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भिक्षावृत्ति अभिशाप : हम भीख देना बंद कर दें तो 261 बच्चों का भविष्य संवर सकता है

सूरतलाई, गोसलपुर, बरेला में भिखारियों का डेरा, जिला प्रशासन की पहल जागरूकता से रोकी जा सकती है भिक्षावृत्ति

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जबलपुर, यशभारत। पूरे समाज के लिए भिक्षावृत्ति एक अभिशाप है, हर बार इसे समाप्त करने की योजना तैयार होती है, कुछ हद तक प्रशासनिक और समाजिक संस्थाएं काम भी करती है परंतु इसके बाबजूद भिक्षावृत्ति को रोक पाना कठिन होता जा रहा है। इसके लिए हर एक व्यक्ति को जागरूक होना होगा। सभी मिलकर को तय करना होगा कि वह भिक्षा में पैसे देने की वजाए ऐसे लोगों को अन्य माध्यमों से मदद करें। जबलपुर में करीब 261 बच्चे भिक्षावृत्ति के व्यापार में लिप्त है, रोजाना स्कूल से गायब होकर ये बच्चे मंदिर, गुरूद्वारा, मस्जिद के पास पहुंच जाते हैं देर रात तक भीख मांगते रहते हैं। अगर नागरिक जागरूकता का परिचय दें तो इन बच्चों का भविष्य संवर सकता है बस इनको देनी वाली भीख में पैसा न देकर अन्य सामग्री उपलब्ध करा दी जाए।

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इन इलाकों में निवासरत है परिवार
सड़कों, मंदिर और चौराहों पर खड़े होकर भीख मांगने वाले बच्चों का ठिकाना सूरतलाई, गोसलपुर और बरेला है। इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा परिवार रहता है, यहां से पूरा परिवार सुबह भीख मांगने के लिए शहर की तरफ निकल जाता है और देर रात घर लौटता है।

बच्चों ने पैरेंटस मंगवाते है भीख
बताया जा रहा है कि कुछ समय पूर्व महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक सर्वें किया था जिसमें 261 बच्चों को चिन्हित किया गया जिसमें पाया गया कि सभी भीख मांगने काम करते हैं। सबसे खास बात ये है कि इस दौरान ये भी पता चला था कि इन बच्चों से पैरेंटस ही भीख मंगवाते हैं। इनके द्वारा ही बच्चों को सुबह से भीख मांगने के लिए विवश किया जाता है।

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कौन बच्चा किस रूट में जाएगा सुबह घर पर तय होता है
बताया जा रहा है कि पैरेंटस अपने-अपने बच्चों को भीख मांगने के लिए कहां-कहां भेजेंगे यह सुबह घर पर ही तय होता है। इसके बाद बच्चे अपने-अपने स्थान पर जाकर, भरी धूप, गिरते पानी और ठंड में भीख मांगने खड़े हो जाते हैं। हालांकि जिला प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं ने अभिभावकों को कई बार समझाया इसके बाबजूद अभिभावक बच्चों से भीख मंगवाते हैं।

120 बच्चों का स्कूल में कराया जा चुका दाखिला
महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार जिले में 261 बच्चों में से 120 बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला कराया जा चुका है लेकिन ये बच्चे कुछ दिन ही स्कूल पहुंचते हैं। बताया जा रहा है कि मंगलवार और शनिवार के दिन तो बच्चे स्कूल ही नहीं जाते हैं और त्यौहारों में तो अवकाश एक माह पहले से ही स्कूल जाना बंद कर देते हैं।

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भिक्षा मांगने पर 10 साल की जेल का प्रावधान
आईपीसी की धारा 133 के तहत भीख मांगना सार्वजनिक परेशानी (पब्लिक न्यूसेंस) माना गया है। इसके लिए सजा का प्रावधान है। भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर दो साल और दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है। इस कानून को प्रभावी रूप से लागू करने की जिम्मेदारी पुलिस, सामाजिक न्याय विभाग और बाल संरक्षण आयोग पर है।

बच्चे के पुनर्वास के लिए प्रशासन करेगा प्रयास
महिला एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि बाल भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे बच्चों को भिक्षा देने से बचें, क्योंकि इससे उनका भविष्य प्रभावित होता है। प्रशासन इन बच्चों के पुनर्वास के लिए भी विशेष प्रयास करेगा।

इनका कहना है
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए विभाग तो प्रयास कर रहा है परंतु लोगों को जागरूक होना होगा, सभी एक राय होकर तय कर लें कि इन बच्चों को भीख में पैसे न दिए जाए तो ये बच्चे इस वृत्ति से दूर हो जाएंगे।
संजय इब्राहिम, संहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग

ऐसे रोकी जा सकती है भिक्षावृत्ति
– भीख में पैसा देना बंद कर दिया जाए
– बच्चों को पैसे की वजाए उनके खाने की सामग्री दिलाई जाए
– स्कूली खर्च उठाकर बच्चों को भिक्षावृत्ति से रोका जा सकता है
-अभिभावकों को रोजगार देकर भिक्षावृत्ति को रोका जा सकता है
– सामाजिक जागरूकता चलाकर बच्चों को इससे दूर रखा जा सकता है

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