मध्य प्रदेशराज्य

सिवनी में सर्पदंश घोटालाः 11.26 करोड़ के गबन मामले में चल रही जांच : वित्त व लेखा विभाग ने एक माह पूर्व कलेक्टर सिवनी को भेजा था जांच प्रतिवेदन

सिवनी यश भारत:-सिवनी जिले के केवलारी तहसील कार्यालय अंतर्गत वर्ष 2019 से अक्टूबर 2022 तक फर्जी प्रकरण तैयार कर 11 करोड़ 26 लाख रुपए का घोटाले के मामले में वित्त व लेखा विभाग ने अपनी जांच पूर्ण कर ली है। कार्यवाही प्रस्तावित करते हुए आगे की कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन को लगभग एक माह पूर्व भेजा जा चुका है। जबकि इस घोटाले के एक मुख्य आरोपी सचिन दहायत सहित जिला कोषालय में पदस्थ लिपिक दुर्गेश पारधी सहित अन्य 7 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं लेखा विभाग की जांच के बाद इस घोटाले में शामिल अधिकारियों के नाम भी स्पष्ट हो चुके हैं।

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मुख्य आरोपी
सचिन दहायत

सिवनी जिले के केवलारी अनुविभाग राजस्व अंतर्गत सर्पदंश के फर्जी प्रकरण स्वीकृत किया जाकर कुछ बैंक खातों में कई बार सहायता राशि लगभग 11 करोड़ 26 लाख के भुगतान कोषालय सिवनी के माध्यम से किए गए थे। इस मामले में तात्कालीन कलेक्टर सिवनी
डॉ. राहुल हरिदास फटिंग ने मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए थे, जहां कुछ आरोपियों के बयान भी दर्ज किए गए थे। उसके आगे की कार्यवाही सार्वजनिक नहीं हो पाई है।

वर्ष 2019 से 2022 के बीच हुए घोटाले:-
इस घोटाले में 47 मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार सर्पदंश से फर्जी मृत्यु दावा दर्ज कर शासन की कुल राशि 11 करोड़ 26 लाख रुपए का गबन किया गया। ज्ञात हो कि सरकार सांप काटने से मृत्यु होने पर 4 लाख रुपए का मुआवजा देती है। रमेश नाम के व्यक्ति को 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत बताया जाकर
तथा रामकुमार को भी 19 बार मरा दिखाकर 38 बार फर्जी रिकॉर्ड के जरिए लगभग 81 लाख रुपए गबन किए गया है। शासन की राशि को जान पहचान के कई खातों में ट्रांसफर किया जाने का यह घोटाला वर्ष 2019 से 2022 के बीच हुआ है।

इस घोटाले में एक नहीं बल्कि कई कर्मचारी और अधिकारियों की मिलीभगत लेखा विभाग की जांच रिपोर्ट में सामने आई है। सबसे खास बात यह भी है कि इस मामले में 46 आशासकीय व्यक्तियों के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाना है। शासकीय अमले में
इन अधिकारियों पर होनी है।

तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह और पांच तहसीलदारों की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इन अधिकारियों की आईडी और अधिकारों का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और उसी आधार पर कोषालय स्तर से भुगतान भी पास हुआ। जांच अधिकारी के मुताबिक मुख्य आरोपी ने अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के खातों में राशि ट्रांसफर की थी। जांच रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि शासन की राशि सीधे लाभार्थी खातों में न जाकर, निजी खातों में पहुंचाई गई। जबलपुर संभाग के वित्त व लेखा विभाग की विशेष टीम द्वारा की गई थी, इस जांच में यह खुलासा हुआ है। हालांकि इस मामले को विपक्षी कांग्रेस ने आड़े हाथ लिया है तभा भाजपा सरकार पर आरोप लगाए हैं।

इनका कहना है:-
केवलारी में सर्पदंश के नाम पर हुए घोटाले के संबंध में विस्तृत करप्रस्तावित कार्यवाही का
जांच प्रतिवेदन कमिश्नर जबलपुरको गत माह भेज दिया गया था। यहां से 21 अप्रैल 2025 को सिवनी कलेक्टर को भी प्रतिवेदन भेजा जा चुका है। अब जो भी कार्यवाहियां की जाना है, सिवनी कलेक्टर के द्वारा की जानी है।
रोहित कौशल, संयुक्त कमिश्नर वित्त लेखा विभाग जबलपुर

केवलारी में हुए 11 करोड़ से अधिक के गबन मामले में वित्त व लेखा विभाग जबलपुर द्वारा जांच की गई थी। जांच में बताया गया है कि 7 शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार किया गया है। जिसका जांच प्रतिवेदन प्राप्त हो चुका है तथा उस पर नियम अनुसार कार्यवाहियां की जाएंगी।
सुश्री संस्कृति जैन
कलेक्टर, सिवनी

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