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लिटिल किंगडम स्कूल का मामला -शिक्षक कर रहे थे मूल्यांकन की ड्यूटी स्कूल ने कर दी सेवा समाप्त ,

, नहीं दिया वेतन ,रख लिया डिपाजिट , कलेक्टर के पास पहुची शिकायत

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लिटिल किंगडम स्कूल का मामला -शिक्षक कर रहे थे मूल्यांकन की ड्यूटी स्कूल ने कर दी सेवा समाप्त , नहीं दिया वेतन ,रख लिया डिपाजिट , कलेक्टर के पास पहुची शिकायत

जबलपुर यश भारत। निजी स्कूल चेन, जिन्हें अक्सर बोलचाल की भाषा में “कॉर्पोरेट स्कूल” कहा जाता है, पर इन कॉर्पोरेट स्कूल सिर्फ नाम के ही कार्पोरेट है जहां ऊंची दुकान -फीके पकवान की कहावत चरितार्थ होती है। बच्चों, अभिभावकों का शोषण करते करते अब ये तथाकथित कारपोरेट स्कूल शिक्षकों का भी शोषण करने लगे हैं ऐसा ही एक मामला आधारताल स्थित एक लिटिल किंगडम स्कूल का है जहां पिछले दिनों बिना नोटिस और कारण बताए स्कूल मैनेजमेंट द्वारा स्कूल के 5 शिक्षकों को बिना वेतन दिए निकाल दिया । शिक्षकों द्वारा बार बार अपनी सैलरी के लिए मैनेजमेंट से चर्चा करने की कोशिश की परंतु किसी भी प्रकार से कोई जिम्मेदाराना जबाब नहीं दिया गया और बाद में फोन उठाना ही बंद कर दिया है । स्कूल‌ के इस कदम से टर्मिनेट किए शिक्षकों का अब घर चलाना मुश्किल हो गया है।

क्या है मामला – शिक्षिका द्वारा मामले को लेकर जानकारी दी गई। शिक्षिका का कहना था कि वह 12/07/2023 से लिटिल किंगडम स्कूल रामनगर में इंग्लिश शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।विगत 28/02/2025 को सी.बी.एस.ई. कक्षा 10 वी के मूल्यांकन के लिए शिक्षक को महर्षि विद्या मंदिर लामती में स्कूल का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था जो 17/03/2025 को पूर्ण होना था।इस बीच 6-7 मार्च को फ़रवरी महीने का वेतन आना चाहिए था, जो नहीं मिला। जिसकी जानकारी उसने मैसेज के माध्यम से स्कूल प्राचार्य से चाही, उनका जवाब ना मिलने के कारणवश उनसे मिलने स्कूल गये वहाँ प्राचार्य ने सीबीएसई ड्यूटी पर जाने को कहा और गुरुवार को काउन्सलर से मिलने को स्कूल बुलाया। 13/03/25 को काउन्सेलर ने शाम तक सैलरी क्रेडिट करने का आश्वासन दिया। फिर प्राचार्य ने अचानक स्कूल ड्यूटी से टर्मिनेट कर दिया और सीबीएसई ड्यूटी जाने के लिए कहा।अब सैलरी के लिए पूछने पर कोई सुनिश्चित जवाब नहीं दे रहे हैं और ना ही सैलरी क्रेडिट होने का कोई समय दे रहे हैं। फ़रवरी महीने की 21 दिन, मार्च महीने के 18 दिन और सिक्योरिटी डिपाजिट मिला कर लगभग 70000/- रुपये स्कूल की तरफ़ बकाया हैं। ऐसी ही हरकत स्कूल प्रबंधन द्वारा अन्य चार शिक्षकों के साथ की गई ।

वेतन रोकने का कोई प्रश्न ही नहीं -प्रिंसिपल
यश भारत से बातचीत के दौरान स्कूल की प्राचार्या हिना रावल ने बताया कि शिक्षकों के वेतन रोकने की बात पूर्ण रूप से गलत है हमारे द्वारा इन शिक्षकों से मामले से संबंधित ज़बाब मांगा है अगर वे नोटिस का जवाब दे देते हैं तो हम वेतन दे देंगे।

नहीं मिला कोई भी नोटिस
नाम न छापने की शर्त पर प्राचार्या द्वारा दिए गए नोटिस पर शिक्षिका ने बताया कि हमें किसी भी प्रकार का कोई नोटिस नहीं मिला।हमें पहले सेलरी देने आश्वासन दिया गया फिर कुछ 9 वी कक्षा के कापी बंडल जमा करने की बात कही गई जिस पर शिक्षिका ने स्कूल प्रबंधन को याद दिलाया कि बिना कापी बंडल जमा किए बच्चों का रिजल्ट घोषित कैसे हो गया। कापी बंडल का कोई मुद्दा ही नहीं था जिसके बाद प्रचार्या ने स्कूल आकर बात करने की बात कही और हमने स्कूल जाकर पूरे प्रोटोकॉल के तहत अपनी आपत्तियां दर्ज कराई और प्रिंसिपल से सैलेरी न देने के कारणो को लिखित में देने की बात कही पर प्रिंसिपल ने टालमटोली दिखाकर मामले से पल्ला झाड़ लिया।

जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन में की शिकायत
शिक्षकों के बार बार प्रयास करने के बाद जब उन्हें स्कूल प्रबंधन से कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने कलेक्टर आफिस में जाकर स्कूल प्रबंधन की कलेक्टर से शिकायत दर्ज करवाई है जहां से कलेक्टर द्वारा उन्हें जनसुनवाई में जांच का आश्वासन दिया गया है इसके अलावा इन शिक्षकों सीएम हेल्पलाइन पर स्कूल मैनेजमेंट की कंप्लेन की है।

डिपाजिट गबन करने की बात -मामले को लेकर एक गंभीर बात सामने आई है जहां शिक्षकों की वेतन नहीं दिया गया है वहीं दूसरी तरफ स्कूल ज्वॉइन करने के पूर्व शिक्षकों से कुछ पैसे डिपॉजिट के रूप में भी जमा करवाया जाता है अब स्कूल मैनेजमेंट इस डिपाजिट को भी देने से इंकार कर रहा है और इसके पहले भी कई शिक्षकों के स्कूल प्रबंधन द्वारा डिपाजिट के पैसे दबा लिए गए जिसके बाद बहुत से शिक्षक अपने डिपाजिट के पैसे के लिए स्कूल के चक्कर काट रहे हैं जिनके पैसे आज तक नहीं मिले हैं।

एडमिशन करवाने का टारगेट -एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बहुत बार हमसे कहा गया कि अगर कोई शिक्षक 10 नए प्रवेश लाता है, तो उसे आधा वेतन दिया जाएगा और जो 20 नए प्रवेश लाएगा , उन्हें पूरा वेतन मिलता है, इस प्रकार से इन निजी स्कूलों ने कैसे वेतन को नए प्रवेश लाने के लिए कमीशन में बदल दिया ।

घर-घर जाकर करो प्रचार ,फीस की करो वसूली
वहीं दूसरी तरफ एक ओर शिक्षक बताते है कि पहले भी, शिक्षकों को घर-घर जाकर प्रचार करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उनके साथ अक्सर दुर्व्यवहार और अपमान किया जाता है। “नए दाखिले लाने के अलावा, उन्होंने शिक्षकों से अभिभावकों से बकाया फीस वसूलने को भी कहा है। उदाहरण के लिए, किसी खास स्कूल में अगर 2-3 लाख रुपये बकाया हैं, तो शिक्षक से कहा जाता है कि अगर वह अभिभावकों से 50,000 रुपये वसूल लेता है, तो उसे वेतन मिल जाएगा। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि “कॉर्पोरेट स्कूल व्यवसाय की तरह चलते हैं। अगर उन्हें कुछ पैसे मिलते हैं, तो ही वे हमें भुगतान करेंगे,”

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