सात फेरों पर GST , 7 लाख तक की शादी में 1 लाख से ज्यादा का टैक्स
शादियों का सीजन शुरू हो चुका है। शादी चाहे लड़के की हो या लड़की की, हर कोई अपने अरमान पूरे करना चाहता है। इसलिए जितना संभव हो सकता है, उतना ज्यादा पैसा खर्च करता है। लेकिन एक शादी पर आने वाले कुल खर्च में केवल शादी से जुड़े खर्चे ही नहीं बल्कि टैक्स भी शामिल रहता है। यह टैक्स, जीएसटी की मद में होता है और विभिन्न प्रकार की सर्विसेज के एवज में रहता है। एक आम शादी पर अगर औसतन 7 लाख रुपये तक खर्च हो रहे हैं, तो इसमें 1 लाख रुपये से ज्यादा का तो जीएसटी ही शामिल रहता है।
शादी समारोह के प्रमुख खर्चों में कपड़े-फुटवियर, ज्वैलरी, मैरिज हाॅल, टेंट-पंडाल, सजावट-लाइट्स, वीडियोग्राफी, बैंड-बाजा, ब्यूटी पार्लर, कैटरिंग, शादी कार्ड आदि शामिल रहते हैं। इन सब पर जीएसटी रेट की दरों का आकलन करें तो 7 लाख रुपये तक की शादी में 1 लाख रुपये से ज्यादा का तो जीएसटी ही जाएगा। हां यह बात अलग है कि जीएसटी की दर सर्विस प्रोवाइडर्स की ओर से बताए गए रेट में शामिल रहती है।
जीएसटी की हिस्सेदारी
अगर एक आम शादी में मैरिज गार्डन पर खर्च 1.50 लाख रुपये आता है तो इसमें जीएसटी की हिस्सेदारी 27000 रुपये हुई। 50000 रुपये के टेंट के खर्च में जीएसटी की हिस्सेदारी 9000 रुपये हुई। कैटरिंग सर्विसेज पर अगर 1.50 लाख का खर्च आता है तो जीएसटी की हिस्सेदारी 27000 रुपये बैठती है। इसी तरह अगर 1.50 से 2 लाख रुपये की गोल्ड ज्वैलरी खरीदते हैं तो उसमें जीएसटी की हिस्सेदारी 3000 से 4000 रुपये रहेगी। इस तरह एक औसतन शादी में अगर 7 लाख रुपये तक का खर्च आता है तो उसमें 1 लाख रुपये तक का तो जीएसटी ही रहेगा।