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लोकायुक्त के आरोपी ने प्राचार्योंं का लिया इंटरव्यू, विवादित पूर्व डीईओ को बनाया प्रभारी अधिकारी

मजाक बन गई सीएम राइज स्कूल में शिक्षक-प्राचार्योंं की नियुक्ति

जबलपुर, यशभारत। निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए मप्र सरकार सीएम राइज स्कूल योजना लेकर आई है। इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था को बेहतर बनाना है। इसके लिए शिक्षक और प्राचायोज़्ं की अलग से नियुक्ति हो रही है। लेकिन इस प्रक्रिया में उस वक्त सवाल खड़े हो रहे जब लोकायुक्त के आरोपी द्वारा प्राचायोज़्ं का साक्षात्कार लिया गया है। जबकि लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त ने जारी आदेश में स्पष्ट कहा कि कोई शिक्षक-प्राचायज़् इस योजना में शामिल नहीं होगा जिन पर लोकायुक्त या फिर गंभीर प्रकरणों की जांच लंबित है।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी  संघ के प्रांतीय महामंत्री योगेंद्र दुबे ने सीएम राइज योजना के तहत प्राचायोज़्ं के साक्षात्कार पर सवाल खड़े करते हुए लोक शिक्षण संचालनालय को शिकायत भेजी है। शिकायत में कहा गया कि संभागीय लोक शिक्षण संचालनालय संयुक्त संचालक राममोहन तिवारी बीते दिनों महिला प्यून से रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त में ट्रेप हुए हैं। बाबजूद सीएम राइज के जिला प्रभारी धीरेंद्र चतुवेदज़्ी ने लोकायुक्त के आरोपी अधिकारी को साक्षात्कार कमेटी में शामिल कर लिया है।

साक्षात्कार की आड़ में खेल
योगेंद्र दुबे ने शिकायत में कहा कि सीएम राइज स्कूल में प्राचायोज़्ं की नियुक्ति को लेकर खेल हो रहा है। उन प्राचायोज़्ं की नियुक्ति देने की बात हो रही है जो अधिकारियों को अच्छा-खासा पैसा कमा के दे या फिर प्राचायज़् कुसीज़् के लिए पैसा दें।
जरूरत ही नहीं थी आरोपी को कमेटी में लेने की
योगेंद्र दुबे ने कहा कि सीएम राइज योजना मध्यप्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना है लेकिन जबलपुर में शुरू होने के पहले इस योजना में भ्रष्टाचार हावी हो रहा है। लोकायुक्त में फंसे संभागीय अधिकारी राममोहन तिवारी को साक्षत्कार कमेटी में लेने की जरूरत नहीं थी लेकिन भोपाल के अधिकारियों ने जानबूझकर आरोपी को कमेटी में शामिल किया।

प्रभारी अधिकारी भी विवादों में रहे
योगेंद्र दुबे ने कहा कि सीएम राइज के जबलपुर प्रभारी धीरेंद्र चतुर्वेदी इससे पहले साल 2004 से लेकर 2006 तक जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी रहे चुकें है। इस दौरान उन पर कई तरह के आरोप लगे। श्री चतुर्वेदी के जिला शिक्षा अधिकारी रहते हुए इन पर आरोप लगे थे कि 9वीं-11वीं परीक्षा के पेपर आऊट कर दिए गए जिसमें भारी बवाल मचा था जिसकी जांच आज तक लंबित है वहीं कुछ शिक्षकों को निलंबित कर दोबारा बहाल किए जाने का मामला भी तूल पकड़ा था।

कलेक्टर प्रतिनिधि होना जरूरी था
योगेंद्र दुबे ने सीएम राइज साक्षत्कार टीम पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग की प्रत्येक गतिविधियों में कलेक्टर या फिर उनके प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है लेकिन सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के तहत प्राचार्यों के इंटरव्यू हो गए परंतु कलेक्टर प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसकी आड़ में सिर्फ खाईबाजी की गई है।

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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