केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण का बजट: आम लोगों के लिए नहीं खास लोगों का है बजट- तरुण भनोत

केन्द्रीय बजट 2023-24 को लेकर पूर्व वित्त मंत्री ने मोदी सरकार पर कथनी और करनी के साथ जनापेक्षा से विपरीत पेश बजट पर जताया रोष
मोदी सरकार का यह बजट उनके दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट था | देश की आमजनता को उम्मीद थी कि भले ही यह सरकार पिछले 9 वर्षों से जनता को निराधार सपने बेचकर अपने उद्धोगपती मित्रों का परोक्ष रूप से देश के सभी संसाधनों पर एकाधिकार स्थापित करने मे सफल रही हों, जिनसे मिले हजारों-करोड़ रुपये के चंदे के सहारे देश की सत्ता पर भाजपा काबिज है, वह इस बार के बजट से देश की आमजनता के जीवन मे खुशहाली, नौजवानों को रोजगार, किसानों को एमएसपी का उनका वाजिब हक और समाज के पिछड़े और वंचित वर्ग की समृद्धि का ध्यान रखेगी | सरकार भले ही इस बजट को अमृतकाल का बजट बता रही है किन्तु, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार के बजट ने एक बार फिर से देश के किसानों, नौजवानों, महिलाओं और शोषित, वंचित और पिछड़े वर्ग के लिए घोर निराशाजनक और मोदी सरकार के उधोगपति मित्रों के फायदे और उनके साम्राज्य को समृद्ध करने वाला बजट रहा है | मोदी सरकार की आर्थिक-नीतियों और शॉर्टकट का नतीजा है की आज देश का गरीब और गरीब होता जा रहा है वही सरकार के चुनिंदा करीबी उधोगपति मित्र दिन दोगुनी, चार चौगुणी तरक्की कर रहे है | उक्त आरोप प्रदेश सरकार में पूर्व वित्त मंत्री एवं जबलपुर पश्चिम से विधायक श्री तरुण भनोत ने केन्द्रीय बजट को लेकर मोदी सरकार पर लगाया है |
श्री भनोत ने मोदी सरकार के बजट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि ऐसे दौर मे जबकि भारत कोरोना महामारी की मार से अबतक नही उबर सका है, शिक्षा-स्वास्थ्य का बुरा हाल हो चुका है | पढे-लिखे युवाओं की नौकरी की आस में उनके उम्र बीता जा रहा है | किसानों को उनके उपज की उचित कीमत नहीं मिलने से छोटे और सीमांत किसान बर्बादी के कगार पर पहुँच चुके है | सरकार के अमृत काल के बजट का आलम है कि आज देश की 80 करोड़ आबादी को मुफ़्त राशन दिया जा रहा है | श्री भनोत ने कहा कि इसके विपरीत कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के दौरान देश के 17 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया, मनरेगा के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कम से से कम 100 दिन का गारंटिड रोजगार दिया गया ताकि ग्रामीण क्षेत्र से हो रहे पलायन को कम किया जा सके, कई जनकल्याणकारी योजनाएं और सब्सिडी शुरू की गई थी ताकि नागरिकों के व्यक्तिगत बचत को बढ़ाकर उनकी क्रय शक्ति मे इजाफा कर अर्थव्यवस्था को संतुलित रखा जा सके |
श्री भनोत ने बताया कि एक तरफ नोटबंदी कर देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करने और देश की असंगठित क्षेत्र को बर्बाद करने वाली मोदी सरकार की अनियोजित जीएसटी कानून इस देश के छोटे और मध्यम व्यापारियों की कमर पूरी तरीके से तोड़ चुकी है | असंगठित क्षेत्र के बर्बाद होने से इस क्षेत्र मे रोजगार पाने वाली इस देश की बड़ी आबादी बेरोजगार हुई और उनकी आय कम हुई है, जिससे की कहीं न कहीं छोटे और मझौले व्यापारियों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है और बड़ी संख्या मे ऐसे व्यापार या तो बंद हो चुके है या बंद होने के कगार पर है | यह बजट उन छोटे और मझौले व्यापारियों के लिए भी निराशाजनक रहा है, जो इस बजट से उनके व्यापार को कुछ राहत मिल सके |
श्री भनोत ने बजट पर खेद जताते हुए बताया कि भारतीय रेल देश की लाइफ-लाइन कहलाती थी | तमाम सरकारों मे रेल्वे को घाटे सहने पड़े है, लेकिन रेल्वे ने उन परिस्थितियों मे भी कभी कुछ विशेष लोगों को मिलने वाली रियायत, छूट और यात्री-सुविधाओं मे भी कटौती नही कर सकी | इस बजट मे रेल्वे मे निवेश को बढ़ाने का जिक्र है किन्तु पूर्व मे रेल्वे द्वारा वरिष्ठ नागरिकों, पत्रकारों, दिव्यंगों के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय जिलें स्तर पर काम-काज और रोजगार को जाने वाले लोगों को मिलने वाली एमएसटी और छूट का कोई जिक्र नही है, और आश्चर्यजनक है कि इन छूट और रियायत का सरकार पर भार सालाना 1500 करोड़ रुपये से कम है |
श्री भनोत ने बताया कि मोदी सरकार आकड़ों की जादूगरी कर बजट मे बता रही है कि उनके कार्यकाल में भारत की प्रति व्यक्ति आय 1.96 लाख रुपये तक पहुँच चुकी है तब सरकार को यह भी बताना चाहिए कि प्रति व्यक्ति आय में इतना इजाफा होने के बावजूद लोगों को घर चलाने के लिए प्रोविडेंट फंड से 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कैसे कर ली गई है? देश में चहुंओर बेरोजगार युवाओं मे योग्य-रोजगार पाने को लेकर बेचैनी है, लेकिन अफसोस की केंद्र सरकार के अधीन ही अलग-अलग संस्थाओं मे लगभग 9.79 लाख रिक्तियां है, उसके बावजूद इस बजट मे युवाओं को योग्य रोजगार देने की कोई रूपरेखा पेश नही की गई है | मोदी सरकार हर वर्ष 2 करोड़ रोजगार देने का वायदा कर सत्ता मे आई थी, किन्तु दुर्भाग्यवश सत्ता मे आने के बाद यह सरकार पढे-लिखे युवाओं को पकौड़ा बेचने के सुझाव से ज्यादा कुछ दे नही सकी |
श्री भनोत ने किसानों को लेकर बताया कि दो वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते हुए 750 से अधिक किसानों के शहादत के बाद कृषि कानूनों को वापिस लेते हुए किसानों को उनके उपज को उचित मूल्य देने के लिए एमएसपी कानून बनाने के वायदे के साथ किसानों के आंदोलन को खत्म करवाया गया था, किन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दो के वर्ष बाद भी इस बजट में किसानों के एमएसपी को लेकर कोई निर्णय नही लिया गया | पूरे देश मे बोवाई के समय किसानों को पर्याप्त मात्रा में न यूरिया और डीएपी मिल रही है और ना ही बीज उपलब्ध कराया जा रहा है | इस बजट मे सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव नही रखा, जिससे की किसानों की होने वाली समस्याओं को भविष्य मे कम कैसे किया जा सकेगा ?
श्री भनोत ने बताया कि आज पेट्रोल-डीजल, खाद्य-पदार्थों की बढ़ती कीमत से देश भीषण महंगाई के दौर से गुजर रहा है | इस बजट मे सरकार ने मध्यमवर्गीय परिवार के जीवन स्तर को उठाने का कोई प्रयास नही किया गया है ताकि उनके जेब मे उनकी कमाई को बचाया जा सके ताकि उनकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने परोक्ष रूप से उनमें क्रय-शक्ति को बढ़ाया जा सके | अन्तराष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल के दाम लगातार गिरने के बावजूद भी देश मे पेट्रोल-डीजल के रेट को कम करने का कोई ऐलान नही किया जाना, यह प्रमाणित करता है कि मोदी सरकार आमजनता के हितों के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है |
श्री भनोत ने बताया कि मोदी सरकार का अमृतकाल का बजट नौकरी-पेशा नागरिकों के लिए भी निराशाजनक रहा, जहां टैक्स स्लैब को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है | टैक्स स्लैब मे यह बढ़ोत्तरी इस भीषण महंगाई के दौर में ऊंट के मुंह मे जीरा के सामान है | एक तरफ सरकार ने जहां टैक्स स्लैब मे मामूली बढ़त कर वाहवाही लूट रही है, वही पिछले वित्त वर्ष मे होम लोन और पर्सनल लोन के टैक्स मे इजाफा कर अपना खजाना पहले ही भर चुकी है | इस बजट से उम्मीद थी कि बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिटस का ब्याज दर बढ़ाया जा सकता है, ताकि जमा-पूंजी पर अपना जीवन-यापन करने वाले खासकर वरिष्ठ नागरिकों को राहत दिया जा सके, किन्तु अफसोस है कि तमाम सुझावों के बावजूद भी इस दिशा मे सरकार द्वारा कोई कदम नही उठाया गया है |