भोपालमध्य प्रदेश

सम्पूर्ण नर्मदा परिक्रमा के बराबर है उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा का फल : व्यासनारायण मंदिर में संकल्प लेकर श्रृद्धालुओं ने की यात्रा प्रारंभसम्पूर्ण नर्मदा परिक्रमा के बराबर है उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा का फल

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मंडला lमां नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा का शुभारंभ, व्यास नारायण मंदिर में संकल्प लेकर श्रृद्धालुओं ने की यात्रा प्रारंभ
नर्मदा नगरी मंडला में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा विगत पांच वर्ष से की जा रही है। माहिष्मति मां नर्मदा उत्तरवाहिनी परिक्रमा आयोजन समिति के तत्वावधान में उत्तर वाहिनी नर्मदा परिक्रमा गुरूवार को प्रात: मंडला नगर के व्यास नारायण मंदिर में संकल्प लेकर यात्रा प्रारंभ की गई। दो दिवसीय इस नर्मदा परिक्रमा यात्रा में शामिल श्रृद्धालुओं ने किलाघाट से मां नर्मदा को नाव से पार करके दूसरे तट पर पुरवा स्थित मां सरस्वती प्रस्त्रवण तीर्थ दक्षिण तट पहुंचे। जहां कृष्ण मंदिर में पूजन के बाद नर्मदा बंजर संगम स्थल महाराजपुर संगम से होते हुए घाघी के लिए नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा प्रारंभ की।

जानकारी अनुसार उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा की यात्रा व्यास नारायण मंदिर किलाघाट से सुबह 5.30 बजे श्रद्धालु एकत्रीत हुए, जहां संकल्प पूजन कराया गया। सतखंडा घाट महाआरती से तट परिवर्तन सुबह करीब 6.30 बजे कराया गया। संगमघाट महाराजपुर में 7.30 बजे स्वल्पाहार के बाद यात्रा आगे बढ़ी। कारीकोन तिराहा में स्वागत किया गया। इसके बाद घुंघरू वाले बाबा आश्रम मानादेही में परिक्रमावासी थोड़ा विश्राम किये। इसके बाद खेरमाई मंदिर स्कूल परिसर, सिलपुरा में दोपहर भोजन विश्राम किया गया। परिक्रमावासियों ने बताया कि उत्तरवाहिनी परिक्रमा का जगह-जगह स्वागत किया गया। भक्तों द्वारा सभी के लिए व्यवस्थाएं की। सिलपुरा से आगे बढ़ते हुए श्री निर्भय आश्रम घाघा, शासकीय हायर सेकेंड्री स्कूल घाघा, पुरुषोत्तम दास आश्रम-घाघी, गर्म पानी कुंड-बबैहा, शास हाई स्कूल-ग्वारी में संध्या आरती, रात्रि भोजन व विश्राम की व्यवस्था की गई है। आज 28 मार्च को घाघा-घाघी रात्रि विश्राम वाले यात्रियों का तट परिवर्तन किया जाएगा। इसके बाद कटरा, बिंझिया, उदय चौक आदि स्थानो में श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाएगा। आज शुक्रवार की शाम को श्री व्यास नारायण मंदिर किलाघाट में यात्रा का समापन किया जाएगा।

तीन स्थान पर ही उत्तरवाहिनी है माँ नर्मदा

आयोजन समिति ने यात्रा के संदर्भ में बताया कि मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से खंबात की खाड़ी तक मां नर्मदा का प्रवाह कभी उत्तर और कभी दक्षिण दिशा की ओर है। अमरकंटक से खंबात की खाड़ी तक के पूरे नर्मदा क्षेत्र में तीन स्थान ऐसे हैं। जहां मां नर्मदा उत्तरवाहिनी हुई हैं। इनमें से एक गुजरात में तिलकवाड़ा, दूसरा मंडला और तीसरा ओंकारेश्वर के पास का स्थान है। गुजरात के तिलकवाड़ा में उत्तरवाहिनी परिक्रमा वर्षो से की जा रही है।

सम्पूर्ण नर्मदा परिक्रमा के बराबर पुण्यदायक

उन्होंने बताया कि मंडला में मां नर्मदा के दक्षिण तट में संगम घाट से घाघी तक या उत्तर तट के अनुसार किले घाट से बबैहा तक करीब 21 किमी तक का प्रवाह उत्तर दिशा की ओर है, और चैत्र मास में की गई। उत्तरवाहिनी नर्मदा की परिक्रमा को शास्त्रों में सम्पूर्ण नर्मदा की परिक्रमा के बराबर पुण्यदायक बताया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए समिति द्वारा विगत वर्ष से उत्तरवाहिनी परिक्रमा का आयोजन किया जा रहा है। इस बार आयोजित परिक्रमा में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात राजस्थान, दिल्ली सहित प्रदेश भर से करीब 500 लोग शामिल हुए हैं।

आज शाम होगा समापन

बताया गया कि गुरूवार प्रात: प्रारंभ हुई यात्रा शाम को घाघा-घाघी पहुंची, जहां रात्रि विश्राम कर अगली सुबह शुक्रवार को नर्मदा पार कर बबैहा गरम पानी कुण्ड पहुंचेगी। जहां से ग्वारी, फूलसागर, तिंदनी, गाजीपुर, कटरा, गौंझी, देवदरा होते हुये व्यास नारायण मंदिर पहुंचकर शाम को यात्रा का समापन होगा। जहां यात्रा के समापन पर प्रसादी का वितरण किया जाएगा।

जगह-जगह सेवादारों ने दी सेवा

बताया गया कि माँ नर्मदा के भक्त उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा में शामिल सभी परिक्रमावासियों के लिए परिक्रमा पथ में सेवा करते नजर आए। कोई सेवादार फल बांट रहा था, तो कोई चाय पिला रहा था और कोई ठंडा पानी परिक्रमावासियों को उपलब्ध करा रहे थे। पंताजलि योग समिति परिवार द्वारा उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमावासियों के लिए फल की व्यवस्था कर उन्हें फल वितरित की।

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