सैकड़ों कर्मी तैनात, करोड़ों खर्च फिर भी मेडिकल की स्थिति गटर जैसे : मेडिकल में ही पनप रहे डेंगू के जहरीले लार्वा?
आसपास लगे है कूढ़े के ढेर, ठहर रहे पानी में पनप रही है मौत, गंदगी देख नाक पर रुमाल लगाकर निकल रहे है लोग


जबलपुर, जबलपुर। मलेरिया-डेंगू से जबलपुर में जहां भयावह स्थिति है। वहीं, संभाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल अस्पताल की सफाई व्यवस्था कितनी बेहतर है यह तो वार्ड से लेकर बाहर तक फैली बजबजाती गंदगी को देखकर ही पता लगाया जा सकता है। मेडिकल अस्पताल में सफाई व्यवस्था बेहतर रहे इसके लिए शासन द्वारा प्राइवेट कंपनी के माध्यम से सैकड़ों कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है और जिनपर हर माह करोड़ों रुपए खर्च हो रहे है, बावजूद इसके बाद भी मेडिकल अस्पताल की स्थिति गटर जैसे है। जहां मलेरिया-डेंगू के जहरीले लार्वा पनप रहे है। जिसके भरोसे शहर की तमाम स्वास्थ्य सेवाएं हैं, वहीं जहरीले मच्छर पनपने लगे तो शहर का आखिर क्या हाल होगा, अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। यहां आसपास का क्षेत्र कू ढ़े के ढेर से सजा हुआ है, जहां ठहर रहे पानी में मौत पनप रही है। जिसको लेकर जब प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि चल रहे निर्माण कार्यों में पानी तो भरेगा ही। समुचित व्यवस्था की जा रही है। जिसके बाद लगता है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली है।
शहर में वायरल बुखार, डेंगू और मलेरिया के नए मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बुखार से बिगड़ रही हालत के बाद मरीजों को भर्ती करने के लिए अस्पतालों में बेड खाली नहीं मिल रहे हैं। भर्ती मरीजों को प्लेटलेट्स मिलने में अभी भी दिक्कत बनी हुई है।
मेडिकल में बजबजा रही गंदगी
मेडिकल कॉलेज के पीछे लगे कचरे के ढेरों के बीच गंदगी बजबजा रही है। जो मरीजों के स्वास्थ्य के लिए तो घातक है ही, साथ ही शहर के लिए भी नुकसानदेह है। जब शहर के इतने बड़े सरकारी अस्पताल में ऐसी घोर अनियमितताएं बरती जा रही है तो मरीजों का भगवान ही मालिक है। इतना ही नहीं पीछे तरह गेट के आसपास और मेडिकल के अंदर भी पानी का छोटा-छोटा भराव है, जहां लार्वा पनप रहे है। लेकिन अपनी इस कोताही पर पर्दा डालते हुए प्रबंधन उचित व्यवस्थाओं का राग अलाप रहा है।
सप्ताह में एक दिन करते है ऑयलिंग
मेडिकल में पनप रहे जहरीले लार्वा को लेकर जब मेडिकल डीन डॉ. प्रदीप कसार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मच्छर के लार्वा साफ पानी में पनपते है। गंदे पानी में नहीं और सप्ताह में एक दिन मेडिकल के आसपास भर रहे पानी में ऑयलिंग की जा रही है। ताकि मच्छरों के लार्वा ना पनपें।
यह है जरूरी
डॉ. कसार ने बताया कि शहर में डेंगू और मलेरिया का प्रकोप है। जिसको लेकर सभी को जागरुक होना होगा। कूलर और पानी की डंकियों का लोग जल तो बदल देते है, लेकिन उन्हें सुखाते नहीं। जिसके चलते लार्वा तली में ही चिपके रहते है। ऐसे ही चिडिय़ों को पानी पिलाने के लिए लटकाए गए छोटे-छोटे पॉट आज भी लटके है। जिनपे डेंगू के लार्वा पनप रहे है।