संपदा 2.0 का सॉफ्टवेयर जनता को नहीं आया रास, पुराने तरीके से एक घंटे में हो रही रजिस्ट्री, संपदा से लग रहे चार घंटे

कटनी, यशभारत। रजिस्ट्री समेत पंजीयन से जुड़े सभी 20 दस्तावेजों के लिए घर बैठे ऑनलाइन प्रक्रिया का दावा पांच माह बाद भी पूरा नहीं हो पाया। डिजिटल ऑनलाइन सिस्टम जनता को रास नहीं आ रहा और बिचौलियों का खेल बदस्तूर जारी है। रजिस्ट्री हो या फिर बंधक पत्र बनाना, नोटरी हो या फिर अन्य कोई दस्तावेज। सर्विस प्रोवाइडर्स के माध्यम से लोगों को पंजीयन कार्यालय पहुंचना ही पड़ रहा है। यही वजह है कि संपदा 2.0 लागू होने के बाद भी कार्यालय से पंजीयन कराने वालों की भीड़ कम नहीं हुई है। मार्च में जो रजिस्ट्रियां हुई उनमें बहुत कम संपदा 2.0 से की गई।
वीडियो केवायसी के संसाधनों की कमी
क्रेता- विक्रेता को ऑनलाइन प्रक्रिया में वीडियो केवायसी की व्यवस्था तय है, लेकिन ऐसा नहीं होता। विभाग के पास ही वीडियो केवायसी के पूरे संसाधन नहीं है। पंजीयन कराने पहुंच रहे लोगों में से भी कई के पास भी वीडियो केवायसी की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में वेरिफिकेशन के नाम पर पंजीयन कार्यालय बुलाया जा रहा है।
सर्विस प्रोवाइडर के पास जगह ही नहीं:
जिले में सर्विस प्रोवाइडर्स के माध्यम से पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होती है। सर्विस प्रोवाइडरो का कहना है कि रजिस्ट्री के लिए संबंधित को कम से कम दो बार बुलाना पड़ रहा है। एक बार में सबकी आइडी बनाते हैं, जबकि दूसरी बार में संपत्ति का मूल्यांकन तय करने की प्रक्रिया करते हैं। इसके बाद फिर फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए पंजीयन कार्यालय जाते हैं तब कहीं पंजीयन की प्रक्रिया पूरी होती है।
प्रति व्यक्ति कम से कम पांच ओटीपी
जानकारी के अनुसार रजिस्ट्री की जो प्रक्रिया पंजीयन संपदा 1.0 में एक घंटे में हो जाती है, 2.0 में उसके लिए तीन से चार घंटे का समय लग जाता है। यदि किसी संपत्ति के क्रेता-विक्रेता पांच लोग हैं तो प्रति व्यक्ति कम से कम पांच ओटीपी बनती है। 25 ओटीपी और इन्हें दर्ज करने की प्रक्रिया होती है। सभी की यहां आइडी बनाना पड़ती है, जिसमें कहीं नेटवर्क कनेक्शन टूटा तो फिर नए सिरे से प्रक्रिया करना होती है। इससे यदि एक ही बैठक में प्रक्रिया पूरी करना हो तो तीन से चार घंटे का समय मामूली बात है।
गाइडलाइन के साथ पूरा काम 2.0 पर डाला तो और बढ़ेगी परेशानीः
अभी दोनों ही तरीकों से पंजीयन की प्रक्रिया की जा रही है। संपदा 2.0 से जुड़ी दिक्कतों को विभागीय समन्वय बढ़ाकर दूर करने की कोशिश है। विभाग की कोशिश है कि ऑनलाइन ही प्रक्रिया हो, उस दिशा में काम चल रहा है। जिले में नई कलेक्टर गाइडलाइन एक अप्रैल से लागू होगी। इसके लिए अभी प्रक्रिया की जा रही है। इस गाइडलाइन के लागू होने के साथ ही संभव है पंजीयन का पूरा काम 2.0 पर ही डाल दें। ऐसे में पंजीयन की गति 70 फीसदी घट जाएगी। लोगों को सर्विस प्रोवाइडर्स के कार्यालय के साथ पंजीयन कार्यालय के बार-बार चक्कर लगाने पड़ेंगे, जिससे परेशानी घटने की बजाए बढ़ेगी।