शोभा की सुपाड़ी बनी जिला उपार्जन समिति, फूड और वेयरहाउसिंग को छोड़कर बाकी टीम का काम सिर्फ साइन करने तक सीमित
जबलपुर यश भारत। पिछले साल की तरह इस साल भी जिला उपार्जन समिति शोभा की सुपाड़ी बनी हुई है। पिछले साल जहां पूरे जिले में बड़े स्तर पर धान उपार्जन में गोलमाल होता रहा और उपार्जन समिति गांधारी की तरह आंखों पर पट्टी बांधे बैठी रही। वैसा ही कुछ इस साल भी हो रहा है जहां खाद्य सुरक्षा विभाग के फूड इंस्पेक्टर और वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के अधिकारी मिलकर मैपिंग की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं और बाकी टीम सिर्फ पहले से तैयार सूचियो पर साइन कर रही है। यही हाल पिछले साल था जब मनमर्जी से केंद्रों की स्थापना हुई थी और जिम्मेदार अधिकारी आंखों पर पट्टी बंधी बैठे रहे वैसा ही हाल इस साल हो रहा है।
मनमर्जी से स्थापित हो गए केंद्र
जिला उपार्जन समिति में शामिल सदस्यों को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि जो 86 उपार्जन केंद्र की स्थापना की गई है, उनका चयन किस आधार पर किया गया है और उसमें कितने लोगों की सहमति ली गई है। जिसके चलते उपार्जन केंद्रों को लेकर विवाद भी सामने आने लगे हैं। जिसमें कुछ चुनिंदा लोगों को उपार्जन केंद्र देने का मामला सामने आया है वहीं दूसरी तरफ एक ही स्थान पर कई केंद्र स्थापित करने को लेकर भी खबरें सामने आ रही है। जिसको लेकर खाद्य विभाग पूरी जिम्मेदारी वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन की सूची पर डाल रहा है तो वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन खाद्य विभाग के अधिकारियों को चयन के लिए जिम्मेदार बता रहा है। वही बाकी अधिकारी खामोश बैठे हुए हैं क्योंकि उन से तो सिर्फ साइन कराए गए हैं उन्हें कोई भी जानकारी नहीं दी गई है।
हम सिर्फ साइन करते हैं
कोई एक अधिकारी यह कहे तो समझ में भी आता है कि उसे दर किनार कर दिया गया होगा, लेकिन जिला उपार्जन समिति में तो कृषि, नागरिक आपूर्ति, विपणन, नेशनल इनफॉरमेशन सेंटर, सहकारिता सभी को दरकिनार कर दिया गया है। अधिकारी तो स्पष्ट कह रहे हैं न तो हमसे कोई सलाह ली जाती है और न ही हमारा कोई सुझाव माना जाता है। हमारे पास तो फाइल भेज दी जाती है और उस पर हमें साइन करना होता है। इसके आगे हमें कोई जानकारी नहीं होती। ऐसे ही हल पिछले साल थे और अब वही हाल इस साल है।