शादियों के सीजन से बाजार में बढ़ी रौनक, दुकानों में जमकर हो रही मुनाफाखोरी, ग्राहकों को नहीं दिए जा रहे पक्के बिल

कटनी, यशभारत। इन दिनों जारी शादी ब्याह के सीजन में बाजार में खरीदी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। जिसका फायदा उठाने में मुनाफाखोर व्यवसायी पीछे नहीं है। जिन सामानों की मांग काफी है, उसके दाम आसमान पर पहुंच चुके हैं। व्यवसायियों की मनमानी का आलम यह है कि उनके द्वारा महंगे दामों में सामानों की बिक्री बेखौफ की जा रही है। जीएसटी का भय दिखाकर हजारों रुपए की बेची जाने वाली सामग्री का भी पक्का बिल ग्राहकों को नहीं दिया जा रहा है। बाद में खाते में आने वाली राशि की जीएसटी रसीद काटने की औपचारिकता गोपनीय तौर पर निभा ली जाती है। शासन के नियमों के अनुसार बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में हाथ से बिल काटने को पूरी तरह से मनाही है। सभी बड़े प्रतिष्ठानों में बिक्री के दौरान नियमित रूप से कम्प्यूटर ऑपरेटर होने चाहिए। ग्राहकों द्वारा खरीदी गई सामग्री कम्प्यूटर में लोडकर उसी से प्रतिष्ठान की पक्की रसीद ग्राहक को जीएसटी के साथ प्रदान की जानी चाहिए। शहर के मुख्य बाजार का हाल ये है कि अधिकांश इलेक्ट्रानिक्स सामग्री की बिक्री करने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा ग्राहकों को कम्प्यूटराइज्ड बिल नहीं दिए जा रहे हैं। प्रतिष्ठान की ओर से हाथ से लिखे बिल काटे जा रहे हैं। सबसे ज्यादा मनमानी रेडीमेड कपड़ा एवं साड़ी स्टोर्स संचालकों की बनी हुई है। उनके द्वारा शादी व्याह के सीजन में हजारों रूपए की खरीदी के बाद भी ग्राहकों को हाथ से लिखा कच्चा बिल पकड़ाया जा रहा है, जबकि यहां से भी ग्राहकों को कम्प्यूटर के माध्यम से पक्का बिल जारी होना चाहिए। जानकारों का कहना है कि वाणिज्यिक कर विभाग कटनी के अधिकारियों की मिली भगत के चलते सरकार के राजस्व को चुना लगाया जा रहा है। मुख्यालय समेत कस्बाई क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों में टैक्स चोरी करने की होड़ मची हुई है। और वाणिज्यिक कर विभाग कार्यवाही की औपचारिकता निभा अपना जेब गर्म कर रहा है।
नहीं दी जाती पक्की रसीद
शादी ब्याह के कार्यक्रमों की तैयारी में लगे अधिकांश लोग लाखों रूपए के इलेक्ट्रानिक्स सामान एक साथ खरीद रहे हैं और उन्हें प्रतिष्ठानों की ओर से पक्की रसीद तक नहीं मिल पा रही है। मनमानी कीमत देने के बाद भी यदि सामानों में किसी तरह की गड़बड़ी आई तो प्रतिष्ठान के संचालक उस पर जिम्मेदारी के साथ कार्यवाही करने की बजाय अपना पल्ला भी सीधे लेते हैं। इसी तरह फर्नीचरों की दुकानों में भी मनमानी लूट मधी हुई है। सामान्य लकड़ी के फर्नीचर जो कि आसानी के साथ 10 हजार रूपए के आसपास मिलने चाहिए, उनकी कीमत 20 हजार रूपए वसूले जा रहे हैं। वहीं बेड, शोफा सेट, दीवान के मनमानी तौर पर कीमतें ग्राहकों से ली जा रही हैं। चर्चा के दौरान बाजार में फर्नीचर एवं दीवान की खरीदी करने आए कुछ ग्राहकों ने कहा कि व्यवसाथियों द्वारा बबूल एवं आम के फर्नीचरों पर सागौन और सौसम की पालिश करके उसके दाम चार गुना ज्यादा वसूले जा रहे हैं। ऐसे विभाग को ग्राहकों को दी जाने वाली मनमानी रसीद पर सख्त कार्यवाही करने का अभियान चलाया जाना चाहिए व्यवसायियों की लूट से ग्राहक बच सकते हैं।
महंगे हैं फर्नीचर व इलेक्ट्रानिक सामान
शादी ब्याह के कार्यक्रमों की भरमार के चलते बाजार में फर्नीचर एवं इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मांग काफी ज्यादा बनी हुई है। इसी वजह से संबंधित व्यवसायी इन दिनों कंपनी से दाम बढ़ गए की बात कहकर मनमानी तौर पर दाम बताकर नोट छापने में मशगूल हैं। इलेक्ट्रानिक सामानों में सबसे ज्यादा खरीदी फ्रिज, स्मार्ट एलसीडी टीवी, वॉशिंग मशीन, कूलर, मिक्सर, प्रेस की बनी हुई है। वहीं फर्नीचर में सोफा सेट, दीवान, बेड, फोम गद्दा, तकिया की खरीदी भी बड़े पैमाने पर हो रही है। सामान्य परिवार के लोग भी 20 हजार रूपए का फर्नीचर एवं 25-30 हजार रूपए का दीवान तथा 10 हजार रूपए के फोम गद्दे की खरीदी कर रहे हैं। अधिकांश प्रतिष्ठानों द्वारा उक्त दामों में जो सामान ग्राहकों को दिए जा रहे हैं उनकी वास्तविक कीमतें 25 फीसदी भी नहीं है। ग्राहकों से इतनी कीमतें वसूलने के बाद भी पक्के बिल देने के वजाय हाथ से बिल पकड़ाए जा रहे हैं। शादी व्याह के कार्यक्रमों में साड़ी, रेडीमेट कपड़ों की मांग भी काफी ज्यादा बनी हुई है। व्यवसायियों की मनमानी यह है कि वर्तमान में सभी इलेक्ट्रानिक्स सामानों के दाम मनमानी तौर पर बड़ा लिए गए हैं। ग्राहकों का चेहरा देखकर उनके द्वारा सामान की कीमत बताई जाती है और उसी के आधार पर बिक्री की जा रही है।कटनी, यशभारत। इन दिनों जारी शादी ब्याह के सीजन में बाजार में खरीदी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। जिसका फायदा उठाने में मुनाफाखोर व्यवसायी पीछे नहीं है। जिन सामानों की मांग काफी है, उसके दाम आसमान पर पहुंच चुके हैं। व्यवसायियों की मनमानी का आलम यह है कि उनके द्वारा महंगे दामों में सामानों की बिक्री बेखौफ की जा रही है। जीएसटी का भय दिखाकर हजारों रुपए की बेची जाने वाली सामग्री का भी पक्का बिल ग्राहकों को नहीं दिया जा रहा है। बाद में खाते में आने वाली राशि की जीएसटी रसीद काटने की औपचारिकता गोपनीय तौर पर निभा ली जाती है। शासन के नियमों के अनुसार बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में हाथ से बिल काटने को पूरी तरह से मनाही है। सभी बड़े प्रतिष्ठानों में बिक्री के दौरान नियमित रूप से कम्प्यूटर ऑपरेटर होने चाहिए। ग्राहकों द्वारा खरीदी गई सामग्री कम्प्यूटर में लोडकर उसी से प्रतिष्ठान की पक्की रसीद ग्राहक को जीएसटी के साथ प्रदान की जानी चाहिए। शहर के मुख्य बाजार का हाल ये है कि अधिकांश इलेक्ट्रानिक्स सामग्री की बिक्री करने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा ग्राहकों को कम्प्यूटराइज्ड बिल नहीं दिए जा रहे हैं। प्रतिष्ठान की ओर से हाथ से लिखे बिल काटे जा रहे हैं। सबसे ज्यादा मनमानी रेडीमेड कपड़ा एवं साड़ी स्टोर्स संचालकों की बनी हुई है। उनके द्वारा शादी व्याह के सीजन में हजारों रूपए की खरीदी के बाद भी ग्राहकों को हाथ से लिखा कच्चा बिल पकड़ाया जा रहा है, जबकि यहां से भी ग्राहकों को कम्प्यूटर के माध्यम से पक्का बिल जारी होना चाहिए। जानकारों का कहना है कि वाणिज्यिक कर विभाग कटनी के अधिकारियों की मिली भगत के चलते सरकार के राजस्व को चुना लगाया जा रहा है। मुख्यालय समेत कस्बाई क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों में टैक्स चोरी करने की होड़ मची हुई है। और वाणिज्यिक कर विभाग कार्यवाही की औपचारिकता निभा अपना जेब गर्म कर रहा है।
नहीं दी जाती पक्की रसीद
शादी ब्याह के कार्यक्रमों की तैयारी में लगे अधिकांश लोग लाखों रूपए के इलेक्ट्रानिक्स सामान एक साथ खरीद रहे हैं और उन्हें प्रतिष्ठानों की ओर से पक्की रसीद तक नहीं मिल पा रही है। मनमानी कीमत देने के बाद भी यदि सामानों में किसी तरह की गड़बड़ी आई तो प्रतिष्ठान के संचालक उस पर जिम्मेदारी के साथ कार्यवाही करने की बजाय अपना पल्ला भी सीधे लेते हैं। इसी तरह फर्नीचरों की दुकानों में भी मनमानी लूट मधी हुई है। सामान्य लकड़ी के फर्नीचर जो कि आसानी के साथ 10 हजार रूपए के आसपास मिलने चाहिए, उनकी कीमत 20 हजार रूपए वसूले जा रहे हैं। वहीं बेड, शोफा सेट, दीवान के मनमानी तौर पर कीमतें ग्राहकों से ली जा रही हैं। चर्चा के दौरान बाजार में फर्नीचर एवं दीवान की खरीदी करने आए कुछ ग्राहकों ने कहा कि व्यवसाथियों द्वारा बबूल एवं आम के फर्नीचरों पर सागौन और सौसम की पालिश करके उसके दाम चार गुना ज्यादा वसूले जा रहे हैं। ऐसे विभाग को ग्राहकों को दी जाने वाली मनमानी रसीद पर सख्त कार्यवाही करने का अभियान चलाया जाना चाहिए व्यवसायियों की लूट से ग्राहक बच सकते हैं।
महंगे हैं फर्नीचर व इलेक्ट्रानिक सामान
शादी ब्याह के कार्यक्रमों की भरमार के चलते बाजार में फर्नीचर एवं इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मांग काफी ज्यादा बनी हुई है। इसी वजह से संबंधित व्यवसायी इन दिनों कंपनी से दाम बढ़ गए की बात कहकर मनमानी तौर पर दाम बताकर नोट छापने में मशगूल हैं। इलेक्ट्रानिक सामानों में सबसे ज्यादा खरीदी फ्रिज, स्मार्ट एलसीडी टीवी, वॉशिंग मशीन, कूलर, मिक्सर, प्रेस की बनी हुई है। वहीं फर्नीचर में सोफा सेट, दीवान, बेड, फोम गद्दा, तकिया की खरीदी भी बड़े पैमाने पर हो रही है। सामान्य परिवार के लोग भी 20 हजार रूपए का फर्नीचर एवं 25-30 हजार रूपए का दीवान तथा 10 हजार रूपए के फोम गद्दे की खरीदी कर रहे हैं। अधिकांश प्रतिष्ठानों द्वारा उक्त दामों में जो सामान ग्राहकों को दिए जा रहे हैं उनकी वास्तविक कीमतें 25 फीसदी भी नहीं है। ग्राहकों से इतनी कीमतें वसूलने के बाद भी पक्के बिल देने के वजाय हाथ से बिल पकड़ाए जा रहे हैं। शादी व्याह के कार्यक्रमों में साड़ी, रेडीमेट कपड़ों की मांग भी काफी ज्यादा बनी हुई है। व्यवसायियों की मनमानी यह है कि वर्तमान में सभी इलेक्ट्रानिक्स सामानों के दाम मनमानी तौर पर बड़ा लिए गए हैं। ग्राहकों का चेहरा देखकर उनके द्वारा सामान की कीमत बताई जाती है और उसी के आधार पर बिक्री की जा रही है।
