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12वीं के स्टूडेंट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कहा- स्कूल खोलने पर जल्द लें फैसला

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नई दिल्ली
दिल्ली के एक नामी स्कूल में पढ़ने वाले 12 वीं के स्टूडेंट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। स्टूडेंट ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि केंद्र सरकार और तमाम राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह कोरोना के मद्देनजर पर्याप्त सेफ्टी का इंतजाम कर स्कूलों को दोबारा खोलने के बारे में समय से फैसला लें। स्टूडेंट ने कहा है कि ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चों के मनोविज्ञान पर विपरीत असर हो रहा है ऐसे में फिजिकल क्लास शुरू करने के बारे में फैसला टाइम बाउंड तरीके से लिया जाए।

केंद्र, राज्यों और यूटी को बनाया प्रतिवादी
17 साल के स्टूडेंट अमर प्रेम प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार, तमाम राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रतिवादी बनाया है और कहा है कि स्कूली स्टूडेंट को क्लास अटेंड करने से दूर रखा गया है। तमाम स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास पर निर्भर हो गए हैं। याचिका में कहा गया है कि बड़ी संख्या में स्टूडेंट की जो भावना और सेंटिमेंट है उसके मद्देनजर पीआईएल दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर और बेआवाज छात्रों को फिजिकल क्लास नहीं होने के कारण बुरे प्रभाव से गुजरना पड़ रहा है। उन पर मनोवैज्ञानिक तौर पर बुरा असर हो रहा है। ऐसे बच्चे ऑनलाइन क्लास से भी वंचित हो रहे हैं।

रेगुलर क्लास नहीं होने से नहीं मिल पा रहा माहौल
बहुत सारे स्टूडेंट ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बुरी है और इस कारण ऑनलाइन नहीं पढ़ पा रहे हैं और बहुत कम स्टूडेंट ऐसे हैं जिन्हें कोचिंग और प्राइवेट ट्यूशन की सुविधा मिली हुई है। रेग्युलर क्लास नहीं होने के कारण स्टूडेंट को पठन पाठन का माहौल नहीं मिल पा रहा है। इस कारण उनके साइको पर विपरीत असर हो रहा है। स्टूडेंट डिप्रेशन में जा रहे हैं और उनके मनोविज्ञान पर विपरीत असर हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि फिजिकल क्लास नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स समानता के अधिकार और जीवन के अधिकार के तहत अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं।

कई राज्यों में खुले स्कूल तो कई राज्य अभी असमंजस में
अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक स्कूल पूरी तरह से बंद रहा था और इस दौरान ऑनलाइन क्लास हुए। फिर कोविड के दूसरे लहर के कारण अप्रैल की शुरुआत से स्कूल बंद है। बड़ी संख्या में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अभी तक स्कूल दोबारा खोले जाने को लेकर फैसला नहीं लिया गया है। कई राज्य खोल रहे हैं लेकिन बड़ी संख्या में राज्यों का फैसला नहीं हो पाया है। इस कारण स्टूडेंट भारी असमंजस और कंफ्यूजन की स्थिति में हैं। इस कारण उनके मनोभाव पर विपरीत असर हो रहा है।

केंद्र, राज्यों को निर्देश देने की मांग
अभी तक केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों ने स्कूल दोबारा खोलने को लेकर फैसला नहीं किया है। इस मामले में फैसला नहीं लेने से स्टूडेंट के साइको पर विपरीत असर हो रहा है। गरीब और वाइसलेस स्टूडेंट पर इसका ज्यादा विपरीत असर हुआ है। फाइनल ईयर के स्टूडेंट ने याचिका में कहा गया है कि फाइनल ईयर में लंबे ऑनलाइन क्लास प्रभावकारी नहीं है। ऐसे में गुहार लगाई गई है कि केंद्र सरकार, तमाम राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया जाए कि वह कोविड के मद्देनजर पर्याप्त सेफगार्ड के साथ टाइम बाउंड तरीके से फिजिकल क्लास शुरू करने के बारे में फैसला ले।

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