सृजन, संवेदनशील लेखन समाज का मार्गदर्शन करता है : उप-मुख्यमंत्री शुक्ल
भोपाल यश भारत/ सामाजिक समस्याओं पर संवेदनशील लेखन समाज का मार्गदर्शन करता है। कुरीतियों के सुधार के लिए प्रेरित करता है। हमेशा से लेखक और विचारकों ने शासन व्यवस्था को जागरूक व सहयोग प्रदान किया है। ताकि सुशासन की स्थापना हो और जन-सामान्य की समृद्धि और ख़ुशहाली सुनिश्चित हो।
यह बात प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल ने राज्य पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान भोपाल के सभागार में लेखक एवं संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री प्रलय श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक “अभिव्यक्ति के चार दशक” का विमोचन के अवसर पर कही। श्री शुक्ल ने श्री प्रलय श्रीवास्तव की दोनों पुस्तकों- मध्यप्रदेश में चुनाव और नवाचार तथा “अभिव्यक्ति के चार दशक” का जिक्र करते हुए कहा कि लेखक ने अपनी शासकीय जिम्मेदारियों को निभाते हुए लेखन के क्षेत्र में एक लंबी यात्रा तय की है। चाहे वह विधानसभा में नियुक्ति के दौरान उनके अनुभव हों या चुनाव आयोग के दौरान उनके द्वारा किए गए नवाचार। जिस व्यक्ति में संवेदनाएं होती है, वही सिस्टम को इतनी गहराई , इतनी बारीकी से देख पाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के लेख अंदर की संवेदनाओं को झंकृत कर देने वाले होते हैं। पुस्तक अभिव्यक्ति के चार दशक के माध्यम से श्री प्रलय श्रीवास्तव ने 40 वर्ष की अपनी तपस्या को बड़ी ही रचनात्मकता से व्यक्त किया है।
उप-मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने श्री श्रीवास्तव द्वारा उनके अनुभवों को रेखांकित करने के प्रयास की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार स्व. श्री सत्यनारायण श्रीवास्तव की स्मृति में उनके परिवार के द्वारा शुरू की गई जागरूक जनमत न्यूज वेबसाइट और जागरूक जनमत यूट्यूब चैनल के लोगो का भी विमोचन किया।
कार्यक्रम में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पशुपालन एवं डेयरी विभाग श्री लखन पटेल, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस, विधायक श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी, पूर्व सांसद श्री आलोक संजर, वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री मनोज श्रीवास्तव सहित जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ और सेवानिवृत्त अधिकारी, पत्रकारगण और साहित्यकार उपस्थित थे।
पूर्व मंत्री एवं विधायक श्रीमती चिटनिस ने कहा कि श्री प्रलय श्रीवास्तव की पुस्तक “अभिव्यक्ति के चार दशक” वाकई चार दशकों की अनुभूति का अनूठा माध्यम है। सेवानिवृत्त आईएएस श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि जब आप इस पुस्तक को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि लेखक की वैचारिक गति की धार कितनी तेज है। वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने महाकवि कालिदास की कृति “मेघदूत” का उल्लेख कर संयुक्त संचालक श्री प्रलय श्रीवास्तव की कृति को मेघवर्णन की उपमा देते हुए कहा कि श्री प्रलय श्रीवास्तव ने अपने पिता मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार स्व श्री सत्यनारायण श्रीवास्तव की लेखनी को जीवंत रखा है। वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रलय श्रीवास्तव ने चिंतन और मनन किया और उसे बखूबी अभिव्यक्त भी किया।
संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री प्रलय श्रीवास्तव ने पुस्तक की विषयवस्तु का विवरण देते हुए बताया कि “अभिव्यक्ति के चार दशक” उनकी दूसरी पुस्तक है। जिसमें विगत 40 वर्षों के दौरान उनके द्वारा विभिन्न विषयों में लिखे गए समाचार पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए लेखों का संग्रह तथा अन्य महत्वपूर्ण संस्मरण और संदर्भ समाहित हैं। उन्होंने सभी अतिथियों को अपनी पहली पुस्तक “मध्यप्रदेश में चुनाव और नवाचार” की प्रतियाँ एवं स्मृति चिन्ह भी भेंट किए । अंत में जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत अपर संचालक श्री जगदीश कौशल ने आभार व्यक्त किया।