50 लोगों के मकान धराशायी, 20 के क्षतिग्रस्त, खाने के पड़े लाले, कई जानवर मरने से बीमारी का खतरा, महिला की मौत
बाढ़ प्रभावित गांव कछारगांव से यशभारत LIVE

( उमरियापान से के के चौरसिया की रिपोर्ट )
उमरियापान, यशभारत। उमारियापान से 6 किमी दूर ढीमरखेड़ा मार्ग पर पडऩे वाली बेलकुंड नदी ने पूरे क्षेत्र में तबाही का मंजर बिखेरने के बाद अपनी सामान्य स्थिति में पुन: आ गई है। सबसे ज्यादा बाढ़ की चपेट में आने वाले छोटा कछार गांव में यश भारत की टीम पहुंची और तबाही के मंजर की तस्वीरें सामने लेकर आई है। गांव में जितने लोगों के मकान गिरे हैं। यश भारत की टीम ने हर घर में पहुंचकर सर्वे किया और पीडि़तों से मिलकर उनकी परेशानी जानी। गांव के खलील अहमद, महेश लोधी, गोपी बर्नम, राजेश चक्रवर्ती, कमलेश रजक, राहुल कोल ने बताया कि बीते दिनों 3 दिन तक हुई लगातार भारी बारिश से नदी का रौद्र रूप देखकर पूरा गांव सहम उठा था। चारों ओर पानी का बढ़ता स्तर और हर तरफ मकान डूबते ही नजर आ रहे थे। इस दौरान मन में एक ही सवाल बार-बार आता था की गांव बचेगा भी या नहीं। भगवान से सिर्फ एक ही दुआ मांग रहे थे, बचा लो भगवान नहीं तो मर जाएंगे।
खाने की बढ़ी चिंता, जानवर मरने से फैलेगी बीमारी
गांव के अधिकतर मकान जलमग्न हो गए थे, जिससे गृहस्थी का सामान तहस-नहस होने से सभी का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया, मानो गांव में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। अब हर ग्रामवासी को खाने की चिंता सता रही है की खुद का और परिवार का पेट कैसे भरेंगे। हालांकि प्रशासन द्वारा हर परिवार को राशन पहुंचाने में जुटा है। वही गांव में कई जानवरों के मर जाने से बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। यशभारत की टीम भी जब घर-घर जस्कर सर्वे कर रही थी तो बुरी तरह से बदबू आने के कारण वहां से जल्द से जल्द बहार निकलना ही उचित समझा था। गांव में जो भी जानवर मरे थे प्रशासन ने मकानों के आसपास ही मिट्टी डालकर दफना दिया है, जिससे बहुत बुरी दुर्गंध आ रही है और लोगों का रुकना मुश्किल हो रहा है। यदि प्रशासन ने मरे जानवरों को वहां से निकालकर गांव से दूस न दफनाया तो बाढ़ के बाद बीमारी फैलने की दूसरी बड़ी समस्या से निपटने के लिए तैयार रहे।
500 बोरी अनाज, 200 बोरी खादए 100 बोरी सीमेंट बर्बाद
गांव में अधिकतर लोगों के घर में पानी भरने के कारण गेहूं चावल दाल पूरी तरह से डस गए हैं। बीमारी फैलने से डर से ग्रामवासियों ने नदी में बहा दिया है। वहीं बड़ी संख्या में यूरिया डीएपी राखड भी पानी में भीगने की वजह से घुल गई हैए बदबू आने के कारण ग्रामवासियों ने नदी बहा दिया है। गांव में कई घरों में मकान निर्माण करने के लिए रखी सीमेंट भी पानी में भीगने के कारण पत्थर बन गई है। अनाज, खाद और सीमेंट बर्बाद होने से सभी को भारी नुकसान पहुंचा है।
नुकसान के सदमे से हुई तीसरी मौत
कछार गांव निवासी 61 वर्षीय झुमकी बाई पति स्वर्गीय घनश्याम कोल की मकान गिरने के सदमे में मौत हो गई। जानकारी के अनुसार झुमकी बाई 25 जुलाई की सुबह रेस्क्यू टीम बाढ़ की चपेट से निकालकर उमारियापान शिविर पहुंचाया था। शिविर से अपने गांव के लिए रविवार 28 जुलाई की दोपहर 1 बजे के करीब कछार गांव पहुंची और अपना मकान गिरा सहित गृहस्थी को तहस.नहस होते देखते ही सदमे में खत्म हो गई। उमरियापान शासकीय अस्पताल में महिला का शव परीक्षण कराया गया और शव परिजनों को सौंप दिया गया है। परिजनों सहित ग्रामीणों के सहयोग से मृतक महिला का शाम को अंतिम संस्कार किया गया।
उमरियापान शिविर से बाढ़ पीडि़त लौटे अपने घर
उमरियापान के चौरसिया मंगल भवन और सरस्वती शिशु मंदिर में पीड़ितों के लिए शिविर बनाया गया था। जहां कछार गांव, पिपरिया शुक्ल, छोटी पोंड़ी, बनहरी, घुघरा, टोपी, घुघरी, धवरेसर, परसवारा गांव सहित अन्य गांवों के 831 लोग महिला, पुरुष, बच्चे उमरियापान के चौरसिया मंगल भवन में ठहरे हुए थे। कल सोमवार की दोपहर को सभी पीडि़तों ने भोजन करने के बाद अपने अपने गांव लौट गए हैं। प्रशासन द्वारा गांवों में ही पीडि़तों के लिए सभी व्यवस्थाएं की जा रहीं हैं। हर परिवार को 50 किलो राशन दिया जा रहा है जिसमें 30 किलो चावल और 20 किलो गेहूं सहित अन्य सामग्री वितरित की जा रही है।
इनके गिरे आशियाने
जानकारी के मुताबिक जिन लोगों के मकान गिर गए हैं, उनमे खलील पिता मोहम्मद हबीब, इमामुद्दीन पिता मोहम्मद हलीम, मोहम्मद हलीम पिता मोहम्मद अयूब, अमीर रुद्दीन पिता मोहम्मद सलीम, महेश प्रसाद लोधी पिता, दीपक कुमार पिता सूरज प्रसाद लोधी, यजय पिता वंशगोपाल लोधी, दिनेश पिता छेदी लाल लोधी, बखत लाल पिता रामस्वरूप राजक, कमलेश पिता संतोखी रजक, गोपी पिता बारेलाल बर्मन, कढ़ोरी पिता फगुराम लोधी, नंद किशोर पिता शिव दयाल बर्मन, राहुल पिता गणेश लाल कोल, शंकर लाल पिता चोखे लाल चौधरी, फगुराम पिता गणेश चक्रवर्ती, राजेश पिता फगुराम चक्रवती, अशोक पिता फगुराम चक्रवर्ती, सुजीत लल्लूराम चक्रवर्ती, मुकेश पिता रामवरन पटेल, बसंत पिता रामस्वरूप कोल, रतन पिता दरबारी कोल, लखन लाल पिता भद्देराम कोल, ओमकार पिता लखन लाल कोल, नरेश पिता गिरधारी कोल, छोटे लाल पिता लच्छू राम कोरी, स्वर्गीय शारदा पिता लच्छू राम कोरी, मकबूल अहमद पिता अब्दुल मजीद, छवि लाल पिता बिहारी चमार, सोने लाल पिता मंधारी लाल कोल, जिया लाल पिता बच्चू लाल कोल, राजू पिता भगवानदास कोल, किशोरी पिता अघनु लाल कोल, सुरेंद्र पिता लालजी कोल, बबुआ पिता पचईं कोल, दुर्गेश-प्रदोष पिता स्वर्गीय घनश्याम कोल, श्यामले पिता मुन्नी लाल कोल, सुनील पिता छेदी लाल कोल, गिरधारी पिता टिडईं कोल, छवि लाल पिता कंधी लाल कोल, नंदी लाल पिता लशगर कोल, सुरेंद्र पिता किशन लाल कोल, मगजु लाल पिता मारु कोल, रामजी पिता बट्टी लाल कोल, राकेश पिता चरंजू लोधी, अश्वनी कुमार पिता राममिलन कोरी, कमलेश पिता सुखदेव कोरी, गोरी बाई पति स्वर्गीय राममिलन लोधी, मनोज पिता स्वर्गीय प्रेम लाल लोधी, संतराम पिता प्रतीम लाल लोधी शामिल है। इनका मकान भीषण बाढ़ की चपेट में आने से धराशायी हो गए हैं। वहीं करीब 15 ग्रामवासियों के मकान ऐसी स्थिति में हैं, जिनके मकानों की दीवारें टूट गई हैं या दरारें आ गईं हैं या तिरछा हो गईं हैं जो कभी भी गिर सकते हैं।