परिक्रमा के आगे फेल हो रहा पराक्रम, जिलाध्यक्ष के लिए भाजपा में सब पहले से तय, गुट विशेष के बाहर के नेता को फिलहाल कोई मौका नहीं
कटनी। भारतीय जनता पार्टी में जिलाध्यक्ष के चुनाव में ऐसी कोशिश हो रही है कि जरूरी हुआ तो सिर्फ फेस बदला जाएगा, सारा सेटअप वही रहेगा। जमावट इसी हिसाब से की जा रही है कि अभी जो टीम पावर में है, उसके हाथ से संगठन की ताकत खिसकने न पाए। इसीलिए ऐसे नाम प्रदेश स्तर पर पहुंचाए जा रहे हैं, जो अब तक चले आ रहे बनाव के मुताबिक ही हो। सूत्र बताते हैं कि कटनी के संगठन के सारे सूत्र वीडी शर्मा ने अपने हाथ में ले रखे हैं। उन्हें ही तय करना है कि दीपक सोनी टंडन रिपीट होंगे या नहीं। बदलने के लिए ज्यादा दबाव पड़ा तो इसी खेमे का दूसरा नाम सोच लिया गया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि जिले के विधायक टंडन की जगह किसी और को संगठन की कमान सौंपने के पक्ष में है, किंतु यदि वीडी शर्मा ने अपनी ओर से किसी नाम पर विधायकों की सहमति मांगी तो शायद ही कोई विधायक उनकी बात को क्रॉस कर पाए।
भारतीय जनता पार्टी में संगठन चुनाव महज खानापूर्ति होकर रह गए है। नए नाम न मिलने के कारण ज्यादातर बूथ कमेटियों में पुरानी लिस्ट की फोटोकॉपी ही चला दी गई है। मंडल अध्यक्ष को लेकर अवश्य नए सिरे से बिसात बिछाए जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि कई मंडल अध्यक्षों ने दोबारा दायित्व लेने से मना कर दिया है, जबकि मौजूदा स्थिति में पावरफुल बना गुट कुछ मंडल अध्यक्षों को बदलना ही चाह रहा है। यहां अपनी पसंद के नए नाम तलाश लिए गए है। विधायकों ने भी अपनी पसंद के नाम मंडलों के लिए बता दिए है। पार्टी इस बार आगामी समय में महिला आरक्षण को लागू करने की दिशा में बढ़ चुकी है, लिहाजा जिले के 23 में से 2 मंडलों में महिला अध्यक्ष के फार्मूले पर काम होगा। पता चला है कि एक नाम विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र से तथा दूसरी महिला का नाम बहोरीबंद क्षेत्र से लाया जा सकता है। जिलाध्यक्ष के चुनाव के लिए एक नाम पर सहमति बनाने की कोशिशें भी शुरू हो चुकी हैं। ज्यादा घमंचा मचने पर पर्यवेक्षक भेजकर रायशुमारी कराई जाएगी, लेकिन इसका नतीजा भी ऊपर बैठे लोग ही तय करेंगे। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा पावर सेंटर से हटकर किसी दूसरे खेमे के नेता के जिलाध्यक्ष बनने की संभावना कम है। पार्टी में इन दिनों पराक्रम से कहीं अधिक परिक्रमा का बोलबाला है, इसलिए मौजूदा सिस्टम में कुछ नेता फिट नहीं बैठ पा रहे। गौरतलब है कि 15 दिसंबर तक मंडलों में अध्यक्ष तथा 30 दिसंबर तक जिलाध्यक्ष का निर्वाचन हो जाना है।
जिस जिले में आधे मंडल अध्यक्ष बनेंगे, वहीं बन पाएंगे जिलाध्यक्ष
पार्टी ने निर्देश दे दिए हैं कि जिस शहर या जिले में 50 प्रतिशत, यानी आधे मंडल अध्यक्ष घोषित हो जाएंगे, वहीं जिलाध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। प्रदेश संगठन ने इस नियम को अनिवार्य कर दिया है। इसको देखते हुए कटनी में लिस्टिंग तेज कर दी गई है। नियमानुसार दो बार सक्रिय सदस्य रहने वालों को जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। मंडल अध्यक्षों के चुनाव में पूर्ण रूप से पारदर्शिता रखने और किसी भी नेता की सिफारिश नहीं होने के निर्देश संगठन ने दिए हैं, ताकि मंडल अध्यक्ष पूर्ण रूप से संगठन का ही काम करें। इसके साथ ही मंडल प्रतिनिधि का चुनाव भी किया जाएगा, जो जिलाध्यक्ष के लिए वोटिंग करेगा। इसके बाद सभी जिलों में अध्यक्ष चुने जाना हैं। संगठन ने शर्त रख दी है कि जिन जिलों में मंडलों की संख्या के 50 प्रतिशत अध्यक्ष बन जाते हैं, वहीं जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए। अगर 50 प्रतिशत से कम अध्यक्ष बने हैं तो पहले मंडल अध्यक्षों की निर्वाचन प्रक्रिया पूरी की जाए। इस बार अध्यक्ष की उम्र भी बढ़ाकर 60 साल कर दी गई है, लेकिन जिलाध्यक्ष वही बन पाएगा, जो पहले भाजपा के किसी पद पर रहा हो, यानी यहां पैराशूट इंट्री बंद रहेगी। इसी तरह दो बार सक्रिय सदस्य रहने वाले नेता का नाम ही निर्वाचन प्रक्रिया में आएगा।