अनुकंपा नियुक्ति के लिए तरस रहे 86 शिक्षा विभाग के परिवार जटिल नियमों के कारण भूखों मरने की कगार पर मृत शिक्षकों के आश्रित

जबलपुर:- शासकीय कर्मचारी की सेवा में रहते मृत्यु हो जाने पर मिलने वाली अनुकंपा नियुक्ति अब इतनी कठिन प्रक्रिया हो चुकी है कि जबलपुर जिले में अकेले शिक्षा विभाग में 86 प्रकरण अनुकम्पा नियुक्ति हेतु लंबित है।स्थिति ये है कि अनुकंपा की आशा में मृत शिक्षक कर्मचारियों के परिवार गंभीर आर्थिक संकटों से गुजर रहे है।राज्य शिक्षक संघ जबलपुर ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अपील की है कि नियमो की जटिलताओं को दूर कर समय सीमा में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।
शिक्षकों के आश्रित नियम से परेशान:- स्कूल शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार यदि कोई शिक्षक सेवा में रहते मृत होता है तो उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति शिक्षक के पद पर तभी दी जा सकती जब आश्रित डी एड/बी एड के साथ साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा पास हो।लिपिक और भृत्य के पद रिक्त न होने के कारण इन पदों पर भी अनुकंपा नही मिल सक रही है।
प्रयोगशाला शिक्षक पर बंद हुई अनुकंपा:- शिक्षामंत्री इंदर सिंह परमार ने विगत वर्ष शिक्षकों के आश्रितों को बिना बंधन के प्रयोगशाला शिक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर खूब वाहवाही लूटी पर मात्र 4 महीनों बाद ही इस पद पर अनुकंपा बंद कर दी गई।
राज्य शिक्षक संघ जबलपुर के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि मृत शिक्षकों के परिवार भूखों मरने की कगार पर है।अनेकों बार सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया पर सिवाय आश्वासन के कुछ नसीब नहीं हुआ।संघ ने मांग की कि अनुकम्पा नियुक्ति हेतु डी एड बी एड और पात्रता परीक्षा की बाध्यता समाप्त कर ऐसी प्रक्रिया बनाई जाए कि कर्मचारी के सेवा में रहते निधन के एक माह के अंदर आश्रित परिवार को अनुकंपा नियुक्ति मिल सके।