सौभाग्य योजना: 30 करोड़ रुपए की वसूली ठेका कंपनियों से , 14 करोड़ रुपए की वसूली की प्रक्रिया जारी

जबलपुर, यश भारत l गरीबों के घर तक बिजली पहुंचाने की सौभाग्य योजना से खुद का सौभाग्य बनाने वाले बिजली कम्पनी के 16 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। इनमें से 4 की सेवा समाप्त कर दी गई है। वहीं, घोटाले में लिप्त 12 अफसरों की वेतनवृद्धि में कटौती की गई है और सेवानिवृत्त हो चुके अफसरों की पेंशन से राशि वसूली की कार्रवाई शुरू की गई है। अभी 87 और अफसर जांच के दायरे में हैं।कम्पनी ने 30 करोड़ रुपए की वसूली ठेका कंपनियों से की है। 14 करोड़ रुपए की वसूली की प्रक्रिया चल रही है। मामला उजागर होने के बाद विद्युत विभाग में हड़कंप की स्थिति है क्योंकि जांच की जद में अन्य अधिकारियों के भी नाम आ सकते हैं।
सौभाग्य योजना 2018 में शुरू की गई थी। जिसके तहत मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कम्पनी पूर्व क्षेत्र में 900 करोड़ से अधिक के काम कराने का दावा किया गया था। लेकिन दूरस्थ गांवों में बिजली पहुंचाने की बजाय अफसरों ने मिलीभगत कर फर्जी बिल बाउचर बनाकर राशि निकाल ली। जिन गांवों को विद्युतीकृत बताया गया था, वहां पोल तक नहीं लगे थे। जांच में इसकी पुष्टि होने पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी। बिजली कम्पनी ने 16 अधिकारियों पर शिकंजा कसते हुए कार्रवाई की है। इनमें अधीक्षण अभियंता से लेकर कनिष्ठ अभियंता स्तर के अधिकारी शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में अभी तक 44 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। केंद्र सरकार की इस योजना में अभियंताओं ने ठेकेदारों को मनमाने तरीके से काम आवंटित किया।
कई कार्य बिना निविदा निकाले ही दिए गए। काम का भौतिक सत्यापन कराए बगैर ही ठेकेदारों को भुगतान किया गया। डिंडौरी और मंडला में सबसे पहले सौभाग्य योजना में घोटाले की शिकायत हुई। विधानसभा में मामला उठा तो ऊर्जा विभाग ने जांच के आदेश दिए थे। सात जिलों में 44 करोड़ का घोटाला सामने आया। इसमें अधिकतर मामले ऐसे थे, जिसमें बिना काम के ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया।