार्यक्रम मनाने के लिए भी अतिथि विद्वानों को सुबह 10:30 बजे से महाविद्यालय में उपस्थित रहने को आदेशित किया गया था। इसके अलावा रविवार 11 अगस्त को भोपाल में आयोजित किए गए बालिकाओं के सम्मान कार्यक्रम का प्रसारण देखने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के आदेश पर शैक्षणिक स्टाफ के साथ अतिथि विद्वानों को भी सुबह 11:00 बजे से अनिवार्य रूप से अपने अपने महाविद्यालय में उपस्थिती सुनिश्चित करने को कहा गया था।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के महाविद्यालयों को उक्त आदेश जारी कर अतिथि विद्वानों की भी उपस्थित सुनिश्चित करने को तो कहा गया था। लेकिन पिछले माह जुलाई के भुगतान पत्रक जमा कराए जाते समय 14 एवं 21 जुलाई की उपस्थिति को गणना में शामिल नहीं करते हुए भुगतान स्वीकृति नहीं दी गई है। इस प्रकार उच्च शिक्षा विभाग और संबद्ध कॉलेजों द्वारा श्रम अधिनियम का उल्लंघन करते हुए साप्ताहिक अवकाश एवं उसके एवज में मिलने वाले मानदेय राशि के अधिकार से भी अमानवियता पूर्वक वंचित किया गया है।
अतिथि विद्वानों का कहना है कि शासन द्वारा उन्हें दिहाड़ी आधार पर मानदेय दिया जाता है। अतिथि विद्वान की जितने दिन महाविद्यालय में उपस्थिति रहती है उतने ही दिन का मानदेय दिया जाता है।
किसी मजबूरी वश अनुपस्थिति की दशा में उस दिन का मानदेय काट लिया जाता है जबकि स्थाई शिक्षकों को इससे छूट मिल जाती है, जो समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है। ऐसे में यदि शासन अतिथि विद्वान को अवकाश के दिन में भी महाविद्यालय में उपस्थित रहने की आदेश देता है तो श्रम कानून का पालन करते हुए तथा मानवीय आधार पर उन्हें उस दिन का भुगतान भी उन्हें किया जाना चाहिए।