घंटाघर मार्ग पर सर्वे टीम ने तय किया 2 करोड़ 26 हजार का मुआवजा, जिनके भवन नजूल की जमीन पर उन्हें मिलेगा सिर्फ निर्माण टूटने का मुआवजा, बाकी को जमीन और निर्माण दोनों का
कटनी। जगन्नाथ चौक से घंटाघर मार्ग में आने वाली पेचीदगियों को नगर निगम लगातार सुलझा रहा है। सड़क निर्माण में जिनके भवन प्रभावित हो रहे है, उनका पूरा सर्वे करने के बाद सारे दस्तावेज नगर निगम ने तलब भी कर लिए हैं और मुआवजे का आंकलन भी कर लिया गया है। सूत्र बताते हैं 134 लोगों में से करीब 70 रहवासी ऐसे हैं, जिन्हें मुआवजा दिया जाना है। इन्हें करीब 2 करोड़ 26 हजार रुपए के आसपास की राशि वितरित की जाएगी। नजूल लैंड पर बने मकानों में जमीन का मुआवजा नहीं मिल पाएगा। ऐसे मकानों को नगर निगम निर्माण की लागत वाले मुआवजे में शामिल कर रहा है। मेयर प्रीति सूरी सड़क निर्माण से जुड़े सारे पहलुओं का खुद गंभीरता के साथ परीक्षण कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार 6 दिसंबर को प्रस्तावित नगर निगम परिषद की बैठक के लिए जो एजेंडा तैयार किया गया हैं, उसके प्रमुख 3 बिंदुओं के घंटाघर मार्ग के मुआवजे का विषय भी शामिल हैं। हालांकि ऐसी जानकारी मिल रही है कि 6 दिसंबर को नगर निगम आयुक्त नीलेश दुबे अवकाश पर हैं और संभवतः महापौर प्रीति सूरी भी किसी कार्यवश बाहर जा रही है। दोनों महत्वपूर्ण लोग परिषद की बैठक के दिन कटनी में नहीं है, हो सकता है कि परिषद की बैठक टाल दी जाए।
चांडक चौक से घंटाघर की सड़क के निर्माण को लेकर आने वाली बाधाओं को दूर करने की दिशा में तेजी से काम शुरू हो चुका है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्दी ही आगे की प्रकिया शुरू कर दी जाएगी। नगर निगम ने इस मार्ग के 135 भवन स्वामियों को कुछ दिन पहले अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया था जिसमें कहा गया था कि अपने मकान से संबंधित दस्तावेज खसरा, नक्शा आदि की पूरी जानकारी नगर निगम को उपलब्ध कराएं। इस नोटिस के बाद अनेक लोगों ने जानकारी दी भी किंतु 11 लोगों को ने अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई। उधर इस मामले पर कुछ लोग हाईकोर्ट की शरण में भी गए हैं, जहां यह मामला अभी विचाराधीन है। इस क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि 2 साल पहले 2022 में भी नगर निगम ने इस तरह का नोटिस जारी करके जमीन और भवन के स्वामित्व से संबंधित सारी जानकारी तलब कर ली थी, लेकिन उसके बाद सबकुछ ठंडे बस्ते में चला गया। कुछ मकान मालिकों ने तो जो जवाब 2022 में सबमिट किया था, उसी की फोटोकॉपी इस बार भी जमा कर दी।
इस दर से इतना मुआवजा मिलेगा, दो श्रेणियां निर्धारित
सूत्रों ने बताया कि नगर निगम अपनी ओर से अब सड़क निर्माण में कोई विलंब नहीं करना चाहता, इसलिए मुआवजे के काम को जल्द से जल्द निपटाने की योजना पर काम हो रहा है। कुल चिन्हित 135 भूखंड धारकों में से दो श्रेणियां निर्धारित कर दी गई हैं, जिसके अनुसार पहली श्रेणी में वे प्रभावित लोग हैं जिन्हें जमीन और निर्माण दोनों का मुआवजा दिया जाना है और दूसरी श्रेणी में वे लोग हैं जिन्हें केवल निर्माण तोड़ने की क्षतिपूर्ति के बतौर राशि दी जाएगी। सूत्रों ने बताया कि तिलक राष्ट्रीय स्कूल के आगे कनकने स्कूल के पास से लेकर घंटाघर तक दोनों ओर नजूल की भूमि है। इस भूमि पर काबिज लोगों के भवन तोड़े जाने की स्थिति में इन्हें केवल निर्माण का ही मुआवजा मिल पाएगा। जमीन का मुआवजा इन्हें नहीं मिलेगा, क्योंकि शासन के नियमानुसार नजूल लैंड पर काबिज लोगों को क्षतिपूर्ति का प्रावधान केवल उस जमीन पर बने निर्माण तक सीमित है। दूसरी ओर कनकने स्कूल चौराहा से चांडक चौक तक दोनों ओर काबिज लोगों को जमीन और निर्माण दोनों का मुआवजा दिया जाना प्रस्तावित है। सूत्रों के मुताबिक चिन्हित किए गए 135 प्रभावितों में से करीब 70 लोगों के लिए मुआवजे की राशि का जो आंकलन नगर निगम की सर्वे टीम ने किया है वह 2 करोड़ 26 हजार है। कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक प्रभावित जमीन की मुआवजा राशि 36,500 रुपए मीटर है। इसी दर से राशि दी जाएगी जबकि जो निर्माण तोड़ा जाएगा, उसकी क्षतिपूर्ति राशि 14,500 के हिसाब से दी जाएगी। निर्माण का मुआवजा प्राइवेट और नजूल दोनों लैंड दोनों ही स्थिति में मिलेगा। गौरतलब है जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक सड़क की चौड़ाई 12 मीटर प्रस्तावित है, ऐसी स्थिति में 12 मीटर की जद में दोनों ओर आने वाले भूखंड धारक को मुआवजा मिलना है।
परिषद में इस सड़क के लिए आयेंगे पौने तीन करोड़ के दो प्रस्ताव
सूत्रों ने बताया कि मुआवजे का पूरा मसौदा तैयार होने के बाद इसे नगर निगम परिषद की बैठक में पेश किए जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। सूत्र बताते है कि नगर निगम ने दो तरह के प्रपोजल फाइनल किए हैं। पहला 2 करोड़ 26 हजार की राशि की स्वीकृति से जुड़ा है, जबकि दूसरा इस सड़क के निर्माण में आने वाले व्ययों में 50 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति से संबंधित है। इन प्रावधानों पर नगर निगम परिषद की बैठक में चर्चा होना हैं। परिषद की मुहर लगते ही काम शुरू हो जाएगा। परिषद की बैठक 6 दिसंबर को बुलाए जाने की खबर है, किंतु मेयर और आयुक्त की गैरमौजूदगी की संभावना के मद्देनजर बैठक अगली तिथि के लिए टाली भी जा सकती है। इस बीच खबर तो यह भी मिली है कि सारे मसौदे से राजनीतिक वजहों से कुछ पार्षदों को नाखुशी भी है। हालांकि 3 बिंदुओं पर जो एजेंडा तैयार हुआ है, उसमें घंटाघर सड़क का मामला शामिल है। यशभारत से बातचीत में कुछ पार्षदों ने सवाल खड़े किए हैं कि जब मेयर और आयुक्त के परिषद की बैठक में 6 दिसंबर को मौजूद रहने की संभावना कम है तो बैठक रखी ही क्यों जा रही है। नीतिगत निर्णय के पालन की जिम्मेदारी तो उन्हीं दो प्रमुख लोगों की है।
आंदोलनों से बदनाम हुआ रास्ता
चांडक चौक से घंटाघर सड़क के निर्माण की कहानी भी अजीबोगरीब है। पहले यह सड़क सीसी बनना थी। बहुत दिन तक इसी में पेंच फंसा रहा। बात जब डामरीकरण पर आकर फाइनल हुई तो 12 मीटर चौड़ाई के चलते प्रभावितों के भवन टूटने पर आपत्तियां आ गई। फिर मुआवजे की कहानी शुरू हुई जो अब तक लंबित है। इस दौरान शहर में जाने कितने तीज त्योहार निकल गए और हिचकोले खाते राहगीरों के सब्र का पैमाना भी कई बार छलका। आंदोलन हुए, धरना प्रदर्शन हुआ और नगर निगम पर दबाव बढ़ता चला गया। अब उम्मीद जागी है कि सारी अड़चनें सुलझा ली जाएंगी।