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मध्यप्रदेश  में नवाचार :  अब रेशम धागे से बनेंगी दवाईयां, क्रीम और ड्रेसिंग बैंडेज

अनूपपुर |  कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल ने नर्मदापुरम संभाग में जारी रेशम विकास गतिविधियों के अवलोकन के दौरान निर्देश दिये थे कि रेशम उत्पादों का प्रयोग कर रेशम के धागे का उपयोग दवाईयों के उत्पादन में भी किया जाये, ठीक वैसा ही, जैसा रेशम के वस्त्रों का उपयोग जन-जन द्वारा सदियों से किया जा रहा है। यह राष्ट्रीय नवाचार मध्यप्रदेश में किया जाये।

 

दवाईयां एवं सर्जिकल ड्रैसिंग बनाने दवा कंपनियों ने दिखाई रुचि

राज्यमंत्री श्री जायसवाल के निर्देशों के परिपालन में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सिल्क इन्क्यूबेटर सह जिला रेशम अधिकारी, नर्मदापुरम संभाग द्वारा आईआईटी, आईआईएम की मेंटर एवं केन्द्रीय रेशम विकास बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के साथ निरंतर समन्वय किया गया। इस समन्वय का परिणाम यह हुआ कि अब रेशम के धागों का उपयोग दवाईयां एवं सर्जिकल ड्रैसिंग बनाने के लिये किया जायेगा। दवा कम्पनियों ने भी इसमें रुचि जाहिर की है।

 

रेशम धागे से क्रीम, बैंडेज, पावडर, प्रोटीन, सौंदर्य बनाये जायेगे उत्पाद -श्री जायसवाल

इसके लिये किसानों का सारा का सारा ककून क्रय कर लिया जाएगा। इससे रेशम से समृद्धि योजना के तहत रेशम उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। अब रेशम धागे से क्रीम, बैंडेज, पावडर, प्रोटीन, सौंदर्य उत्पाद भी बनाये जायेंगे। सिल्क का बैंडेज होने से ऑप्टिमाईज हीलिंग होगी। इससे 30 प्रतिशत व्यय भार भी कम आयेगा और रिकवरी भी जल्द होगी।

 

रेशम उत्पादक किसानों को मिलेगा प्रोत्साहन

ड्रग्स कंट्रोलर, भारत सरकार द्वारा गत 16 नवंबर 2020 को मलहम (आईंटमेन्ट्स), जैल, एजीफोम, फाइब्रोहिल उत्पादों को मान्यता दे दी गयी है। मान्यता मिलने से एम्स एवं गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल द्वारा रेशम धागे का उपयोग किया जा रहा है।कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री श्री जायसवाल के निर्देश पर नर्मदापुरम संभाग से रेशम से दवाईयां एवं सर्जिकल ड्रेसिंग बनाने के लिये अधिकाधिक कच्चा माल (रॉ मटैरियल) दवा कम्पनियों को भेजा जायेगा। इससे रेशम उत्पादक किसानों को भी विशेष प्रोत्साहन मिलेगा। भोपाल के प्रख्यात सर्जन डॉ. अभिजीत देखमुख द्वारा इस संबंध में ‘’मेंटर’’ के रूप में कार्य किया जा रहा है।इस तरह के रेशम आधारित उत्पाद बाजार में आने से अब रेशम उत्पादक किसानों और कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग दोनों को लाभार्जन हो सकेगा।

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