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नटवरलाल को 7 साल की विशेष न्यायालय ने सुनाई सजा : सॉल्वर के जरिए बन गया था पुलिस आरक्षक

ग्वालियर | विशेष न्यायालय ने सॉल्वर के जरिए पुलिस आरक्षक बने धर्मेंद्र शर्मा को सात साल के कारावास की सजा से दंडित किया है और उस पर अर्थ दंड भी लगाया है ।न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आरोग्य एवं बेईमान अभ्यर्थी के लोक सेवक के रूप में चयनित होने से दुष्परिणामों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में आरोपी के साथ दया नहीं दिखाई जा सकती है।

खास बात यह है कि पिछले कई सालों से दोषी पाया गया आरक्षक इंदौर के विजयनगर थाने में नौकरी कर रहा है ।इंदौर के विजयनगर थाने में पदस्थ धर्मेंद्र शर्मा ने वर्ष 2013 में व्यापम द्वारा आयोजित की गई आरक्षक भर्ती परीक्षा में यह फर्जीवाड़ा किया था। मामले का खुलासा तब हुआ। जब उसके ही रिश्तेदार ने इसकी शिकायत भोपाल एसटीएफ से की थी। इसके बाद हरकत में आई एसटीएफ ने आरोपी आरक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

 

इंदौर के विजयनगर थाने में पदस्थ धर्मेंद्र शर्मा मुरैना जिले का रहने वाला है। उसने अपनी जगह सॉल्वर को बिठाकर यह परीक्षा पास की थी। मामला न्यायालय में चला। तकरीबन दो साल तक सुनवाई चली और तमाम सबूतों और गवाहों को देखते हुए अब न्यायालय ने व्यापम फर्जी वाडा़ कर पुलिस की नौकरी पाने वाले धर्मेंद्र शर्मा को ये सजा सुनाई है। इस मामले में आरोपी को सजा सुनाने के साथ ही एसटीएफ कोर्ट ने कहा अयोग्य एवं बेईमान अभ्यर्थी के शासकीय सेवक के रूप में चयन से होने वाले से दुष्परिणामों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति रोकने और व्यवस्था पर लोगों का विश्वास स्थापित रखने अभियुक्त को पर्याप्त दंड देना जरूरी है।

 

ऐसे अपराध से पूरा समाज व युवा वर्ग प्रभावित होता है। 2013 में आरोपी धर्मेंद्र शर्मा की उम्र 19 वर्ष थी ।परीक्षा में सॉल्वर बिठाने की डील उसके ताऊ ने की थी ।जब शिकायत होने के बाद जांच शुरू हुई तब तक उसके ताऊ की मौत हो चुकी थी। इस कारण 10 साल पुराने सॉल्वर की पड़ताल मोबाइल व अन्य साक्षी नहीं मिल सके। ऐसे में एसटीएफ अब तक सॉल्वर तक नहीं पहुंच सकी है। फिलहाल एसटीएफ को सॉल्वर की तलाश है।

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