राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर ‘श्रेणी मिलन पथ संचलन’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर ‘श्रेणी मिलन पथ संचलन’
एकता, समरसता और राष्ट्रभाव का भव्य प्रदर्शन
भोपाल यशभारत। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, रविवार को भोपाल के तात्या टोपे स्टेडियम में ‘श्रेणी मिलन पथ संचलन’ का एक भव्य और प्रेरणादायी आयोजन किया गया।
भोपाल विभाग द्वारा संयोजित इस कार्यक्रम में समाज के विविध वर्गों से जुड़े तीन हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने अनुशासित पंक्तियों में कदमताल करते हुए राष्ट्र की एकता, अनुशासन और स्वाभिमान का जीवंत प्रतीक प्रस्तुत किया।
अनुशासन और राष्ट्रभाव का गूंजता वातावरण
तात्या टोपे स्टेडियम में सुसज्जित गणवेश में स्वयंसेवकों के संचलन, दंड, योगासन और घोष (बैंड) की स्वर लहरियों ने वातावरण को राष्ट्रभाव से ओतप्रोत कर दिया। अनुशासित श्रेणियां जब एक स्वर में कदमताल करती हुईं आगे बढ़ीं, तो यह दृश्य राष्ट्रशक्ति के सुसंगठन का संदेश दे रहा था। कार्यक्रम में चिकित्सा, शिक्षा, विधि, प्रशासन, उद्योग, कृषि, कला, खेलकूद तथा मातृशक्ति सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों के स्वयंसेवकों की उत्साहजनक सहभागिता रही।
संघ के उद्देश्य और प्रेरणा पर उद्बोधन
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, माननीय रोहित आर्या मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जिन्होंने सामाजिक समन्वय और नागरिक शिष्टाचार पर अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्य वक्ता प्रेमशंकर, सह-क्षेत्र प्रचारक, ने संघ के कार्य और समाज में उसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत उद्बोधन दिया। उन्होंने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा संघ की स्थापना के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ का जन्म केवल संगठन खड़ा करने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र को संगठित, समर्थ और संस्कारित बनाने के संकल्प से हुआ।
गुरुजी के आदर्श और समरसता का सूत्र
प्रेमशंकर ने द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ के नेतृत्व और आदर्शों की चर्चा करते हुए कहा कि गुरुजी ने संघ को एक जीवंत राष्ट्रशक्ति के रूप में स्थापित किया, जिसका कार्य शिक्षा, संस्कृति, ग्राम विकास और सेवा जैसे समाज के विविध क्षेत्रों में फैला।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समरसता और एकजुटता ही राष्ट्र की शक्ति का आधार है। संघ यही सिखाता है कि समाज का कोई अंग छोटा या बड़ा नहीं, बल्कि सबके साथ समान सम्मान और सहभागिता ही सच्ची समरसता है। उन्होंने इस अवसर पर संघ के ‘पंच परिवर्तन’ के सूत्र के बारे में भी स्वयंसेवकों को अवगत कराया।
मंच पर प्रांत संघचालक अशोक पांडे और विभाग संघचालक सोमकांत उमालकर सहित कई गणमान्यजन उपस्थित रहे। यह आयोजन संघ के शताब्दी वर्ष को एक यादगार शुरुआत देने के साथ ही, भोपाल के नागरिकों के बीच राष्ट्रभक्ति और सामाजिक समरसता का संदेश स्थापित करने में सफल रहा।






