जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

डोरीलाल की चिंता -: कनकटा पुंछकटा गधा

 

पंचत़ं़़त्र की कथा है “गधे का भेजा“
’’’’’’’एक दिन जंगल के राजा शेर को भूख सताने लगी। उसने सियार से कहाः “मेरे भोजन के लिए कुछ न कुछ लाओ। नहीं तो मैं तुम्हें खा लूंगा।“
सियार एक गदहे के पास गया और बोलाः “शेर महाराज कह रहे हैं कि वे अपने राजसिंहासन से उतरकर आपको राजा बनाना चाहते हैं। मेरे साथ चलिए।“
गदहे को देखते ही शेर ने उस पर हमला किया, उसका कान काट लिया, लेकिन गदहा बचकर भागा।
बाद में गदहे ने सियार से कहा “ तुम ने मेरे साथ धोखा किया….।“
सियार ने कहाः “अरे महोदय, बेवकूफी की बात मत कीजिए। आपके सिर पर राज मुकुट रखने के लिए उचित जगह हो जाए, इसलिए महाराज ने आपका कान काटा था।“
गदहे को बात समझ में आ गई। इसलिए वह राजा की ओर लौट गया।
शेर ने फिर हमला किया। इस बार गदहे की पूंछ को काट लिया। किसी तरह जान बचाकर वह सियार के पास गया और बोलाः “तुम झूठ बोलते हो, देखो मेरी पूंछ गई….!“
“अरे आप राज गद्दी में आराम से बैठने पाए, इसलिए पूंछ काट दी गई है।“
राजा के पास लौटने के लिए सियार ने गदहे को बहलाया, फुसलाया, मजबूर किया। राज गद्दी पर बैठाए जाने के मोह में गदहा फिर शेर राजा के सामने आ गया। उसे देखते ही शेर ने उसकी जान ले ली…।
राजा ने सियार से कहाः “तुमने अपना काम बड़ी ईमानदारी से निभाया। अब इस गदहे को ले जाकर, इसका खाल उतारो और उसके शरीर का एक एक हिस्सा मुझे परोसना।“
सियार ने गदहे की खाल उतारी, उसका भेजा स्वयं खा लिया, लेकिन उसके फेफड़े, कलेजा, और दिल राजा के पास पहुंचा दिया।
शेर राजा ने क्रोध से पूछाः “इसका भेजा कहां है?“
सियार ने जवाब दियाः “महाराज, उसके पास भेजा था ही नहीं…। यदि होता तो कान और पूंछ काटे जाने के बाद आपके पास वापस आता…?“
ये पंचतंत्र की कहानी है। कहा जाता है कि लगभग 27 सौ साल पहले विष्णु शर्मा ने इन्हें लिखा है।

सवाल से है कि गधा क्या था ? भोला या मूर्ख या दोनों। डोरीलाल देख रहे हैं पुंछकटा कनकटा गधा एक बार फिर मुकुट पहनने के लिए ललचा रहा है। सियार उसे समझा चुके हैं कि उसके कान और पूंछ सच में उसके राजा बनने में बाधक थे इस लिए उन्हें राजा ने काट दिया है। वो इस बात से कन्विंस हो चुका है। वो राजा के द्वारा खाये जाने के लिये सियारों के झुंड से घिरा हुआ राजा के महल की ओर बढ़ रहा है। उसे समझा दिया गया है उसका जीवन जंगल के लिए समर्पित है। जंगल के लिए उसे अपनी जान भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटना है। उसे जंगलभक्त बने रहना है। किसी भी हालत में उन जंगलद्रोहियों के चक्कर में नहीं फंसना है जो उसे बार बार ये कहते हैं कि पूंछ काटने और कान काटने के बाद अब राजा तुम्हारी जान ले सकता है। वो जंगलभक्ति के जंगल में खो गया है। उसके कानों में पूरे समय ये गूंजता रहता है कि उसे जंगल को बचाना है। हर गधे की जिम्मेदारी है कि वो जंगल को बचाने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दे। इसी चक्कर में वो जंगल की जगह शेर के लिए अपनी जान दे रहा है।

गधा ये भूल चुका है कि जंगल और शेर में बहुत फर्क है। जंगल कभी खत्म नहीं होगा। शेर एक दिन खत्म हो जाएगा। उसकी जगह कोई शेर ही बैठेगा। गधा नहीं बैठेगा। मगर गधा मान चुका है कि उसका राज आने वाला है। वो समझ चुका है कि उसने जो कान और पूंछ गंवाई है वो जंगल के हित में गंवाई है। जंगल का हित सर्वोपरि है। गधों को लगता है कि गधे हैं तो जंगल है। जंगल है तो शेर है। शेर के लिए हम अपना सर्वस्व अर्पित कर देंगे।

डोरीलाल चिन्तित है कि ये गधे ऐसे क्यों होते हैं। इन्हें अपने कान और पूंछ कटाने के बाद भी समझ क्यों नहीं आती। ये रोज सियारों द्वारा बहकाये जाते हैं और शेर द्वारा खाये जाते हैं फिर भी इन्हें क्यों लगता है कि कोई सियार इन्हें बहका नहीं सकता और कोई राजा इन्हें खा नहीं सकता। क्यों इन्हें लगता है कि इनके पास भेजा है। क्यों इन्हें लगता है कि ये वो करते हैं जो ये सोचते हैं। कयों इन्हें समझ नहीं आता कि इनकी सोचने समझने की शक्ति खत्म कर दी गई है। अब जो सियार चाहते हैं वही ये सोचते हैं। गधों को रोज सियार घेर घेर कर शेर के पास ले जाते हैं। गधों की नियति है शेर का भोजन बनना। इसीलिए शेर शेर है और गधा गधा है। सियार सियार हैं। गधा शेर नहीं बन सकता। शेर गधा क्यों बनेगा। उसे पागल गधे ने काटा है क्या ? और सियार न शेर बनना चाहता है न गधा। वो सियार बने रहना चाहता है और गधों का भेजा खाना चाहता है। उसका वही हासिल है।

ढोल नंगाड़े बज रहे हैं। पुंछकटे कनकटे गधे सज रहे हैं। चारों ओर चीपों चीपों ढ़ेंचू ढ़ेंचू का शोर हो रहा है। वे राजमुकुट पहनने से बस कुछ ही कदम दूर हैं। कुछ ही समय बाद उनका भेजा सियार खायेंगे और राजा उनकी खाल उतरवा कर उनका दिल फेफड़े और लिवर खायेगा। अफसोस वो दिन जब आयेगा तब गधे ये देखने के लिए जीवित नहीं रहेंगे।

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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