पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा : भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना, लाखों भक्त हुए यात्रा में शामिल
जगन्नाथ जी, सुभद्रा जी और बलभद्र जी आठ दिनों तक अपनी मौसी के मंदिर में रहेंगे, भगवान जगन्नाथ के रथ के सारथी दारुक हैं, इस रथ के रक्षक गरुड़ और नृसिंह हैं
1 जुलाई उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो गई है। सबसे आगे वाला रथ बलभद्र का है, बीच में बहन देवी सुभद्रा और इसके बाद भगवान जगन्नाथ का रथ है। तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचेगे और जगन्नाथ जी, सुभद्रा जी और बलभद्र जी आठ दिनों तक अपनी मौसी के मंदिर में रहेंगे।
रथ यात्रा की रस्में सुबह मंगला आरती और पूजा के साथ शुरू हुई। फिर भगवान को भोग लगाया गया। सुबह 7 बजे भगवान जगन्नाथ बड़े भाई और बहन के साथ मंदिर से बाहर आए। इसके बाद रथ प्रतिष्ठा की रस्म हुई।
हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से ये यात्रा शुरू होती है। आषाढ़ शुक्ल दशमी पर ये तीनों रथ गुंडिचा मंदिर से फिर से मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं।
रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा के तीन अलग-अलग रथ होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ के सारथी दारुक हैं। इस रथ के रक्षक गरुड़ और नृसिंह हैं। रथ में जय और विजय नाम के दो द्वारपाल भी होते हैं। जगन्नाथ जी के रथ पर हनुमान जी और भगवान नृसिंह का चिह्न बनाया जाता है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी शहर का भ्रमण करते हुए जगन्नाथ मंदिर से जनकपुर के गुंडीचा मंदिर पहुंचते हैं। यहां भगवान की मौसी का घर है।