जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

10 किलो वाले अग्निशमन यंत्रों से मेडिकल की बुझेगी आग: फायर फाइटिंग सिस्टम को तरसता मेडिकल

एक साल पहले शासन को भेजा जा चुका है प्रस्ताव, आग लगने के बाद ही दौंड़ेंगे कर्मी, अलर्ट के लिए कोई व्यवस्था नहीं

जबलपुर, यशभारत। भोपाल के हमीदिया अस्पताल हादसे के बाद पूरे प्रदेश के अस्पताल में अलर्ट जारी कर दिया गया है। सही भी है अनहोनी के पहले जाग जाना है। लेकिन दुर्घटना होने के बाद जागना कही की चतुराई नहीं है। सरकारी अस्पताल पुराने ढर्रें पर ही चल रहे हैं। प्रदेश का सबसे पुराने नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल अस्पताल जबलपुर की बात करें तो यहां 10 किलो के अग्निशमन यंत्रों से आग बुझाने की तैयारी में हमेशा कर्मचारी तैनात रहते हैं। यही नहीं इतना पुराने अस्पताल के पास फायर फाइटिंग सिस्टम भी नहीं है। शार्ट सर्किंट या फिर आग लगने पर मेडिकल कर्मचारियों को उस वक्त सूचना मिलेगी जब धुआं उठने लगेगा। हालांकि मेडिकल प्रबंधन ने फायर फाइटिंग सिस्टम के लिए एक प्रस्ताव शासन को 2020 दिसंबर में भेज दिया है लेकिन शासन से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।

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70 का लाख प्रोजेक्ट, बच जाएगी कई जानें
मेडिकल प्रबंधन ने फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने के लिए चिकित्सा विभाग को 70 लाख का प्रोजेक्ट बनाकर भेजा है। यह सिस्टम लग जाएगा तो आग या शार्ट सर्किट होने पर मरीजों की जान आसानी से बचाई जा सकती है।

क्या है फायर फाइटिंग सिस्टम
फायर डिटेक्शन सिस्टम में सेंसर लगे रहते हैं। ये सेंसर धुएं को लेकर अतिसंवेदनशील हैं, जो मामूली से धुएं भी एक्टिवेट हो जाते हैंं। धुंए के सिग्नल मिलते ही ये सेंसर फायर पैनल को संदेश भेजते हैं। फायर पैनल से संदेश मिलने पर फायर अलार्म बज उठता है और संबंधित डिपार्टमेंट की विद्युत सप्लाई ऑटोमैटिक बंद हो जाती है। इसके साथ ही एंटी फायर सिस्टम भी एक्टिवेट हो जाता है और वॉटर टैंक से कनेक्ट सिस्टम से पानी की बौछार भी शुरू हो जाती है। इससे आग को बेकाबू होने से रोका जा सकेगा।

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जबलपुर स्थित शासकीय जिला चिकित्सालय के चिल्ड्रन वॉर्ड के गेट को देखकर लगता है कि यहां खतरा डेरा डाले बैठा है. प्रवेश द्वार में ही 440 वॉट का स्विच बोर्ड लगा हुआ है जो खुद अपने आप में खतरा है.

यहां गेट पर ही मंडरा रहा खतरा
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में हुए अग्निकांड में कई मासूमों की जान चली गई, सरकारी अस्पताल में इस दुर्घंटना ने सुरक्षा सुविधाओं की पोल खोल दी। जबलपुर जिला अस्पताल में तो चिल्ड्रन वॉर्डं के गेट पर ही खतरा पहरा दे रहा है।

 

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मुंह जुबानी दिया गया प्रशिक्षण
यशभारत की टीम ने मेडिकल अस्पताल पहुंचकर अग्निहादसा सुरक्षा के इंतजाम देखे तो बच्चा वार्ड और पुरानी बिल्ंिडग नर्सरी वार्डों में अग्निशमन यंत्रों तो लगे है परंतु उन्हें चलाने का तरीका किसी को नहीं पता। टीम ने वार्ड में तैनात कर्मचारियों से पूछा तो उनका कहना था कि फरवरी माह में प्रशिक्षण मिलता है लेकिन कैसे चलाया जाता है इसकी जानकारी नहीं है।

फायर एनओसी कितने अस्पतालों के पास रिकार्ड ही नहीं
स्वास्थ्य विभाग का अमला अग्रि हादसों को लेकर किस तरह की लापरवाही बरत रहा है अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पतालों के पास फायर एनओसी ही नहीं लेकिन इसका रिकार्ड ही विभाग के पास नहीं है। बताया जा रहा है कि अधिकांश अस्पतालों के पास फायर एनओसी ही नहीं है।

 

इनका कहना है

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मेडिकल अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है। अग्रि हादसे की पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है। समय-समय पर कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण दिया जाता है।
डॉक्टर राजेश तिवारी, अधीक्षक मेडिकल अस्पताल

 

 

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दिसंबर 2020 में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा चुका है। अग्रि हादसे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता है। शासन की अनुमति मिलते ही मेडिकल में फायर सिस्टम लगाया जाएगा।
डॉक्टर पीके कसार,डीन मेडिकल अस्पताल

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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