अध्यात्मजबलपुरमध्य प्रदेश

मां शक्ति की भक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र बासंतेय नवरात्र

ज्योतिष आचार्य पंडित लोकेश व्यास के अनुसार
विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार रात्रि 11/11 मिनिट से प्रारंभ
भक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र जिसे बासंतेय नवरात्र भी कहा जाता है, जिसका शुभारंभ 22 मार्च को अखंड ज्योति कलश , घट तथा जवारे की स्थापना से होने जा रहा है। देश दुनिया में नवरात्र का विशेष महत्व हिन्दू धर्म में एवं शास्त्रों में वर्णित है पूरे साल भर में चार नवरात्र होती हैं। चैत्र और आश्विन (शारदेय) एवं माघ एवं आषाढ़ गुप्त नवरात्र मनाई जाती है। अरुणोदय पंचांग के रचयिता ज्योतिषाचार्य पं. लोकेश व्यास ने आगे बताया कि इस वर्ष विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार रात्रि 11/11 मिनिट से प्रारंभ होकर बुधवार रात्रि 9/17 मिनिट तक रहने वाली है। नवरात्र बुधवार 22 तारीख से 30 तारीख तक धूमधाम से मनाई जायेगी । कलश स्थापना का विशेष शुभ मुहुर्त प्रात: 6 बजकर 6 मिनिट से लेकर 7 बजकर 37 मिनिट तक रहेगा।
दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी
उन्होंने बताया कि नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है । कवच,कील क अर्गला स्रोत का पाठ निश्चित रूप से करते मनवांछित फल प्राप्त होता है मांं के भक्त श्री सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करने से मनचाही मनोकामना की प्राप्ति होती है।
पूरे नौ दिन मिलेगा मां का आर्शीवाद
वैसे तो नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ अलग अलग स्वरूपों की विशेष पूजन विधि होती है । मां के भक्त इस वर्ष पूरे नौ दिन लाल जासौन का फूल, सफेद मिठाई, पान, सुपाड़ी व लाल चुनरी मां को नित्य भक्तिभाव से अर्पित करके मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है इस बार नवरात्र में तिथि का क्षय नहीं हो रहा है पूरे नौ दिन भक्तों पर मां का आर्शीवाद रहेगा।

हिन्दू नववर्ष एवं नवरात्र पंचक में होगी शुरू
कामाख्ये काम सम्पन्न कामेश्वरी हर प्रिये
कामना देहि में नित्यम कामेश्वरी नमोस्तुते
इस मंत्र का जाप करने से भक्तों पर मां शीघ्र प्रसन्न होकर इच्छानुसार फल प्रदान करेगी। मेष, मिथुन, मकर, कुंभ मीन राशि वालो के लिये थोड़ी सावधानी का समय है । इस वर्ष मीन राशि में चार ग्रहो का योग भी बन रहा है। साथ -साथ हिन्दू नववर्ष एवं नवरात्र पंचक में शुरू हो रही है । चन्द्रमा धनिष्ठा पूर्वाभाद्रपद, उत्तरा भादपद, रेवती और शत भिषा नक्षत्र में गोचर करता है तब पंचक रहते है ।
मां की विदाई 30 मार्च को पालकी पर होगी
इस वर्ष हिन्दू नवरात्र विक्रम संवत 2080 और नवरात्रि बुधवार प्रतिपदा तिथि 9/17 रात्रि तक है एवं उत्तराभाद्रपद नक्षत्र4/17 दिन तक है पंचम में होने के बावजूद भी अन्य शुभ योग ब्रम्हयोग इन्द्र योग भी बन रहे है जिससे मां जगतजननी जगदंबा भक्तों के कल्याण करने के लिये इस वर्ष नाव पर सवार होकर आ रही है । मां की विदाई 30 मार्च को पालकी पर होगी।
गजे च जलदा देवी छत्र: भग स्तुरंग में
नोंकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलाया मरण धु वम
मां का नौका पर सवार होकर आना सर्वसिद्धि व भक्तों की मनोकमाना को पूर्ण करने वाला होता है।

 

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