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यात्रा के बाद जैन संत का अंतिम संस्कार : सागर से इंदौर आए परिवार को विश्वास नहीं हो रहा कि आचार्यश्री ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया

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इंदौर में फांसी लगाकर जान देने वाले आचार्यश्री विदम सागर महाराज का रविवार सुबह 11.30 बजे अंतिम संस्कार हुआ। इससे पहले डोली यात्रा निकाली गई। शनिवार देर रात पोस्टमॉर्टम के बाद अंजनी नगर स्थित एक भक्त के घर आचार्यश्री के पार्थिव शरीर को रखा गया था। रविवार सुबह से ही उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू हो गई थी। पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए गोमटगिरी लाया गया। यहां प्रार्थना हुई। गोमटगिरी में एक जैन भक्त की जमीन पर खाली स्थान पर आचार्यश्री का अंतिम संस्कार किया गया।

आचार्य के पैतृक गांव शाहगढ़ (सागर) से लगभग 150 से अधिक की संख्या में परिवार और नजदीकी रिश्तेदार इंदौर आए। कोई भी इस बात का विश्वास नहीं कर रहा कि महाराज जी ने यह कदम उठाया है।

खुदकुशी से पहले आहार किया था
आचार्य ने खुदकुशी से पहले अशोक जैन के यहां आहार किया था। अशोक के अनुसार आचार्य जब आहार के लिए आए तो उनके चेहरे पर किसी तरह का तनाव नजर नहीं आया। उन्होंने घर में मौजूद लोगों के सवालों के जवाब दिए। इस दौरान किसी बात से ऐसा नहीं लगा कि वे इस तरह का कोई कदम उठाने जा रहे हैं।परदेशीपुरा TI पंकज द्विवेदी और FSL एक्सपर्ट डॉ. बीएल मंडलोई ने बताया कि परिस्थितियां खुदकुशी का ही इशारा कर रही हैं। अंदेशा है, वे नायलॉन की रस्सी लेकर कमरे में गए, वहां रखी टेबल पर चढ़कर पंखे से फांसी लगा ली। गले में भी रस्सी से लटकने के निशान हैं। उनके पास रस्सी कहां से आई, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।

यह था मामला
चातुर्मास के लिए इंदौर आए आचार्य 108 विमद सागर महाराज फंदे पर मिले थे। सेवक अनिल ने देखा तो समाज के लोगों को सूचना दी। इसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई। नंदानगर गली नंबर-3 में धर्मशाला पर जैन समाज के लोग जमा हो गए और पोस्टमॉर्टम नहीं करवाने की मांग की। पुलिस ने उन्हें समझाया। इसके बाद महाराज का एमवाय अस्पताल में पोस्टमॉर्टम हुआ।

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