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30 नवम्बर तक एग्जिट पोल पर पाबंदी

विधानसभा चुनाव : भारत निर्वाचन आयोग ने जारी की अधिसूचना, मतदान के पहले मत सर्वेक्षण करना दण्डनीय अपराध

कटनी,यशभारत। विधानसभा निर्वाचन 2023 की आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील है। आदर्श आचरण संहिता के दौरान 7 नवम्बर की सुबह 7 बजे से 30 नवम्बर की शाम 6:30 बजे तक निर्वाचन के संबंध में किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल का आयोजन तथा प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसके परिणाम का प्रकाशन या प्रचार अथवा किसी भी अन्य तरीके से इसका प्रचार-प्रसार करने पर प्रतिबंध रहेगा। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 31 अक्टूबर को इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि निर्वाचन के दौरान सभी मतदान क्षेत्रों में मतदान की समाप्ति के लिये नियत समय पर समाप्त होने वाले 48 घण्टों के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी ओपिनियन पोल या किसी अन्य मतदान सर्वेक्षण के परिणामों सहित किसी भी प्रकार के निर्वाचन संबंधी मामलों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध रहेगा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126क में यह प्रावधानित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति कोई निर्गम मत सर्वेक्षण नहीं करेगा और किसी निर्गम मत सर्वेक्षण के परिणाम का ऐसी अवधि के दौरान जो निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में अधिसूचित की जाए, प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रकाशन या प्रचार या किसी भी प्रकार की अन्य रीति से प्रसार नहीं करेगा। यदि कोई व्यक्ति इस प्रावधान का उल्लंघन करेगा, तो ऐसी अवधि के कारावास से जो दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से, दण्डनीय होगा।

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सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार की पोस्ट डालने पर अभ्यर्थियों को जुड़वाना होगा खर्चा
विधानसभा चुनाव के दौरान अभ्यर्थियों पर चुनावी समय में सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता लागू होगी। ट्विटर, फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम,विकिपीडिया जैसे सोशल मीडिया पर प्रचार सामग्री पोस्ट करने पर अभ्यर्थियों को इसका खर्च भी व्यय लेखा में जुड़वाना पड़ेगा। इस संबंध में चुनाव आयोग ने भी कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने माना है कि सोशल मीडिया और वेबसाइट भी रेडियो-केबल टीवी की तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है। जिस पर किए जाने वाले चुनाव प्रचार को कानूनी रूप दिया जाना चाहिए। इसके अलावा राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों से भी कहा गया है कि बगैर अनुमति के सोशल मीडिया का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए न करें। निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में जारी दिशा निर्देशों में साफ तौर पर कहा गया है कि सोशल मीडिया मसलन ट्विटर, फेसबुक, यू-ट्यूब विकिपीडिया और एप्स पर कोई भी विज्ञापन या एप्लीकेशन देने से पहले इसका प्रमाणीकरण कराकर अनुमति ली जाए। यह अनुमति मीडिया सर्टिफिकेशन ऑफ मॉनिटरिंग कमेटी देगी। वहीं सोशल मीडिया अकाउंट के संचालन पर इंटरनेट कंपनी को किया गया भुगतान, प्रचार कार्य संचालन के लिए ऑपरेशन व्यय, कंटेंट के क्रिएटिव डेवलपमेंट के लिए किया गया व्यय। इस कार्य में लगे वर्कर और कार्यकर्ताओं की मजदूरी एवं वेतन पर होने वाले व्यय भी एम.सी.एम.सी कमेटी में जाकर जुड़वाना होंगे।

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