हे मालिक.. गरीबी नहीं मौत मंजूर है… पत्नी के शव के साथ रात से सुबह तक रोता रहा पति
चाय पीने को पैसे नहीं बचे, 3 दिन से भूखा-प्यासा बीमार पत्नी करता रहा सेवा

जबलपुर, यशभारत। हे.. मालिक.. गरीबी नहीं.. मौत मंजूर है… किसी शायर के ये शब्द आज विक्टोरिया अस्पताल में रात से सुबह तक पत्नी के शव के साथ बैठे गरीब पुरूषोतम पर सटीक बैठ रहे हैं। बीमार पत्नी को ठीक कराने 57 साल के पुरूषोतम बीते 3 दिन से भूखे पेट रहकर उसकी सेवा कर रहा था। भगवान से लेकर डॉक्टर तक फरियाद लगाने के बाद भी पत्नी जीवत नहीं बची तो पुरूषोतम टूट गया और इसका सबसे बड़ा कारण था पुरूषोतम की गरीबी। गरीब पुरूषोतम के पास इतना पैसा नहीं था कि वह अपनी बीबी का इलाज प्राइवेट अस्पताल में करा पाता, कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रही पत्नी की मौत हो जाने के बाद विक्टोरिया अस्पताल से पत्नी को शव ले जाने के लिए कह दिया।
तकलीफ में थी पत्नी, खाने का निवाला हल्क में नहीं उतर रहा था
मूलत: पन्ना जिले के रहने वाले पुरूषोतम वंशकार अपनी पत्नी चूल्हा बाई के साथ मजदूरी और भीख मांगकर गुजर-बसर कर रहे थे। अचानक से पत्नी चूल्हा बाई को गले के अंदर छाले हो गए, दांतों में दर्द शुरू हो गया। पन्ना में कई डॉक्टरों को दिखाया जहां कैंसर शिकायत बताई गई। वहां से विक्टोरिया अस्पताल रिफर कर दिया गया। यहां पर कई दिनों इलाज चला। पत्नी तबीयत इतनी बिगड़ गई थी मुंह से निवाला तक हल्क में नहीं उतर रहा था। जीवन संगनी की यह हालत और तकलीफ देखकर सिर्फ रोता था। लाख कोशिशों के बाबजूद वह पत्नी को नहीं बचा सका और बीती रात उसने दम तोड़ दिया।
कफन-दफन क्या चाय तक के लिए पैसे नहीं है
पुरू षोतम ने बताया कि पत्नी की मौत वह घबरा गया क्योंकि उसके पास चाय तक पीने पैसा नहीं था, उसका अंतिम संस्कार कहां से कराता। विक्टोरिया अस्पताल के कर्मचारी ने गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली से फोन में बात कराई। इसके बाद इनायत और उनके साथी विक्टोरिया अस्पताल पहुंचे और पत्नी का तिलवारा स्थित मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कराया।