यशभारत गणंतत्र दिवस विशेेष : 26 जनवरी 1930 का वो दिन, जब कटनी के हर-घर फहरा था तिरंगा

कटनी, यशभारत। 26 जनवरी की तारीख कटनी के अतीत में खास महत्व रखती है। 26 जनवरी 1930 को यहां हर घर और दुकान पर आम लोगों ने तिरंगा फहराया था। ऐतिहासिक तथ्य इस बात की गवाही दे रहे हैं कि देश के आजाद होने के पहले ही कटनी जिले के नागरिकों ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के प्रति अगाध प्रेम, राष्ट्रीयता और देशभक्ति का जज्बा दिखाते हुए यहां के हर घर, हर दुकान और प्रतिष्ठान में तिरंगा फहरा दिया था। इतिहास के पन्नों को खंगालने पर यह उल्लेख मिलता है कि इस दिन कटनीवासियों ने संपूर्ण स्वराज के संकल्प का ऐलान कर गली-चौराहों में जुलूस निकाला था। मौजूदा तथ्य इस बात की गवाही देते हैं कि समूचे देश के साथ कटनी में भी 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। कटनी, सिहोरा, सिलौड़ी, उमरियापान, विजयराघवगढ़ आदि स्थानों पर तिरंगा फहराकर और जुलूस निकाल कर आजादी के दीवानों ने पूर्ण स्वाधीनता का संकल्प लिया था। उस दिन कटनी तहसील मुड़वारा में विशाल जुलूस निकाला गया, हर व्यक्तिके हाथ में तिरंगा था। जुलूस की समाप्ति पर शहर के जवाहर चौक में एक आमसभा हुई थी, जिसमें बड़ी ही ओजस्वी वाणी में स्वाधीनता का घोषणा-पत्र पढक़र जन-समूह को सुनाया गया था। साथ ही जनता को स्वाधीनता का संकल्प भी दिलाया गया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि आजादी के प्रति कटनी की जनता को जागरूक और प्रेरित करने में बाबू हनुमंत राव, राधेश्याम, पंडित गोविंद प्रसाद खम्परिया, नारायण दत्त शर्मा, ईश्वरी प्रसाद खंपरिया, अमरनाथ पांडे, पूरनचंद्र शर्मा, भैया सिंह ठाकुर, पंडित नारायण प्रसाद तिवारी और खुशालचंद्र बिलैया की महती भूमिका थी। अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों की वजह से कटनी के कई सेनानी शहीद होने और अंग्रेजों की प्रताडऩा झेलने के बाद भी गुमनाम रह गए। जिले में शहीदों की याद दिलाने वाले कई स्मारक और प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं, किंतु इनके रख रखाव की ओर सालभर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता। राष्ट्रीय पर्वों में तो उनकी सुध ले ली जाती है, किंतु बाकी समय ये लावारिश जैसी स्थिति में पड़े रहते है। झंडाबाजार में भारत माता के स्तंभ के चारों ओर अतिक्रमण पसरे रहते हैं तो जवाहर चौक पर फुटपाथी दुकानदार इसके ऐतिहासिक महत्व पर पर्दा डाल देते हैं। फारेस्टर प्ले ग्राउंड में चौपाटी के नजदीक स्थित जय स्तंभ पर भी धूल और गंदगी का आलम रहता है। इसी तरह स्लीमनाबाद में कर्नल स्लीमन द्वारा बनाया गया स्तंभ आज भी मौजूद है। स्टेट बैंक तिराहे पर स्थित शहीद स्मारक में जरूर जागरूक लोग सक्रिय रहकर इसकी साफ सफाई और अन्य व्यवस्थाओं में जुटे रहते हैं। शहर के अलावा जिले की तहसीलों में भी देश के गणतंत्र और आजादी के इतिहास से जुड़े स्थल मौजूद हैं पर इनकी सुध साल भर कोई नहीं लेता।





