80 करोड़ रिलीज कराने 3 दिन से भोपाल में जमे मिलर्स, एमडी को सौंपी मिलों की चाबियां
कटनी। धान खरीदी शुरू हो चुकी और इधर जिले के मिलर्स प्रदेश के मिलर्स के साथ हड़ताल पर चले गए हैं। जबकि इस बार सरकार ने तय किया था उपार्जन केंद्रों से सीधे धान मिलर्स के पास परिवहन की जाएगी। इधर मिलर्स के पुराने भुगतान के न होने से हड़ताल पर चले गए और और पिछके तीन दिनों से भोपाल में डेरा जमाए सी एम मोहन यादव से मिलने पर अड़े हुए थे ।
ऐसे में धान उपार्जन केंद्रों में दोहरा संकट गहराता नज़र आ रहा है। उधर मध्यप्रदेश चावल उधोग संघ के प्रदेश महामंत्री ईश्वर रोहरा धान का कहना है कि धान मिलिंग करने के बाद एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम में चावल जमा किए जाने के एवज में अपग्रेडेशन राशि दी जाती है। लेकिन, पिछले साल की राशि अब तक नहीं मिली है। हम लोग मंत्री से लेकर अधिकारियों तक परेशानी बता चुके हैं। अब हम अपनी-अपनी मिलों की चाबी लेकर भोपाल आए हैं। और भोपाल में बीते बुधवार को प्रदेश भर के राइस मिलर्स नागरिक आपूर्ति निगम के दफ्तर पहुंचे और निगम के एमडी पीएन यादव को अपनी मिलों की चाबियां सौप दी।हालांकि निगम एमडी ने मिलर्स से मिलो की चाबियां नही ली। इस दौरान मिल मालिकों ने जमकर नारेबाजी भी की। प्रदेश भर के राइस मिलर्स सीएम से मिलने पर अड़ें हुए थे। मप्र चावल उद्योग महासंघ के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने बताया कि धान की मिलिंग में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जब तक राज्य सरकार आश्वासन नहीं देती है, तब तक कोई भी मिलर्स प्रदेश में खरीदी जाने वाली धान की मिलिंग नहीं करेगा। हमने पिछले दो साल में जो धान मिलिंग का काम किया है, उसका करीब 1 हजार करोड़ रुपए शासन से मिलर्स को नहीं मिला है। कटनी राइस मिल के पूर्व अध्यक्ष बंटू रोहरा का कहना है कि दो दिसंबर से प्रदेश में धान का उपार्जन शुरू हो गया है। औऱ कटनी के लगभग 73 मिलर्स का 80 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे में अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर हम प्रदेश के मुखिया मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री से मिलकर उनके समक्ष अपनी समस्या रखी।
मुख्यमंत्री ने हमारी मांगो पर गंभीरता से विचार करते हुए एक सप्ताह में भुगतान सबंधी सभी मामले निपटा दिए जाने का आश्वासन दिया है।
धान खरीदी हो सकती है प्रभावित
राइस मिलर्स का कहना है कि सरकार के नियमों के अनुसार, धान खरीदी के लिए 54% नया वारदाना और 46% पुराना वारदाना उपयोग किया जाता है। नया वारदाना सरकार उपलब्ध कराती है, लेकिन पुराना वारदाना राइस मिलर्स को देना पड़ता है। उन्हें पुराने वारदाने के लिए मिलने वाला किराया भी अब तक नहीं दिया गया है।मिलर्स ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे हड़ताल जारी रखेंगे और वारदाना भी उपलब्ध नहीं कराएंगे।