आरोपियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाए म.प्र उच्च न्यायालय ने एसपी को मिले अभिमत पर दिया फैसला
जबलपुर यशभारत।याचिकाकर्ता राजेश जैन द्वारा पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ की गई शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने पर प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर याचिका में माननीय न्यायमूर्ति विशाल धगट ने एसपी को लोक अभियोजक और सीएसपी ओमती संभाग से मिले अभिमत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
राजेश कुमार जैन की ओर से अधिवक्ता सुश्री सीवी राव और शासन की ओर प्रदीप सिंह उपस्थित रहे।
मामला इस प्रकार बताया जाता है कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों के खिलाफ शिकायत देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।लेकिन तत्कालीन नगर निरीक्षक ओमती थाना ने एफआईआर दर्ज नहीं की।इस पर याचिकाकर्ता ने उच्चन्यायालय की शरण ली।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पूर्व में नगर निरीक्षक ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया था, इसलिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154(3) के तहत पुलिस अधीक्षक के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया। पुलिस अधीक्षक ने नगर पुलिस अधीक्षक ओमती और लोक अभियोजक से अभिमत प्राप्त किया। लोक अभियोजक ने अभिमत दिया कि प्रथम दृष्टया आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420 एवं 120-बी के तहत अपराध का मामला बनता प्रतीत होता है। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि मामले में आरोपी को पक्षकार नहीं बनाया गया है। आरोपी को सुनवाई का अवसर दिए बिना, याचिका पर निर्णय नहीं हो सकता।
चूंकि पुलिस अधीक्षक के पास नगर पुलिस अधीक्षक ओमती संभाग, जबलपुर की रिपोर्ट और लोक अभियोजक की राय है कि प्रथम दृष्टया अपराध बनता है, इसलिए पुलिस एफआईआर दर्ज करने के लिए बाध्य है। अतः भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 120-बी के तहत पुलिस को तदनुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर करने और मामले की जांच के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया जाता है।इसके साथ ही याचिका का निपटारा किया।