जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

यश भारत खाश : विलुप्त हो रहे बीज :  महिला किसानों ने सीखा जैविक खेती के गुर …. 

मंडला lआदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में अब महिलाएं भी किसी से कम नहीं है। जिले की चाहे आदिवासी महिला हो या अन्य सब पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। महिला और पुरूषों के बीच का भेद दूर होते जा रहा है। जिला मंडला भी कृषि प्रधान बनता जा रहा है। यहां खेती को बढ़ावा देने के साथ आधुनिक तरीके से खेती यहां के किसानों को सिखाई जा रही है। जिससे यहां के किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सके। इसके साथ ही यहां की महिला किसानों की भी रूचि कृषि की तरफ पुरूषों से कम नहीं है। यहां की अधिकत्तर महिला किसान पुरूषों के साथ मिलकर कृषि कार्य करती है।

 

कृषि को बढ़ावा देने में यहां की महिला किसान का योगदान सराहनीय है। जानकारी अनुसार जिला मंडला के किसानों का आधुनिक खेती की ओर रूझान बढ़ता जा रहा है। खेती की नई तकनीकी सीखकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ कृषि कार्य को बढ़ावा दे रहे है। जिले में एक बड़े क्षेत्रफल में खेती का कार्य किया जाता है। जैविक खेती को बढ़ावा देने मंडला के अंतिम छोर में बसा वनांचल मवई विकासखंड में उद्योगिनी संस्था आगे आई है। संस्था द्वारा महिला किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने लगातार प्रयास कर रही है। समय-समय पर महिला किसानों को जैविक खेती के प्रेरित करने के साथ उन्हें प्रशिक्षित भी कर रही है। बताया गया कि मवई जनपद मुख्यालय में उद्योगिनी संस्था द्वारा जैविक कृषि प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि जनपद पंचायत मवई जनपद अध्यक्ष श्रीमति मनीषा मरकाम एवं उद्योगिनी संस्था राज्य समन्वयक श्रीमति छिप्री गुप्ता उपस्थित रही।

 

आयोजित तीन दिवसीय जैविक कृषि कार्यशाला में 20 ग्रामों की 80 महिला किसानों ने सहभागिता की। जैविक खेती में रूचि लेने वाली महिला किसानों को तीन दिनों तक प्रशिक्षित किया गया। इन्हें प्रशिक्षण देने रायपुर छत्तीसगढ़ से विशेषज्ञ डॉ. शुभेंदु राय, भोपाल से आन मोहम्मद एवं अखिलेश श्रीवास्तव द्वारा बहुत ही विस्तार पूर्वक जैविक खेती कैसे की जाती है, जैविक खेती के फायदे, जैविक खेती का प्रमाण पत्र इन सब की बारीकियां के बारे में महिलाओं को विस्तार से समझाया।

जैविक खेती के लिए करें प्रेरित 

आयोजित प्रशिक्षण में एफपीओ गठन पर चर्चा की गई। जिसमें बाजारीकरण पर चर्चा करते हुए कहां कि कहां-कहां इनके बाजार उपलब्ध है और आसानी से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। इसके साथ ही प्रशिक्षण के अंतिम दिन मवई जनपद अध्यक्ष श्रीमती मनीषा मरकाम द्वारा प्रशिक्षण में आई महिला किसानों का उत्साह वर्धन करते हुए प्रशिक्षण में सीखी हुई बातों को गांव में जाकर अमल करने की बात कही। इसके साथ ही जैविक खेती के लिए गांव में और भी किसानों को प्रेरित करने के लिए कहां। प्रशिक्षण के अंत में महिला किसानों को संस्था द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया।

बीजों को संजोकर रखने बताए तरीके

प्रशिक्षण के अंतिम दिन सभी महिला किसानों से तीन दिनों में जैविक खेती के विषय में सीखी जानकारी पर विस्तार से चर्चा करते हुए जैविक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उपस्थित महिला किसानों को बताया कि रासायनिक खादों का उपयोग खेतों में बहुत ज्यादा किया जा रहा है। हमें धीरे-धीरे जैविक की ओर अपना कदम बढ़ाना होगा। प्रशिक्षण में आए प्रशिक्षकों ने बहुत ही विस्तार पूर्वक जैविक खेती करने की जानकारी दी है। इसके साथ ही इस जैविक खेती से उत्पादन को हम बाजार में कैसे उचित मूल्य पर बाजारीकरण करेंगे इसकी जानकारी भी दी गई है। इसके साथ ही महिला किसानों से कहां कि गांव में बीज बैंक बनाना है, जो हमारे पूर्वजों ने बीज संजोकर रखे हैं, वह अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं।

 

हमें इन बीजों को संजोकर रखना है, इस पर विस्तार से चर्चा की। महिला किसानों को बीज संजोकर रखने के तरीके बताते हुए बताया कि घर में बीज उपचार, जीवामृत, बीज अमृत, चटनी जैविक, खाद बनाने की विधि सिखाई। तीन दिवसीय प्रशिक्षण में उद्योगिनी संस्था से परियोजना समन्वयक शुभम झा, संदीप श्रीवास, सरोज पड़वार, भारती धुर्वे, नरेश गायकवाल समेत समूह की महिलाओं का सहयोग रहा।

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