जबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

यह है जबलपुर…। 24 लाख की आबादी की सुरक्षा संभाल रहे 2 हजार पुलिस वाले, आबादी के हिसाब से मात्र .1 % पुलिस रहती है मौके पर, स्वीकृत पद 38 सौ, नौ सौ का इंतजार, मौजूदा बल में बड़ी संख्या में छुट्टी पर रहते हैं जवान, एसएएफ और नगर सेना के 600 जवानों का हर वक्त क्यों नहीं हो रहा उपयोग

                                            -आशीष शुक्ला-

 

जबलपुर,यशभारत।  जिले की आबादी भले ही 24-25 लाख के आसपास हो गई हो लेकिन इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आज भी केवल दो हजार पुलिस वालों के कंधे पर है। कहने को तो जिले के लिए चार हजार का पुलिस बल स्वीकृत है ,किंतु इसमें से नौ सौ पद खाली पड़े हैं । इस हिसाब से देखा जाए तो वर्तमान में जिला पुलिस के पास सिर्फ इकतीस लोगों का बल बचता है इसमें से भी बड़ी संख्या में पुलिस के ये जवान अलग-अलग कारणों से अल्प और लंबी छुट्टी पर रहते हैं । मौजूद पुलिस बल में से भी बड़ी संख्या में पुलिस वालों की ड्यूटी अलग-अलग स्थान पर लग जाती है। इसके बाद वह मुश्किल से पुलिस के पास करीब दो हजार जवान ही बचते हैं जिनके भरोसे शहर और ग्रामीण क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहती है । गणित के हिसाब से मात्र .1 प्रतिशत जवान ही मौके पर रहते हैं। कहने को तो यदि शहर और ग्रामीण इलाकों को मिला लिया जाए तो 36 थाने और एक दर्जन के करीब पुलिस चौकियां हैं इसके अलावा यातायात के तीन थाने महिला थाना आजाक थाना के अलावा अपराध थाना को मिला लिया जाए तो इनकी संख्या चालीस के ऊपर पहुंच जाती है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि थानों और चोकियो मै कितना पुलिस बल बचता है पर्याप्त पुलिस बल न होने के कारण कई बार विषम परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं और बल की कमी के चलते वरिष्ठ अधिकारी भी खुद को लाचार महसूस करने लगते हैं और इसका विपरीत असर पुलिसिंग पर भी पड़ता है हालांकि समय-समय पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा बल की कमी को लेकर पुलिस मुख्यालय और शासन को अवगत कराया जाता है बावजूद इसके अभी भी जबलपुर पुलिस को बल की कमी से दो-चार होना पड़ रहा है और पूरे जिले की पुलिस व्यवस्था केवल दो हजार पुलिस वालों के भरोसे चल रही है । पर्याप्त पुलिस बल न होने के बावजूद भी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी किसी तरह से व्यवस्थाओं को मैनेज करके कम बल होने के बाद भी जिले की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं । काम पुलिस बल होने के कारण पुलिस के लोगों पर काम का दबाव भी अधिक रहता है ऐसे में उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

भर्ती प्रक्रिया चालू है : पुलिस कप्तान

इस संबंध में सब जब पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में रिक्त पड़े पुलिस वालों की नियुक्ति के लिए उनके द्वारा लगातार पुलिस मुख्यालय और शासन से पत्राचार के माध्यम से मांग की जा रही है और पुलिस मुख्यालय और शासन के द्वारा आश्वस्त भी किया गया है कि खाली पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ है। यदि शीघ्र ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो पुलिस को काफी राहत मिल जाएगी।

इन जवानों का किया जा सकता अधिक उपयोग

मात्र दो हजार पुलिस वालों के भरोसे चल रही पुलिस व्यवस्था को एस ए एफ और नगरसेना के जवानों को फील्ड में उतारकर काफी हद तक पुलिस बल की कमी को पूरा किया जा सकता है जानकारी के मुताबिक एस ए एफ के पास करीब एक हजार जवान है जिनमें से चार सौ से पाच सौ जवान हमेशा उपलब्ध रहते हैं इनमें से मात्र दो ढाई सौ जवान ही पुलिस के साथ लगे है ऐसे में पुलिस की वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए कि इनकी संख्या बढ़ाकर व्यवस्थाओं में लगाया जाए इसी तरह से नगर सेना के पास कहने को तो 665 का बल स्वीकृत है लेकिन यहां भी केवल 428 जवान ही मौजूद हैं जिसमें से करीब डेढ़ दो सौ जवानों का उपयोग ही किया जा रहा है पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी चाहे तो इनकी तादाद और बढाकर इनका उपयोग भी किया जा सकता है।

 

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