JABALPUR NEWS- बड़ेरिया मेट्रो प्राइम के चिकित्सकों का सफल प्रयास एक्मो मशीन ने बच्चे को दिया नया जन्म
जबलपुर, यशभारत। एक ग्यारह वर्षीय बालक के माता पिता ने कहा कि अब अस्पताल से छुट्टी के दिन मनाएंगे बच्चे का जन्मदिन, क्योंकि इस दिन ही उसे मिला है नया जीवन। पन्ना में बिच्छू के डंक मारने से एक बच्चे के प्राण संकट में आ गए। अत्याधिक विपरीत परिस्थितियों में उसके माता पिता उसे लेकर जबलपुर के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल पहुंचे। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों के अथक प्रयास और एक्मो मशीन के सहयोग से उसकी जान बचा ली गई ।
बच्चे के परिवार ने अस्पताल से छुट्टी वाले दिन को बच्चे का नये जन्म दिन के रूप में, बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के चिकित्सा विशेषज्ञों,स्टाफ और परिवार के सदस्यों के साथ केक काटकर उल्लासपूर्वक मनाया।
बच्चे के परिजनों ने कहा कि गंभीर परिस्थितियों से जीवनदान प्राप्त करने पर, आज का दिन वास्तव में हमारे बेटे का नया जन्म ही है, इसलिए अब हम आज से इसी दिन इसका जन्मदिन मनाएंगे।
क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ शैलेंद्र राजपूत ने बताया कि बिच्छु के काटने से कई केसेज में शरीर में कैटिकोलामाइंस की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे छोटे बच्चों में दिल पूरी तरह से बंद हो जाता है जिसे हम टॉक्सिक मायोकार्डाइटिस कहते हैं। इस केस में टॉक्सिक मायोकार्डाइटिस के कारण बच्चे का हार्ट 5 से 10 परसेंट ही काम कर रहा था। हमारे चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम ने मध्यभारत की इस पहली इक्मो मशीन के सहयोग से एक्स्ट्राऑर्डिनरी प्रयास कर बच्चे को बचा लिया। पूरी टीम को हार्दिक बधाई
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों बड़ेरिया मेट्रो प्राइम मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में बिच्छू के काटने के 45 घंटे बाद, पन्ना निवासी 11 वर्षीय बालक नेपाल सिंह बहुत ही गंभीर हालत में भर्ती हुआ। सभी जांच करने के पश्चात ज्ञात हुआ कि बिच्छू का जहर उसके पूरे शरीर में फैल चुका है। जिसकी वजह से उसकी नाड़ी और बी.पी. दोनों नहीं मिल रहे थे। ईको करने के पश्चात पता चला कि उसका ह्रदय मात्र 5 से 10 प्रतिशत ही काम कर रहा था । तब डॉ. शैलेन्द्र सिंह राजपूत ने निर्णय लिया कि इस बालक की जान बचाने के लिये एक्मो मशीन (अत्याधुनिक लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम) पर लेना जरूरी होगा। एक्मो मशीन के लिये कैनुला की जरूरत होती है। बच्चे की उम्र कम होने के कारण उस साइज का कैनुला उपलब्ध नहीं था। तब दिल्ली, मुबई, चैन्नई, नागपुर, भोपाल आदि सभी जगह प्रयास किया गया ,लेकिन उस साइज के कैनुला उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। तब मेडिसिन व् क्रिटिकल विशेषज्ञ डॉ. शैलेन्द्र सिंह राजपूत, कार्डियक सर्जन डॉ. सुधीर चौधरी, कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. दिलीप तिवारी, एनेस्थोलॉजिस्ट डॉ. सुनील जैन आदि सभी ने मिलकर विचार विमर्श के बाद
त्वरित निर्णय लिया कि बच्चे को सीधे हृदय और फेफडे से कैनुला डालकर एक्मो मशीन के सपोर्ट पर लिया जाएगा। हालाँकि यह प्रक्रिया बहुत जटिल और जोखिम पूर्ण थी लेकिन मरीज का जीवन बचाने के लिये और कोई विकल्प नहीं था,अतः इसी प्रक्रिया का पालन किया गया। बच्चे को रात्रि 2 बजे इस प्रक्रिया के द्वारा एक्मो मशीन पर ले लिया गया और लगभग 5 दिन मरीज को एक्मो मशीन पर रखा गया। जिससे उसका बिगड़ा हुआ बी.पी. भी मेंटेन हो गया और बी.पी. न होने से किडनी, लीवर और ब्रेन में जो परेशानी आ रही थी, वह भी दूर हो गयी। पांच दिनों में ही उसके हृदय ने 40 से 45 प्रतिशत काम करना आरंभ कर दिया। जिससे पांचवे दिन पेशेंट को एक्मो मशीन से बाहर ले लिया गया. दूसरे दिन वैंटिलेटर से बाहर ले लिया गया और लगभग पांच-सात दिन में बच्चा पूर्णतः स्वस्थ होकर अस्पताल से अपने घर लौट गया।