
जबलपुर, यशभारत। इंसान अपनी ज्यादातर भावनाएं बोल कर ही व्यक्त करता है, पर क्या हो अगर आप बोल ही न पाएं? हालाँकि बोली बंद होने की समस्या अफेजिया या वाचाघात की समस्या कहलाती है। यह एक प्रकार का भाषा विकार है। जो की मस्तिष्क के भाषा नियंत्रित करने वाले भाग को क्षति पहुंचाता है। इस समस्या के अंतर्गत पीडि़त व्यक्ति को लिखने, पढऩे, और बोलने में समस्या का सामना करना पड़ता है। यह बीमारी लाइलाज नहीं है बस जरूरत है जागरूकता की। इस गंभीर बीमारी को लेकर एम्स भोपाल की एम्स की पूर्व चिकित्सक स्पीच लैंग्वेज पैथोलोजिस्ट डॉक्टर पिंकी सिंह और अफेजिया से ग्रस्त रहे दो मरीजों से यशभारत की विशेष चर्चा हुई। डॉक्टर पिंकी सिंह ने अफेजिया बीमारी को लेकर कहा कि इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है इसलिए बहुत से मरीज इस बीमारी ग्रसित हमेशा रहता हैं।

यूएसए में था स्ट्रोक आया और आवाज चली गई
अफेजिया कार्यशाला में शामिल होने जबलपुर पहुंचे भोपाल निवासी 34 वर्षीय नवीन कुमार सुंदरानी ने यशभाारत से चर्चा में बताया कि एक बड़ी कंपनी में यूएसए कार्यरत हूं। 2014 में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था मेरी आवाज चली गई डेढ़ साल बाद उसकी आवाज आई । यूएसए में कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन आवाज नहीं लौटी। जब भोपाल अपने घर आया और नियमित रूप से थैरेपी ली गई तो मेरी आवाज वापस आ गई। एम्स में डॉक्टरों की सलाह और डॉक्टर पिंकी सिंह की थैरेपी के कारण वह आज बोल सकता है। नवीन ने बताया कि भोपाल में इलाज चला इस दौरान पता चला कि उसे अफेजिया जिसे वाचाघात बीमारी बोलते है पहले तो इस बीमारी को लेकर घबरा गया लेकिन फैमली और डॉक्टरों की सपोर्ट के कारण इस बीमारी से मैने जंग जीत ली।

एक्सीडेंट में आवाज गई सोचा अब जीने से क्या फायदा
भोपाल के गीताजंली क्षेत्र में रहने वाली जानकी भदौरिया भी 19वीं एमपी-सीजी न्यूरोकान-2021 कार्यशाला में शामिल हुई। जानकी ने यशभारत को बताते हुए कहा कि अफेजिया बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है इसका सामना करना चाहिए। साल 2013 में एक एक्सीडेंट में आवाज चली गई थी मेरी सोचा अब जीने से क्या फायदा, एक समय ऐसा आया था कि आत्महत्या करने तालाब तक पहुंच गई थी। लेकिन बाद में फैमली ने मुझे इस बीमारी से लडऩे की हिम्मत दी। इसका काफी इलाज चला और 6 माह बाद मेरी आवाज वापस लौट आई। एम्स की पूर्व चिकित्सक डॉक्टर पिंकी सिंह ने नियमित रूप इस बीमारी से लडऩे के लिए सपोर्ट किया नतीजा ये है कि वह बोल पा रही है।

38 प्रतिशत मरीजों को अफेजिया होता है
एम्स की पूर्व चिकित्सक पिंकी सिंह ने अफेजिया बीमारी को लेकर चर्चा करते हुए कहा कि इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में 21 से 38 प्रतिशत अफेजिया होता है। । यह बीमारी लाइलाज नहीं है। अफेजिया स्ट्रोक के साथ कई अन्य कारणों से भी होता है। जैसे रोड एक्सीडेंट, ब्रेन इंजरी होने से व्यक्ति को बोलने, लिखने और समझने में परेशानी होने लगती है। जागरूकता की कमी के कारण इस बीमारी का लोग इलाज नहीं करा पाते हैं। इस बीमारी से ग्रसित लोग सोच लेते हैं कि अब उनकी आवाज कभी वापस नहीं आएगी लेकिन ऐसा नहीं है मेडिसन के साथ अगर स्पीच थैरेपी नियमित रूप से की जाए तो निश्चित रूप से व्यक्ति ठीक हो सकता है। दोनों मरीजों को ठीक करने के सवाल पर डॉक्टर पिंकी ने कहा कि दोनों मरीजों को सप्ताह में 3 दिन एक-एक घंटे स्पीच थैरेपी दी जाती थी।
जबलपुर में दे रही सेवाएं
डॉक्टर पिंकी सिंह फिलहाल जबलपुर में अपनी सेवाएं दे रही है। वे यहां पर लोगों को निजी क्लीनक के माध्यम से उपचार कर रही है। डॉक्टर पिंकी सिंह ने बताया कि एम्स में जो अनुभव प्राप्त हुआ है उसी आधार पर जबलपुर में सेवा दे रही हूं।