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शर्म आना चाहिए! जबलपुर के 8 हजार 372 लोगों को पढ़ ना-लिखना नहीं आता पूरे मध्यप्रदेश में 6 लाख 40 हजार लोग शिक्षा से दूर

  1. – देश में मध्यप्रदेश के तीन जिले कम सक्षरता वाले
    – 8 जिले अकांक्षी श्रेणी में यहां शिक्षा की बहुत जरूरत है।
    – वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की सक्षरता दर 70 प्रतिशत है।
    – 30 प्रतिशत लोगों तक सालों बाद भी शिक्षा नहीं पहंुची।

जबलपुर, यशभारत। शर्म आना चाहिए! शीर्षक पढ़कर थोड़ा अजीब लग रहा होगा। लेकिन खबर ही ऐसी है । शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केेंद्र से लेकर मध्यप्रदेश सरकार करोड़ों रूपए खर्च कर रही है। लेकिन जानकार आश्चर्य होगा कि जबलपुर सहित पूरे मध्यप्रदेश में 6 लाख 40 हजार ऐसे लोग है जिनके तक शिक्षा पहंुची ही नहीं या फिर इन्होंने शिक्षा ग्रहण करने में रूचि नहीं दिखाई। 2011 जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश के तीन की गणना देश के उन जिलों में आती है जहां पर साक्षरता की बहुत ज्यादा कमी है। जबलपुर की बात करें तो यहां 8 हजार 372 लोग ऐसे जिन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता है। इन लोगों को नाम लिखना, पढ़ना, जोड़ घटाना नहीं आता है। पूरे प्रदेश की सक्षरता दर 70 प्रतिशत है मतलब 30 प्रतिशत लोगों को आज भी शिक्षा की जरूरत है। इसका खुलासा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू होने वाले साक्षरता कार्यक्रम के राज्य शिक्षा केंद्र ने किया है।

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’पढ़ना-लिखना’ अभियान चलेगा पूरे प्रदेश में
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार सन् 2030 तक युवा एवं प्रौढ साक्षरता दर को 100 प्रतिशत पहुँचाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण , भारत सरकार द्वारा प्रदेश में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के वयस्क , जो औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए एवं औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने की उम्र पार कर चुके है , उनकी निरक्षरता उन्मूलन के लिए साक्षरता कार्यक्रम अंतर्गत पढ़ना – लिखना अभियान 31 मार्च 2022 तक एवं नवभारत साक्षरता कार्यक्रम 1 अप्रैल 2022 से 2027 तक के लिए संचालित किया जा रहा है ।

अभियान का मुख्य उद्देश्य
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य असाक्षरों को बुनियादी एवं कार्यात्मक साक्षरता प्रदान कराना है , जिससे परिपक्व शिक्षार्थिओं को अपना ज्ञान बढ़ाने , नये कौशलों को सीखने लाभकारी योग्यताओं और अर्हताओं को प्राप्त करने और अपने कैरियर की संभावनाओं को बेहतर बनाने का अवसर मिल सके । इससे वे सही मायने में अपने जीवन को समृद्ध करने में सक्षम हो पाएगे ।

मध्यप्रदेश के 11 जिलों में विशेष फोकस रहेगा
प्रदेश के समस्त जिलों के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ना – लिखना अभियान संचालित किया जाएगा । देश में प्रदेश की साक्षरता की स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत के सबसे कम साक्षरता वाले 11 जिलों में मध्यप्रदेश के 03 जिलें- अलिराजपुर , बड़वानी एवं झाबुआ है और राष्ट्रीय नीति आयोग के तहत प्रदेश के 08 आकांक्षी जिलें राजगढ़ , सिंगरौली , विदिशा , बड़वानी , छतरपुर , दमोह , गुना एवं खण्डवा है । इन जिलों में पढ़ना – लिखना अभियान के तहत विशेष दृष्टिकोण रहेगा ।

6 लाख 40 हजार असाक्षरों को साक्षर करने रखा गया लक्ष्य
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की साक्षरता दर 70.06 प्रतिशत है । जिसमें पुरुष साक्षरता दर 80.5 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 60 प्रतिशत है । कुल असाक्षरों की संख्या 1,74,24,138 है । जिसमें 60,41,370 पुरुष एवं 1,13,82,768 महिला है । मार्च 2022 की बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा हेतु कुल 6 लाख 40 हजार असाक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । जिलेवार लक्ष्य संलग्न है ।

इतनी उम्र के लोगों को किया जाएगा साक्षर
15 वर्ष से अधिक आयु समूह के असाक्षर । ऐसे असाक्षर जो पूर्व में सम्पन्न साक्षरता कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके थे । ऐसे व्यक्ति जिनके पास साक्षरता का कोई भी प्रमाण पत्र नहीं हो । ऐसे असाक्षर जो कि साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत एनआईसी द्वारा संपन्न परीक्षा में सी श्रेणी प्राप्त किए हो ।

साक्षरता लाने के लिए इन विभागों को मिली जिम्मेदारी
विद्यालयों , महाविद्यालयों में अध्ययरत एन . सी . सी . , एन . एस . एस व स्काऊट गाइड के छात्र छात्राएं एवं बी . एड . , डी . एड के प्रशिक्षणार्थी । समग्र शिक्षा अभियान , उच्च शिक्षा विभाग , विधि विभाग , स्वच्छ भारत मिशन नेहरू युवा केन्द्र , जन अभियान परिषद् , महिला एवं बाल विकास , पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग , राष्ट्रीय ग्रामीण एवं शहरी आजीविका मिशन ( एन.आर.एल.एम ) , स्वास्थ्य विभाग , आदिम जाति कल्याण विभाग , बैंकर्स आदि उपरोक्त विभागों के अतिरिक्त राज्य संसाधन केन्द्र , राज्य शिक्षा केन्द्र व अन्य विभागों के साथ कार्य कर रहें पार्टनर एन.जी.ओ. एवं स्वसहायता समूह के शिक्षित कार्यकर्ता । स्थानीय शिक्षक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी एवं ऐसे स्थानीय शिक्षित व्यक्ति ( महिला एवं पुरुष ) जो स्वेच्छा से इस कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करना चाहें ।

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