मौसम की मार: क्षेत्र के दर्जनों गांवों में बेमौसम ओला-पानी से फसल चौपट

मण्डला – मौसम की मार के चलते बे मौसम बारिश ओलावृष्टि से फसल चौपट हो चुकी है जिससे किसान प्रताड़ित है l
बड़झर निवासी क्षेत्रीय सामाजिक लेखक हेमराज मसराम ने बताया है,कि उनके गांव बड़झर के आसपास औढ़ारी, गोरखपुर, सिमैया, चुभावल, पड़ादर, खम्हरिया, उमरिया, सिंगारपुर, डोंगरगढ़, सुड़गांव सहित दर्जनों गांवों की मुख्य रूप से खरीफ में अरहर व रवि की फसलें नष्ट हो गई हैं। आपने बताया है कि इस समय प्रायः सभी खेतों में अरहर, मटर, मसूर, अलसी, चना, गेहूं आदि की फसल लगी हुई हैं। कुछ फसलें पकने की स्थिति में आने वाली हैं तो कुछ को पकने में अभी देर है। कुछ फसलों में फूल लदे हुए हैं। कुछ में दानें आ गये हैं। रविवार को लगभग दो बजे आई तेज आंधी के साथ बड़े-बड़े ओले और बड़े बूंद की बारिश से ये सभी स्थितियों में आई फसलें बर्बाद हो गई हैं। जिससे किसानों को भारी नुक्सानी उठानी पड़ रही हैl
बता दें कि किसानी इस समय वैसे भी घाटे का धंधा बनकर रह गया है।मंहगे बीज,मंहगी खाद,मंहगे मजदूर आदि लगाकर भी इनकी औसत में उत्पादन का दाम मिल नहीं पाता है।जिससे फसल से फायदे की बजाय नुकसान ही उठाकर किसान अनाज पैदा कर पाते हैं।इसके बाद भी इस तरह से बे-मौसम प्राकृतिक आपदा से किसानों की भरपाई किसी भी स्थिति में कहीं से भी नहीं हो पाती है।
अब किसान अपने भविष्य के लिए बहुत ज्यादा चिंतित दिखाई देने लगे हैं।उनके सोचे हुए छोटे-मोटे कार्य भी पूरे कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।बाजार से और किसान क्रेडिट कार्ड आदि से कर्ज लेकर खेती का काम करने वाले किसानों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।लिया हुआ कर्ज उधार वापस कैसे कर पायेगा। आगामी फसल की तैयारियां कैसे कर पायेगा। जिन किसानों के बेटे-बेटियां शादी विवाह की उम्र में आ गये हैं उनका विवाह कैसे कर पायेंगे।इस तरह तमाम परेशानियों के बीच सरकार से मांग करते हैं कि ऐसी विषम परिस्थितियों में किसानों की हरसंभव मदद की जाए। जिससे किसानों को कोई गलत कदम उठाना न पड़ जाए,और कम से कम आगामी फसलों के लिए कुछ भरपाई की जा सके।