हाईकोर्ट ने एफ.एस.एल. में वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का किया अंतरिम आदेश
ओबीसी के 27ःआरक्षण पर हाइकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेशो के विरूद्ध विशेष नियुक्त अधिवक्ताओ ने महाधिवक्ता को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने का दिया सुझाव ।

जबलपुर, यशभारत। याचिका ओबीसी आरक्षण को चुनोती सहित उक्त भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत के स्थान पर केवल 14 प्रतिशत आरक्षण लागू किए जाने की मांग सहित शंशोधन अधिनियम को चुनोती दी गई थी । उक्त याचिका की सुनवाई आज मुख्यंन्यायमूर्ति एवं पालीवाल की खंडपीठ द्वारा की गई । शासन की ओर से नियक्त विशेष आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह ने दलील देते हुए कहा कि इंद्रा शाहनी के प्रकरण में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को उचित एवं न्यायसंगत करार दिया गया है तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी लेटेस्ट फैसला दिनाँक 7 जनवरी 2022 को पारित आदेश में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को मेंडेटरी नही कहा गया है तथा उक्त आदेश में, नीट पीजी तथा यू जी मे ओबीसी को 27 प्रतिशत तथा मूे को 10 प्रतिशत आरक्षण मान्य किया गया है अर्थात वर्तमान में सम्पूर्ण देश मे 59.5 प्रतिशत वर्टिकल रिजर्वेशन प्रवर्तन में है इसलिए मध्य प्रदेश में 50 प्रतिशत की सीमा को आधार मानकर मध्यप्रदेश में सिर्फ ओबीसी के आरक्षण को स्थगित नही किया जा सकता । यदि ओबीसी का 13 प्रतिशत आरक्षण स्टे कर भी दिया जाता है,फिर भी मध्यप्रदेश में 60ः वर्टिकल आरक्षण प्रवर्तन में रहेगा । अर्थात साम्य के विरूद्ध किसी भी कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नही है । उक्त तर्कों से सहमत होते हुए मुख्यंन्यायमूर्ति ने कहा कि पूर्व में पारित अंतरिम आदेशो के विरूद्ध शासन ने उच्च्तम न्यायालय में कोई अपील नही की है इसलिए यह कोर्ट पूर्व में पारित अंतरिम आदेशो से भिन्न आदेश नही दे सकती । शासन की ओर से पैरवी रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक शाह ने की । ज्ञातव्य हो की शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ताओ द्वारा महाधिवक्ता को पूर्व में ही उक्त अन्तरिम आदेशो के विरूद्ध सुप्रीमकोर्ट में देश एवं प्रदेश में बदली परिस्थियों के आधार पर एसएलपी दाखिल करने का सुझाव दिया गया गया है ।