भोपाल में 4 साल की बच्ची के दिल के छेद को बंद करते वक्त एक छोटी सी डिवाइस अनस्क्रू करते वक्त अंदर चली गई। डॉक्टरों को जब पता चला तो उन्होंने बिना सर्जरी किए ही तार डालकर डिवाइस को निकाला। और दोबारा इसी डिवाइस से दिल के छेद को बंद कर दिया। मामला राजधानी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल का है। दतिया की रहने वाली 4 साल की आराध्या अब स्वस्थ है। हॉस्पिटल में दो दिन एडमिट रहने के बाद उसे छुट्टी भी दी जा चुकी है।
ऐसे मामलों में एकमात्र विकल्प ओपन हार्ट सर्जरी ही होता है, लेकिन बच्ची की उम्र महज 4 साल थी, तो ऐसे में डॉक्टरों ने नॉन-सर्जिकल तरीके से डिवाइस को निकालने का फैसला लिया। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा करना आसान नहीं था।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि 10 मार्च को वह और डॉ. सुमित भटनागर अम्ब्रेला शेप की VDS डिवाइस से बच्ची के दिल के छेद को बंद कर रहे थे। प्रोसिजर लगभग पूरा होने ही वाला था कि टेक्निकल गलती की वजह से डिवाइस खुलकर दिल के दूसरे हिस्से में पहुंच गई। आमतौर पर डॉक्टर इतने छोटे बच्चे के हार्ट से डिवाइस निकालने का रिस्क नहीं लेते, बल्कि सर्जरी टीम से ऑपरेशन कराया जाता है, लेकिन हम चिमटीनुमा स्नेयर से इस डिवाइस को बाहर निकालने में कामयाब रहे।