आज डूबते और कल सुबह उगते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, सूर्योपासना के महापर्व छठ को लेकर उपनगरीय क्षेत्रों में चहल-पहल
कटनी, यशभारत। सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन आज शाम गुरूवार की डूबते सूर्य को अध्र्य दिया जाएगा। इस दौरान उत्तर भारतीय परिवारों की महिलाओं द्वारा छठ मैया की विशेष उपासना की जाएगी। नदीघाटों में विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी और कल शुक्रवार की सुबह ऊगते सूर्य को अध्र्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा। शहर में छठ की विशेष पूजा गायत्री नगर के सिमरौल नदी स्थित बाबा घाट व उपनगरीय क्षेत्र छपरवाह स्थित सिमरौल नदी के हनुमान घाट चक्की घाट में की जाएगी। दोनों ही जगह नदी घाटों को साफ-सफाई करने के साथ ही दुल्हन की तरह सजाया गया है तथा आकर्षक विद्युत साज सज्जा की गई है।
छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार मुख्यत: सूर्य देव को समर्पित है। छठ पूजा के दौरान सूर्य देव की 4 दिन तक पूजा की जाती है। छठ पूजा मुख्यत: बिहार, उत्तरप्रदेश एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में मनाई जाती है। छठ पूजा का व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा संतान की सलामती और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। छठ पूजा के चौथे व अंतिम दिन कल सुबह सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को अध्र्य देकर चार दिवसीय छठ पूजा का समापन होगा। एनकेजे क्षेत्र से होकर गुजरी जंलगार नदी में बजरंग कालोनी में निवास करने वाले उत्तर भारतीय लोगों द्वारा छठ पूजा की जाती है। शहर में रहने वाले कटाएघाट, मोहनघाट व मसुरहा में भी छठ पूजा करते हैं। कुल मिलाकर पिछले कुछ वर्षों से सूर्योपासना का महापर्व छठ शहर व उपनगरीय क्षेत्रों में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा है। चार दिनों के इस महापर्व की शुरुआत मंगलवार को को नहाय खाय के साथ हुई थी। पहले दिन महिलाओं ने नदी घाटों में डुबकी लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया और पर्व की शुरुआत की,वहीं कल खरना मनाया गया। छठ पूजा पर्व पर बाबाघाट, मंगलनगर एवं छपरवाह घाट में मेले का आयोजन किया गया है। यहां पर बच्चों के खिलौने, गृहस्थी का सामान, गन्नों की दुकान, झूला लगाए गए हैं, जिसका बच्चे जमकर लुत्फ उठाएंगे। इसके अलावा व्यंजनों के स्टॉल लगेंगे, जिनका लोग स्वाद चख पाएंगे।
छठ पूजा के नियम
छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जिसे पूरे परिवार को एक साथ मिलकर मनाया जाता है। साफ-सफाई, पवित्रता और पर्यावरण इन बातों का ख्याल रखना होता है। किसी को छुएं तो हाथ धोना अनिवार्य है। अगर कोई शौचालय जाता है तो उसे नहाना होता है, तभी वह पर्व में शामिल हो पाता है। इस पर्व के बहुत सख्त नियम हैं। व्रती महिलाओं की आस्था और उनका छठी मईया के प्रति विश्वास ही है कि चार दिनों तक उपवास रखते हुए पर्व को करती हैं।
सूर्य को अर्घ्य के बाद व्रत तोड़ेंगी महिलाएं
पर्व के तीसरे दिन आज शाम डूबते हुए सूर्य को अध्र्य दिया जाएगा। घाट पर बच्चे, बूढ़े, जवान सभी एक साथ पहुंचते हैं। अध्र्य में लोग दूध और जल सूर्य देवता को अर्पित करते हैं। शाम को डूबते हुए सूर्य को अध्र्य के बाद दूसरे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अध्र्य देने के बाद व्रती महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं, जिसमें पहले वो पानी में घोलकर चीनी और नींबू का शरबत लेती हैं। बाद में अन्न ग्रहण करती हैं। इसके साथ ही यह व्रत और छठ पूजा संपन्न हो जाती है।