
मध्यप्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद मध्यप्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। सरकार OBC वर्ग को आरक्षण देने के लिए 12 मई की देर रात सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका (एप्लिकेशन फॉर मॉडिफिकेशन) दाखिल कर चुकी है। जिसे स्वीकार कर लिया है। सरकार ने इसमें ट्रिपल टेस्ट की निकायवार तैयार रिपोर्ट पेश की है। इस आधार पर आरक्षण देने के लिए दावा किया है। यह भी बताया कि पंचायतों के लिए आरक्षण प्रक्रिया 15 दिन में कैसे पूरी होगी। इस पर सुनवाई 17 मई (मंगलवार) को होगी।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। चुनाव की तारीख भी आएगी और चुनाव भी होंगे। हम चुनाव रुकवाने नहीं गए हैं, बल्कि मॉडिफिकेशन के लिए गए हैं। नरोत्तम ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगने के पीछे के दो कारण बताए। उन्होंने कहा अगर हम 2019 का परिसीमन लें या फिर 2022 का, इसमें कहीं-कहीं पर नगर पालिका में, ग्राम पंचायत में उसका रूप परिवर्तित हो गया है। स्वरूप बदलने से भ्रम की स्थिति पैदा होगी कि चुनाव नगर पालिका के हिसाब से कराएं या नगर पंचायत के हिसाब से कराएं या ग्राम पंचायत के हिसाब से कराएं। इसलिए समय मांगा गया है।
गौरतलब है, इससे पहले अधूरी रिपोर्ट के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बगैर OBC आरक्षण के ही स्थानीय चुनाव कराने के आदेश दिए थे। उधर, राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है, लेकिन अब सरकार की याचिका मंजूर होने से फिर से संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। सरकार किसी भी हाल में बगैर आरक्षण चुनाव नहीं कराना चाहती, इसलिए उसने आखिरी दांव खेला है।
राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का दावा है कि नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव 16 जून के बाद हो सकते हैं, जबकि पंचायतों के चुनाव काे लेकर फिलहाल असमंजस की स्थिति है, क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर सरपंच पद तक का आरक्षण होना है। इसमें एक से दो महीने का समय लग सकता है। आयोग के आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने भी संकेत दिए हैं कि नगरीय निकायों के चुनाव कराने में वैधानिक दिक्कत नहीं है।