एक डॉक्टर, एक नेता कांग्रेस के बागी
जबलपुर यश भारत। बुधवार को नामांकन पत्र वापस लेने की आखिरी तारीख बीत जाने के बाद जिले की आठ विधानसभा सीटों में स्थिति स्पष्ट हो गई है, कि किस विधानसभा क्षेत्र से कितने प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने रूठो को मना लिया है। वहीं कांग्रेस इस मामले में सिहोरा और बरगी विधानसभा में पीछे रह गई है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की माने तो उन्होंने यहां से बागी हुए मांगीलाल मरावी और डॉक्टर संजीव वरकड़े को मनाने का खास प्रयास भी नहीं किया जिसके चलते अब दोनों ही प्रत्याशी बरगी और सिहोरा से चुनाव लड़ेंगे।
पहले भी लड़ चुके हैं चुनाव
सिहोरा और बरगी से बागी हुए दोनों ही नेता पूर्व में भी चुनाव लड़ चुके हैं। एक ओर जहां मांगीलाल मरावी कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा का चुनाव तो लड़ ही चुके थे उसके अलावा वह पूर्व में भी कांग्रेस से बगावत करके गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। जहां उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा । वही डॉक्टर वरकड़े भी निर्दलीय के रूप में विधानसभा का पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं। जहां उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। बरगी से मैदान में उतरे मांगीलाल मरावी को लेकर तो वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा पूर्व में ही घोषणा कर दी गई थी कि वह गोंडवाना की तरफ से चुनाव लड़ेंगे और उनके रहने से पार्टी को नुकसान ज्यादा है फायदे कम हैं। वहीं डॉक्टर संजीव वड़कड़े को लेकर कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं द्वारा प्रयास तो किया गया, लेकिन उन्हें खास तवज्जो नहीं दी गई।
निर्णायक हैं आदिवासी
विधानसभा में जबलपुर की आठ सीटों में से एक सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है । लेकिन यदि पूरे प्रदेश की बात करें तो यहां आदिवासी निर्णायक भूमिका में रहने वाले हैं। 2019 के चुनाव को छोड़ दें तो उसके पहले के दो चुनाव में 70% आदिवासी आरक्षित सीट भाजपा के खाते में जाती रही है। जो भाजपा की जीत का प्रमुख कारण था । 2019 में यह मामला आधे से भी कम पर रुक गया। जिसके चलते कांग्रेस ने बाजी मार ली थी और प्रदेश की सत्ता पर कायम हो गए थे। जिसके चलते पिछले भाजपा ने अपने साड़े तीन साल के कार्यकाल में पूरा फोकस आदिवासी वोट बैंक पर किया गया है।