जबलपुर में धान उपार्जन के फर्जी पंजीयन मामले में यश भारत का बड़ा खुलासा
एक ही ऑपरेटर की ID कई सिस्टम में हुई लॉगिन, 4 तहसीलों के हुए रजिस्ट्रेशन

जबलपुर यश भारत। धान उपार्जन को लेकर जिले में हुई लापरवाहियों के खुलासे एक के बाद एक यश भारत के द्वारा किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले में सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। जहां समिति के ऑपरेटरों ने अपनी यूजर आईडी और पासवर्ड दूसरों को देकर फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाए हैं। कई समितियों में तो यह हालत है कि वहां से 100 किलोमीटर दूर तक के रकबे सिकमिनामे के आधार पर रजिस्टर्ड कर दिए गए हैं और अब उन रकबों पर धान की खरीद कर के भुकतान भी प्रारंभ हो गए हैं। लेकिन विडंबना यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच वही अधिकारी कर रहे हैं जिन्होंने इन खातों को पूर्व में सत्यापित किया है।
यह है व्यवस्था
प्रशासन द्वारा किसानों के पंजीयन के लिए समितियों का चयन किया जाता है । जिनके नाम ई उपार्जन पोर्टल पर आते हैं । उसके बाद उक्त समितियों द्वारा अपने कंप्यूटर ऑपरेटर की जानकारी प्रशासन को भेजी जाती है और फिर प्रशासन द्वारा ई उपार्जन पोर्टल पर उक्त ऑपरेटर की आईडी तैयार की जाती है। जिस आईडी से वे किसानों के रजिस्ट्रेशन करते हैं और यह आईडी सिर्फ उनके उपयोग के लिए होती है। जिसकी ओटीपी उनके मोबाइल पर आती है, नियम के अनुसार यह आईडी उक्त कंप्यूटर ऑपरेटर के अलावा कोई भी प्रयोग में नहीं जा सकता।
ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि जिस कंप्यूटर ऑपरेटरों को पंजीयन का काम दिया जाता है उनमें से कुछ समितियों के ऑपरेटरों के द्वारा इस बार अपनी यूजर आईडी पासवर्ड दूसरे लोगों को भी दे दिए गए। जिसके माध्यम से अनाधिकृत लोगों ने जमकर रजिस्ट्रेशन किए हैं। जिसे इस बात से समझा जा सकता है कि एक तारीख विशेष में एक क्षेत्र विशेष के फर्जी रजिस्ट्रेशन हुए हैं और फिर दूसरी तारीख पर दूसरे क्षेत्र के फर्जी रजिस्ट्रेशन हुए हैं। इसमें सबसे प्रमुख बात यह है कि यह सारे के सारे सिकमीनामे के आधार पर हुए हैं। ऐसा नहीं है कि वह उक्त समिति के पंजीयन केंद्रों के आसपास के किसान हो, बल्कि वह उक्त पंजीयन समिति से 50 से 100 किलोमीटर दूर के किसान हैं। साथ ही साथ जमीनों के रकबे देखेंगे तो वह आधा एकड़ और उस से भी काम के है ऐसे में सवाल तो उठेगा ही की इतनी कम जमीन का रजिस्ट्रेशन कराने कोई किसान 100 किलोमीटर दूर क्यों आ रहा है।
ऐसे होगी मामले की जांच
इस पूरे मामले की जानकारी जिला प्रशासन को तो पहले से ही थी क्योंकि उनके ही एसडीएम तहसीलदार और पटवारी के द्वारा इन रजिस्ट्रेशनों का सत्यापन किया गया था। लेकिन अब मामला मुख्य सचिव खाद्य तक पहुंच गया है जिसके बाद एन आई सी के माध्यम से इन सभी यूजर आईडी के डिजिटल फुटप्रिंट निकाले जा सकते हैं। जिससे जिन-जिन सिस्टम में या जिन जिन लोगों के मोबाइल में यह आईडी लॉगिन हुई होगी उनके आईपी ऐड्रेस निकल कर सामने आ जाएंगे। जिससे उक्त उपयोगकर्ता की पूरी जानकारी और वह किस लोकेशन पर बैठकर रजिस्ट्रेशन कर रहा था वह निकल के सामने आ जाएगी। जिससे यह पता चल जाएगा की संबंधित ऑपरेटर के अलावा किन-किन डिवाइस में और किन-किन लोकेशन में यह आईडी ओपन हुई है और उस दौरान किन-किन लोगों के रजिस्ट्रेशन हुए है।
अधिकारियों की फूल रही सांसे
इस पूरे मामले में उन अधिकारियों की सबसे ज्यादा हालत खराब है जिन्होंने इन पंजीयनों को सत्यापित किया था। जबकि भोपाल से जांच पर जांच के आदेश आ रहे हैं ऐसे में अब फर्जी पंजीयनो को सत्यापित करने वाले अधिकारी समिति- समिति जाकर हिदायत दे रहे हैं कि सिकमिनामे वाले रजिस्ट्रेशन को चढ़ाया ही ना जाए और यदि सिकमिनामे के रजिस्ट्रेशन पर धान चढ़ाई जाए तो दोनों पक्षकारों को बुलाकर पहले सहमति ली जाए उसके बाद चढ़ाया जाए। क्योंकि अब उन्हें भी इस पूरे मामले की गंभीरता का एहसास हो चुका है और भली भांति मालूम है कि जरा सी भी चूक हुई तो बात नौकरी पर बन जाएगी।