ग्वालियरजबलपुरभोपालमध्य प्रदेशराज्य

EXCLUSIVE : चित्रकूट में महापर्व के दौरान लगता है ऐतिहासिक गधों का मेला :  फिल्मी सितारों के नाम से बिकते हैं गधे और खच्चर, इस बार लारेंस विश्नोई भीआया 

सतना|  चित्रकूट में दीपदान मेले का आज चौथा दिन है।दीपावली मेले के दूसरे दिन अन्नकूट से मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा मेला (बाजार)लगता चला आ है। गधों का यह ऐतिहासिक मेला मुगल शासक औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा है। गधों के इस बाजार में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं।

– धार्मिक नगरी चित्रकूट में पांच दिवसीय दीपावली मेला पर्व में दीपदान के दूसरे दिन अन्नकूट से पशुधन की धूम है।और गधों के मेले में रौनक बिखरी पड़ी है।चित्रकूट की मंदाकिनी नदी के किनारे हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों का मेला लगा है। जिसकी बाकायदा नगर परिषद चित्रकूट द्वारा व्यवस्था की जाती है। मेले में देश के कोने-कोने से गधा व्यापारी अपने पशुओं के साथ आए हैं। सबसे खास बात यह है कि इस मेले में फिल्मी सितारों के नाम से गधों और खच्चरों को खरीदा और बेचा जाता है, इनके नाम शाहरुख, सलमान,कैटरीना,माधुरी होते हैं। गधों के बाजार में इस बार गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई नाम का खच्चर आया है। इस बार सबसे अधिक अभी तक शाहरुख़ खान 80 हजार में बिका है। जबकि यहाँ अभी तक सबसे ज्यादा कीमत लॉरेंस विश्नोई की एक लाख पच्चीश हजार है।मुगल शासक औरंगजेब के समय से चली आ रही गधा बाजार की यह परंपरा मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले की बहुत पुरानी है। इस मेले की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब द्वारा की गई थी। औरंगजेब द्वारा चित्रकूट के इसी मेले से अपनी सेना के बेड़े में गधों और खच्चरों को शामिल किया गया था। इसलिए इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है। इस मेले में एक लाख तक के गधे बिकते हैं।

सुविधाओं का है टोटा- मुगल काल से चली आ रही ये परंपरा सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खात्मे की कगार पर है। नदी के किनारे भीषण गंदगी के बीच लगने वाले इस मेले में व्यापारियों को न तो पीने का पानी मुहैया होता है, और न ही छाया। दो दिवसीय गधा मेले में सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक के जवान नहीं लगाए जाते। वहीं व्यापारियों के जानवर बिकें या न बिकें ठेकेदार उनसे पैसे वसूल लेते हैं। ऐसी हालत में यह ऐतिहासिक गधा मेला अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। धीरे-धीरे व्यापारियों का आना कम हो रहा है। गधा ब्यापरियो द्वारा बताया गया कि मेले में ढेकेदार द्वारा 30 रु प्रति खूंटा जानवर के बाँधने का लिया जाता है।और 600 रु प्रति जानवर इंट्री का लिया जाता हैं।जबकि सुविधा कुछ भी नही दी जातीं।गधों के ब्यापारी इसे अवैध वसूली बताते हैं ।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button