जबलपुरमध्य प्रदेश

मैं… मां.. हूं : एनएच-30 में गाय की ममता नजर आई, मृत बिछड़े को बार-बार चूमकर जिंदा करने तड़प रही थी मां

जबलपुर, यशभारत। मैं.. मां.. हूं… मेरा बच्चा मुसीबत में है… कुछ बोल नहीं पा रहा है… उसे मैं उठाने की कोशिश कर रही हूं…। इस तरह के शब्द उस वक्त चारितार्थ हो रहे थे जब एनएच-30 में एक गाय अपने मृत बिछड़े के आसपास होकर जिंदा करने की कोशिश कर रही थी।
कहते हैं कि दुनिया में मां से बढ़कर कोई भी अपने बच्चे का दर्द नहीं समझ सकता। भले ही जानवर मुंह से बोलकर अपनी ममता को ना दिखा पाएं। लेकिन जब बच्चा मुसीबत में आता है। तब मां की बेचैनी देखकर हर कोई समझ जाता है कि वो तड़प रही है। बच्चे के दुख को देखकर आंखें नम हो रही है। ऐसा ही मामला जबलपुर के तिलवारा थाना क्षेत्र के एनएच 30 के चरगवां मोड़ पर में देखने को मिला जहां ममतामयी गाय अपने बछड़े को देखकर बेचैन हो रही है। इतना ही नही मृत बछड़े को चारों तरफ खड़े होकर चूमकर दुलार कर रही है। और भी गाय उसे देखने आ गई और चारों तरफ चक्कर लगाने लगी जैसे अपने बच्चे को बचाने की मदद मांग रही हो। जिसने भी यह तस्वीर देखी वह भी भावुक हो गया।

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मृत बछड़े के पास घूमती गाय और साथ में अन्य गाय भी

गौवंश की दुर्दशा शहर हो या गांव सभी जगह हो रही है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जिस दिन गौ-वंश सड़क दुर्घटना का शिकार न हो, जिस दिन किसी गाय की तड़प-तड़प कर मौत न होती हो। इन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार लोग भी हो रहे हैं। इन सड़क दुर्घटनाओ में लोग या तो घायल हो रहे हैं, या उनकी भी मौत हो रही है। गौ-वंश के सड़कों पर आ जाने से सड़क जाम से लेकर, दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। हालात ये आ चुके हैं, कि दुर्घटना में रोजाना गाय और इंसान की मौत हो रही है। दो वक्त के दाना-पानी के बदले दूध देने और मरने के बाद शरीर के चमड़े से कई लोगों का रोजगार चलाने वाली गाय, सड़कों पर मारी-मारी इसलिए फिर रही हैं, क्योकि उनके रहने-खाने का इंतजाम इंसान ने छीन लिया। गाय सड़कों पर आ गईं, बस यहीं से गाय सड़क दुर्घटना की वजह और शिकार बनने लगी हैं।

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30 हजार ऐसी गाय जिनका रहने का ठिकाना नहीं
जबलपुर में लगभग तीन हजार से ज्यादा गाय ऐसी हैं, जिनके न रहने का ठिकाना है, न खाने-पीने का इंतजाम है। शहर के हर वार्ड में कम से कम 50 गाय हैं, जो खाने की तलाश में सड़कों, गलियों में भटकती रहती है। हर सड़क पर इसी वजह से जाम लगता है। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई है। सड़क के किनारे और सड़क पर बैठी गायों को बचाने के प्रयास में सड़क दुर्घटना हो रही है, जिसका ताजा उदाहरण शहपुरा थाना क्षेत्र के नटवारा में देखने को मिला जहाँ रोड पर पड़ी एक मृत गाय को बचाने के चक्कर मे पिता ओर पुत्री की मौत हो गई। रात के समय सड़क पर बैठे गौ-वंश बड़ी सड़क दुर्घटनाओं की वजह बन रहे हैं। जहाँ लोग हादसों का शिकार होकर जान गंवा रहे हैं। गायों को बचाने के चक्कर में रोजाना जिले से लेकर गावं तक में पांच से ज्यादा एक्सीडेंट हो रहे हैं। ये तो आम दिनों की बात है, बारिश के मौसम में रोजाना कम से कम दर्जन भर एक्सीडेंट होते हैं। जिनमें गायों की मौत हो जाती है। समस्या गंभीर रूप ले चुकी है, लेकिन राहत की बात कही भी दिखाई नही दे रही है।

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