4 नए चेहरे पार्टी के भरोसे: 4 प्रत्याशी, खुद जुटे मैदान में

जबलपुर, यशभारत। जिले की आठ विधानसभा चुनाव में तीन दशक बाद इस बार सबसे कम उम्मीदवार मैदान में हैं। जिले की आठ विधानसभा से कुल 83 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं।
ऐसे में जहां कई सीटों पर वोटकटवा की अनुपस्थिति से प्रमुख प्रतिद्वंदियों को राहत है। वहीं सीधी प्रतिस्पर्धा से मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। इधर पार्टी और प्रत्याशियों की बात करें तो भाजपा को सिहोरा, बरगी, उत्तर मध्य और पश्चिम अच्छी-खासी मेहनत करनी पड़ रही है, क्योंकि इन विधानसभाओं में चेहरे नए और पूरी तरह से पार्टी के भरोसे है जबकि पूर्व, पनागर,पाटन और केंट की बात करें तो पार्टी प्रत्याशी खुद मैदान में जुटे हुए हैं। चुनाव विश्लेषकों के अनुसार वोटकटवा पिछले कई चुनावों में परिणाम पलटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। वर्ष 2018 में जब कुल 114 उम्मीदवार आठ विधानसभा से चुनाव मैदान में थे तब दो विधानसभाओं में निर्दलीयों ने उलटफेर भी किया था।

सबसे ज्यादा पाटन तो सबसे कम पाटन व पूर्व में उम्मीदवार
इस विधानसभा चुनाव में सबसे कम उम्मीदवार शहर की पूर्व और सिहोरा विधानसभा क्षेत्र में हैं। यहां कुल 6 उम्मीदवार मैदान में है। जबकि सबसे ज्यादा 19 उम्मीदवार पाटन विधानसभा में हैं। पाटन के बाद सबसे ज्यादा 15 उम्मीदवार केंट विधानसभा में है। जबकि पनागर व पश्चिम में 10-10 उम्मीदवार है। बरगी में 9 और उत्तर में 8 उम्मीदवार मैदान में भाग्य आजमा रहे हैँ।
पिछले तीन चुनाव में यह रही स्थिति
जिले की आठ विधानसभाओं में पिछले तीन चुनावों के दौरान कुल उम्मीदवारों की संख्या देखी जाए तो 2008 के विधानसभा चुनाव में 99 उम्मीदवार मैदान में थे। 2013 में कुल उम्मीदवारों की संख्या 90 रही जबकि पिछले चुनाव में कुल उम्मीदवारों की संख्या 114 रही।
बागियों ने दो सीटों पर बिगाड़ा था गणित
2018 के विधानसभा चुनाव में शहर की उत्तर और ग्रामीण की पनागर विधानसभा सीट में बागियों ने हार-जीत के साथ ही दोनों पार्टियों की स्थिति बिगाड़ दी थी। उत्तर से दो बागी उम्मीदवारों ने लगभग 35 हजार वोट लिए थे। जिससे यहां भाजपा का किला ध्वस्त हो गया था। जबकि पनागर विधानसभा में भाजपा के बागी ने कांग्रेस के वोट बैंक में भी सेंध मार ली थी। जिससे कांग्रेस यहां दूसरे से खिसक कर तीसरे नंबर पर आ गई थी।