जबलपुर के महापौर साइकिल पर चलने वाले महापौर रामेश्वर प्रसाद गुरू ने बनवाया था जबलपुर का मालवीय चौक
पंकज गुलुश स्वामी
जबलपुर, यशभारत। रामेश्वर प्रसाद गुरू की पहचान जबलपुर में साइकिल में चलने वाले महापौर के रूप में रही है। वर्ष 1962 में क्राइस्ट चर्च स्कूल के शिक्षक रामेश्वर प्रसाद गुरू जबलपुर के महापौर बने थे। प्रजा समाजवादी पार्टी (पीएसपी) बनाने में रामेश्वर प्रसाद गुरू, भवानी प्रसाद तिवारी, गणेश प्रसाद नायक, सवाईमल जैन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। रामेश्वर प्रसाद गुरू व भवानी प्रसाद तिवारी की जोड़ी मिल कर ‘प्रहरीÓ अखबार निकलाती थी। उस समय ‘प्रहरीÓ में छपी सामग्री को लोग ध्यान से पढ़ते थे। उस समय के लोगों की जानकारी के अनुसार गांव से लोग यह देखने आते थे कि ‘प्रहरीÓ के संपादक कौन लोग और वे कैसे दिखते हैं। हरिशंकर परसाई ‘प्रहरीÓ में नियमित रूप से लिखने वाले कुछ लोगों में से एक थे। रामेश्वर प्रसाद गुरू व भवानी प्रसाद तिवारी के साथ रामानुज लाल श्रीवास्तव ऊंट ने होली को जबलपुर का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीक पर्व बनाया था। इन लोगों ने होली का जुलूस शुरू किया था जिसमें साहित्यकार, संस्कृति कर्र्मी, नेता, व्यवसायी,शिक्षक, विद्यार्थी, पत्रकार नाचते-गाते मोहल्लों के नुक्कड़ों पर, चौराहों पर, तिमुहानों पर इक_े होते थे। लोग मिलते जाते, हुरियारों का कारवां बढ़ता जाता। कहीं कोई भद्दापन नहीं, कहीं कोई घटियापन नहीं, कोई लुच्चापन नहीं, मस्ती भरी शालीनता की रेशम की डोरी कभी टूटती नहीं। परसाई के गद्य गुरू-रामेश्वर प्रसाद गुरू के पिता कामता प्रसाद गुरू थे, जिन्होंने हिन्दी की पहली व्याकरण पुस्तक लिखी थी। इस नाते रामेश्वर प्रसाद गुरू के भीतर साहित्य के बीज थे। उन्होंने कुमार हृदय के नाम से कविताएं भी लिखी थीं। रामेश्वर प्रसाद गुरू को हरिशंकर परसाई का गद्य गुरू भी माना जाता है। परसाई को सीधी व साफ दो टूक भाषा लिखने की प्रेरणा रामेश्वर प्रसाद गुरू ने ही दी थी।
खोजी पत्रकार-रामेश्वर प्रसाद गुरू इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी दैनिक नार्दन इंडिया पत्रिका के जबलपुर प्रतिनिधि भी थे। रामेश्वर प्रसाद गुरू के प्रिय शिष्यों में पत्रकार निर्मल नारद रहे हैं। गुरू जी को खोज या अन्वेक्षण का जुनून था। एक बार गुरू जी व निर्मल नारद दोनों बिलहरी के कब्रिस्तान में यह पता करने के लिए दिन भर घूमते रहे कि यहां सबसे पहले किस अंग्रेज को दफनाया गया था। व्यक्तिगत कार्य के लिए नगर निगम वाहन का उपयोग नहीं किया-सफेद पायजामा और कुर्ता पहनने वाले गुरू जी क्राइस्ट चर्च स्कूल में अध्यापन करने के दौरान जबलपुर के महापौर चुने गए। सुबह वे दीक्षितपुरा से स्कूल साइकिल से जाते थे। स्कूल के बाद नगर निगम में महापौर की आसंदी में बैठते थे।
लोगों ने उनसे कहा कि उन्हें नगर निगम के चार पहिया वाहन का उपयोग करना चाहिए। रामेश्वर प्रसाद गुरू ने स्पष्ट रूप से इंकार करते हुए कहा कि वे घर से स्कूल या किसी भी व्यक्तिगत कार्य के दौरान साइकिल का ही उपयोग करेंगे। हां जब वे महापौर की हैसियत से कहीं भी जाएंगे, तब ही वे नगर निगम की कार का उपयोग करेंगे। नगर निगम वापस आ कर वे साइकिल से घर जाते थे। क्राइस्ट चर्च स्कूल में अध्यापन के दौरान उन्होंने कई मेधावी विद्यार्थियों को पढ़ाया था, जिसमें एचसीएल के को-फांउडर अजय चौधरी व नामी वकील विवेक तन्खा जैसे व्यक्तित्व शामिल हैं।जबलपुर का सबसे प्रसिद्ध मालवीय चौक बनवाया-रामेश्वर प्रसाद गुरू ने महापौर के रूप में नगर निगम में वित्तीय साधनों की कमी को देखते हुए चंदा जमा कर के सुभद्रा कुमार चौहान की प्रतिमा नगर निगम प्रांगण में स्थापित करवाई थी।
उन्होंने महापौर के रूप में मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा लगवा कर मालवीय चौक नामकरण किया था। उनके कायज़्काल में नगर निगम जबलपुर ने कई ग्रंथों का प्रकाशन किया, जो संदर्भ के रूप में आज भी प्रासंगिक व उपयोगी हैं। शहर के शिक्षा जगत में उनका अप्रतिम योगदान रहा। उन्होंने डिस्लिवा रतनसी स्कूल की स्थापना की। नगर के मॉडल हाई स्कूल में आज से 62 वर्ष पूर्व तत्कालीन प्राचार्य शिव प्रसाद निगम के साथ मिल कर उन्होंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को मौन दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की थी।