वाह रे नगर निगम… होमगार्ड सैनिकों को बंूद-बंूद पेट्रोल को तरसा दिया
नर्मदा तटों पर डूबने वाले व्यक्तियों को बचाने में सोचते है सैनिक

जबलपुर, यशभारत। वाह… रे… नगर निगम क्यों लिखा जा रहा है सभी सोच रहे होंगे लेकिन जब बात ही ऐसी हो जाए तो वाह… रे… खुद व खुद मुंह से निकल ही जाता है। नगर निगम द्वारा होमगार्ड सैनिकों के साथ भी कुछ ऐसा ही बर्ताव किया जा रहा है। नर्मदा तटों पर अपनी जान हथेली पर रखकर दूसरों की जान बचाने वाले होमगार्ड सैनिक इस समय पेट्रोल की एक-एक बंूद को तरस रहे हैं। नगर निगम द्वारा नावों के लिए होमगार्ड सैनिकों को दिए जाने पेट्रोल पर कटौती कर दी है और कटौती भी ऐसी कि जब नर्मदा तटों पर निरीक्षण का दौर आ जाए तो होमगार्ड सैनिक सोचने पर मजबूर हो जाए।

नये वर्ष की बेला पर ग्वारीघाट से लेकर भेड़ाघाट नर्मदा तटों पर पर्यटकों के साथ शहर के लोगों को बड़ी संख्या में आना-जाना रहा। इस मौके पर लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात खड़े होमगार्ड सैनिकों का दर्द उस वक्त बाहर आ गया जब उन्होंने स्थलों पर पहंुचने वाले लोगों से कह दिया कि अपनी सुरक्षा से तटों के पास जाए। इसका कारण होमगार्ड सैनिकों से पूछा गया तो उनका कहना था कि आसपास डूबने को वह छलांग लगाकर बचा सकते हैं परंतु दूरी में डूबने वाले व्यक्तियों को बचाने में वह सक्षम नहीं है। उसका कारण उनकी नावों को पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल नहीं मिलना है। होमगार्ड सैनिकों की ऐसी बात सुनकर पर्यटक ठिठक गए।
10 लीटर पेट्रोल मिलता है एक सप्ताह के लिए
होमगार्ड सैनिकों ने बताया कि नर्मदा से अवैध रेत का उत्खनन न हो इसके लिए नाव से नदी का निरीक्षण का जिम्मा सौंपा गया इसके लिए पूरे सप्ताह में 10 लीटर पेट्रोल मिलता है तो एक या दिन में समाप्त हो जाता है। होम गार्ड सैनिकों का दर्द है कि इतने कम पेटोल पर कैसे निगरानी की जाए। इसी पेट्रोल से उन लेागों की भी जान बचानी है जो ज्यादा गहराव में जाकर डूबने लगते हैं।
निगम कहता है आॅफिस पहंुचा दिया जाता है पेट्रोल
होमगार्ड सैनिकों ने नगर निगम की पोल खोलते हुए बताया कि पहले व्यक्तिगत नाव को पेट्रोल दिया जाता था लेकिन अब नगर निगम के पास जब भी पेट्रोल के लिए जाते हैं तो कहा जाता है कि होमगार्ड आॅफिस पेट्रोल भिजवा दिया जाता है जबकि आॅफिस पेट्रोल नहीं भिजवाया जाता।