होटल पर चल रहा था सेंट्रल किडनी हाॅस्पिटलः स्वास्थ विभाग टीम की रेड, आयुष्मान फर्जीवाड़ा भी

जबलपुर, यशभारत। जिला स्वास्थ्य विभाग ने राइट टाउन स्थित बेगा होटल में रेड मारते हुए अस्पताल का सामान जप्त किया है। स्वास्थ्य विभाग को सूचना मिली थी कि होटल में सेंट्रल किडनी हाॅस्पिटल संचालित हो रहा है। जानकारी के मुताबिक जब विभाग की टीम रेड करने पहंुची तो होटल में मरीज भर्ती होना पाए गए। इसके अलावा टीम ने आयुष्मान योजना से जुड़े दस्तावेज भी ख्ंागाले में जिसमें गफलत होने की बात सामने आई है।
जानकारी के अनुसार सेंट्रल किडनी हाॅस्पिटल होटल बेगा में संचालित होने की खबर पर पहंुची जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम उस वक्त चैक गई जब होटल में मरीज भर्ती पाए गए। रेड की जानकारी लगते ही अस्पताल संचालक डाॅक्टर अश्वनी पाठक मौके पर पहंुचे उन्होंने सफाई देते हुए जांच टीम से कहा कि होटल 3 साल से बंद था और यहां अस्पताल ही संचालित हो रहा है जिसकी अनुमति के उनके पास है। डाॅक्टर अश्वनी पाठक ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि 100 बिस्तर अस्पताल की अनुमति शासन और जिला स्वास्थ्य विभाग से ली गई है। इसके बाबजूद कार्रवाई क्यों हुई यह समझ से परे हैं।
अस्पताल में हुए अग्नि हादसे कि आग अभी सांत नहीं हुई थी कि अब जबलपुर के डॉक्टरों का एक और कारनामा सामने आया है जहां एक होटल में ही अस्पताल का संचालन किया जा रहा था और जहां 1- 2 मरीज नहीं बल्कि आधा सैकड़ा से अधिक मरीजों का धड़ल्ले से इलाज चल रहा था . जिसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को मिलने के बाद शुक्रवार को सीएचएमओ के निर्देश पर पुलिस की मौजूदगी में कार्यवाही की गई मामला है। मामला है नेपियर टाउन स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल का जहां अस्पताल के ठीक बगल में स्थित होटल वेगा में मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था जहां बड़ी संख्या में आयुष्मान योजना के लाभार्थी भी भर्ती मिले। लापरवाही ऐसी की एक पलंग पर दो दो मरीजों को लिटा कर इलाज चल रहा था और सुविधाओं के नाम पर कोई भी आपातकालीन व्यवस्था होटल में मौजूद नहीं थी जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि होटल में अस्पताल का संचालन किया जा सके कोरोन काल में आइसोलेशन के लिए कुछ छूट दी गई थी लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई भी छूट नहीं दी गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि होटल नोवा में सबसे ज्यादा आयुष्मान भारत के मरीज भर्ती थे और जिनकी हालत गंभीर नहीं थी जिन्हें प्रथम दृष्टया देखने पर समझ में आ रहा था कि इन्हें बिल बढ़ाने के लिए भर्ती करके रखा गया है यह सभी विषय जांच के हैं जिसको लेकर आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी जांच कर रहे हैं लेकिन पिछले दिनों हुई घटना से सीख ना लेते हुए इस तरह के गंभीर मामले सामने आना शासन और प्रशासन की बातों और वास्तविकता का फर्क साफ समझ आता है जहां सूचियां जारी करके अस्पतालों को ब्लैक लिस्टेड किया जा रहा है वही अस्पताल तो छोड़िए होटलों में मरीज भर्ती है इस पूरे मामले में आयुष्मान योजना के साथ-साथ अस्पताल संचालन के तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े करें हैं।